Saturday - 6 January 2024 - 7:19 PM

26 साल बाद एक मंच पर होंगे मायावती और मुलायम

 

पॉलिटिकल डेस्क

लोकसभा चुनाव के बीच यूपी में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के रिश्तों में लगातार नजदीकियां बढ़ती जा रही हैं। सपा-बसपा-रालोद महागठबंधन की चौथी रैली शुक्रवार को मैनपुरी में होगी। इस दौरान बसपा अध्यक्ष मायावती भी अपने दशकों पुराने प्रतिद्वंद्वी सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के लिए वोट मांगेंगी। सबकी निगाहें मायावती के भाषण पर होंगी। वह मैनपुरी में मुलायम सिंह यादव के लिए जनता को क्‍या संदेश देती हैं।

शुक्रवार को 26 साल बाद एकबार फिर वह नजारा देखने को मिल सकता है, जिसकी शायद किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। सूत्रों के मुताबिक, शुक्रवार को मैनपुरी और आंवला में होने जा रही गठबंधन की रैली में बीएसपी सुप्रिमो मायावती और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव एकसाथ एक मंच पर आ सकते हैं।

इसके अलावा एसपी के वर्तमान अध्यक्ष अखिलेश यादव और राष्टीय लोकदल अध्यक्ष और गठबंधन सहयोगी चौधरी अजित सिंह भी शामिल हो सकते हैं। यूपी की आजमगढ़ से लोकसभा सांसद मुलाम सिंह यादव इसबार मैनपुरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके नामांकन के दौरान भी बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्र मौजूद थे।

बता दें कि 1995 के गेस्ट हाउस कांड के बाद से सपा और बसपा में जो राजनीतिक दुश्मनी हुई थी, वह यूपी की तीन लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के दौरान ही खत्म हो गई थी। इसके बावजूद इस बात की उम्मीद कम ही थी कि कभी मुलायम और मायावती एक मंच पर नजर आएंगे। कई बार मुलायम सिंह यादव से जब गठबंधन को लेकर सवाल पूछे गए तो उन्होंने भी सवालों को टाल दिया था।

गेस्ट हाउस कांड के बाद टूटे थे रिश्ते

1992 में मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी बनाई और 1993 के विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियों ने मिलकर चुनाव लड़ा था। इस गठबंधन को जीत मिली थी और मुलायम सिंह यादव सीएम बने थे। हालांकि, दो ही साल में दोनों पार्टियों के बीच रिश्ते खराब होने लगे। इसी बीच मुलायम सिंह को भनक लग गई कि मायावती बीजेपी के साथ जा सकती हैं।

मायावती लखनऊ स्थित गेस्ट हाउस में विधायकों के साथ बैठक कर रहीं थीं। इतने में एसपी के कार्यकर्ता और विधायक वहां पहुंचे और बीएसपी के कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट करने लगे। आरोप है कि मायावती पर भी हमला करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने खुद को एक कमरे में बंद करके खुद को बचा लिया। इस घटना के बाद मायावती ने समर्थन वापस लेने के ऐलान कर दिया। इसके बाद मायावती बीजेपी से समर्थन से सीएम बन गईं।

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