Saturday - 6 January 2024 - 11:18 PM

‘बयान-वीरों’ से कैसे निपटेंगे राहुल

न्‍यूज डेस्‍क 

कभी मणिशंकर अय्यर तो कभी शशि थरूर…, कांग्रेस के लिए विरोधी पार्टियों से ज्यादा अपने नेता कई बार मुसीबत खड़ी कर देते हैं। याद कीजिए, मणिशंकर अय्यर का वो ‘चाय वाला’ बयान और इसके बाद 2014 के चुनाव में चली मोदी-लहर। कांग्रेस के नेता द्वारा अपनी ही पार्टी के लिए ‘खाई’ खोदने के तौर पर मणिशंकर अय्यर बेहतरीन उदाहरण हैं।

इस बार लोकसभा चुनाव के मणिशंकर अय्यर ने तो अपनी जुबान पर ताला लगा लिया है, लेकिन उनकी कमी को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और ओवरसीज कांग्रेस के अध्‍यक्ष सैम पित्रोदा और बीजेपी से कांग्रेस में शामिल नवजोत सिंह सिद्धू पूरा कर रहे हैं।

राहुल गांधी बैकफुट पर

कांग्रेस के इन ‘बयान-वीरों’ के बयानों के बाद एक तरफ पार्टी अध्‍यक्ष राहुल गांधी बैकफुट पर आ गए हैं। वहीं, बीजेपी और पीएम मोदी ने हमलावर रुख अख्तियार कर लिया है। पीएम मोदी अपने हर रैली में सैम पित्रोदा के बयान को लेकर कांग्रेस को घेर रहे हैं।

हालांकि, सैम पित्रोदा ने 1984 के सिख दंगों पर विवादित बयान देने पर हंगामा मचने और राहुल गांधी के कहने के बाद माफ़ी मांग ली है। पित्रोदा ने माफ़ी मांगते हुए कहा कि उनकी हिंदी ख़राब है वो जो कहना चाहते थे वैसा पूरी तरह हिंदी में नहीं बोल पाए। उन्‍होंने कहा कि वो जो हुआ वह बुरा हुआ’ कहना चाहत थे। ‘बुरा हुआ’ शब्द का अनुवाद उनके दिमाग़ में उस वक़्त नहीं आ पाया।

दरअसल, पित्रोदा ने एक पत्रकार के सवाल पर कहा था कि ‘1984 में हुआ तो हुआ पिछले पांच साल में क्या हुआ इस पर बात करिए।’ पित्रोदा के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में हंगामा मच गया। अपनी चुनावी रैलियों में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर निशाना साध रहे मोदी ने इस बार पित्रौदा के इस बयान को गांधी परिवार पर निशाना साधने की वजह बना लिया।

एक रैली में उन्होंने कहा, ”कांग्रेस के नेता ने 1984 के दंगों पर कहा कि जो हुआ तो हुआ, क्या आपको पता है ये कांग्रेसी नेता कौन हैं, यह गांधी परिवार के करीबी नेता हैं, इनका गांधी परिवार के साथ उठना-बैठना है। ये नेता गांधी परिवार के सबसे बड़े राज़दार हैं, राजीव गांधी के बहुत अच्छे दोस्त और आज कांग्रेस के नामदार अध्यक्ष के गुरु हैं।”

राहुल गांधी का बयान

इससे पहले सैम के बयान के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए कहा कि सैम पित्रोदा ने जो कुछ भी कहा वह ग़लत था और उन्हें माफ़ी मांगनी चाहिए। राहुल गांधी ने कहा,

 ”मैं समझता हूं कि 1984 में जो हुआ वह एक त्रासदी थी। इन दंगों के दोषियों को सज़ा मिलनी चाहिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस पर माफ़ी मांगी है, मेरी मां सोनिया गांधी ने भी माफ़ी मांगी है. इस मामले में हमारे विचार स्पष्ट हैं।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी 1984 दंगों के लिए कांग्रेस पर निशाना साधती रहती है। ऐसे में सैम पित्रोदा का ये बयान बीजेपी के लिए दंगों पर राजनीति करने का एक और मौका बन गया और भाजपा कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए। रविवार को छठे चरण में हरियाणा और पंजाब समेत देश की 59 सीटों पर मतदान होना है। सिख विरोधी दंगे सिखों के लिए भावनात्मक मुद्दा हैं। ऐसे में पित्रौदा का ये बयान कांग्रेस के लिए राजनीतिक तौर पर भारी पड़ सकता है।

बताते चले कि 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सिख सुरक्षाकर्मियों ने हत्या कर दी थी। इसकी प्रतिक्रिया में सिख विरोधी दंगे हुए थे जिनमें बड़े पैमाने पर सिखों को निशाना बनाया गया था।

अभी सैम के बयान को लेकर सियासी गलियारों में मची हलचल शांत भी नहीं हुई थी कि इस बीच कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने पीएम मोदी को बिना नाम लिए काला गोरा बोल नई बहस छेड़ दी। सिद्धू के बयान बाद बीजेपी इस बयान को रंग की राजनीति का रूप देने में लग गई है।

कांग्रेस नेता नवजोत सिद्धू के ‘काले अंग्रेज’ वाले बयान पर पलटवार करते हुए बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि सिद्धू को अपने इटालियन रंग पर गुमान नहीं करना चाहिए, ये रंग 23 मई को उतर जाएगा। संबित पात्रा ने कहा कि सिद्धू ने नरेंद्र मोदी और हिन्दुस्तानियों के लिए जिस शब्द का इस्तेमाल किया उसे बोलने में भी उन्हें लज्जा आती है।

संबित पात्रा ने कहा कि मोदी जी को काला अंग्रेज कहना और सोनिया जी हिन्दुस्तानी कहना कहां का न्याय है। पात्रा ने कहा, “मोदी जी काले हैं तो क्या हुआ दिलवाले हैं, मोदी जी काले हैं तो क्या हुआ गरीबों के रखवाले हैं।”

 

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