जुबिली न्यूज डेस्क
मुंबई, मुंबई एक बार फिर मराठी बनाम नॉन-मराठी विवाद की आग में झुलसती नजर आ रही है। मीरा रोड स्थित जोधपुर स्वीट्स के मालिक बाबूलाल चौधरी के साथ मनसे कार्यकर्ताओं की मारपीट की घटना ने इस बहस को और तेज कर दिया है। एक ओर जहां घटना के विरोध में व्यापारियों ने सड़क पर मोर्चा निकाला, वहीं मनसे ने उसी स्थान पर प्रदर्शन कर अपना रुख स्पष्ट किया।
घटना के बाद सियासी माहौल गर्म
मीरा रोड की इस घटना के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है। मनसे प्रमुख राज ठाकरे 18 जुलाई को एक बड़ी रैली करने जा रहे हैं, जिससे विवाद और भड़कने की आशंका जताई जा रही है। इस बीच मीरा-भायंदर के पुलिस कमिश्नर का तबादला भी किया गया है।
भाजपा की अनोखी पहल
जहां एक ओर मनसे मराठी अस्मिता पर आक्रामक रुख अपना रही है, वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने एक सकारात्मक और शैक्षणिक पहल की है। मुंबई बीजेपी प्रवक्ता प्रो. डॉ. दयानंद तिवारी की अगुवाई में गैर-मराठी नागरिकों के लिए मुफ्त मराठी भाषा कक्षाएं शुरू की गई हैं।
इन कक्षाओं का उद्देश्य सिर्फ भाषा सिखाना नहीं, बल्कि भाषाई सौहार्द और सामाजिक एकता को बढ़ावा देना है।
“मराठी आत्मा है, हिंदी सहोदर” – प्रो. तिवारी
इस पहल पर बोलते हुए प्रो. तिवारी ने कहा:“मराठी महाराष्ट्र की आत्मा है और हिंदी उसकी आत्मीय सहोदर। हमारा उद्देश्य संवाद से दूरी नहीं, समीपता लाना है।”ये कक्षाएं हर रविवार को सांताक्रुज और सायन में चलाई जा रही हैं, जहां कोई भी नागरिक मुफ्त में मराठी सीख सकता है।
क्या सिखाया जा रहा है इन कक्षाओं में?
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मराठी के स्वर, व्यंजन और उच्चारण
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रोजमर्रा के संवाद
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भाषा की संस्कृति और व्याकरणिक समझ
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मराठी सीखने वालों को ज्ञानेश्वरी का हिंदी अनुवाद भी मुफ्त में दिया जाएगा
इन कक्षाओं में ड्राइवर, सिक्योरिटी गार्ड, सब्जी विक्रेता और नौकरीपेशा लोग बड़ी संख्या में शामिल हो रहे हैं।
रजिस्ट्रेशन कैसे करें?
जो भी मराठी सीखना चाहते हैं, वे मोबाइल नंबर 7738007373 पर
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नाम,
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उम्र, और
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थोड़ी जानकारी भेजकर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।
स्थान और समय की जानकारी रजिस्ट्रेशन के बाद दी जाएगी।
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मराठी को लेकर बढ़ रही राजनीतिक सक्रियता
BJP के अलावा शिवसेना (यूबीटी) के नेता आनंद दुबे भी कांदिवली में हर रविवार गैर-मराठियों को मराठी सिखा रहे हैं। इसमें प्रशिक्षित शिक्षक ब्लैकबोर्ड से पढ़ाई कराते हैं। आने वाले स्थानीय निकाय चुनावों को देखते हुए मराठी अस्मिता एक गंभीर राजनीतिक मुद्दा बन चुका है।