Sunday - 7 January 2024 - 8:12 AM

तालाबंदी : 70 फीसदी माइक्रो लोन लेने वालों ने मांगी कर्ज में राहत

न्यूज डेस्क

देशव्यापी तालाबंदी ने देश की अर्थव्यवस्था को तगड़ी चोट पहुंचायी है। इसका असर देश के हर तबके पर पड़ा है। एक माह की तालाबंदी ने लोगों की आर्थिक हालत खराब कर दी हैं, जिसका परिणाम है कि अब कर्जमाफी की भी मांग उठने लगी है।

तालाबंदी की मियाद बढऩे के साथ ही देश में कर्जधारकों की हालत भी बिगड़ती जा रही है। मार्च के आखिरी सप्ताह से शुरू हुए लॉकडाउन के बाद अप्रैल के महीने में सिर्फ 30 फीसदी ऐसे छोटे उद्योगों से जुड़े कर्जधारक थे, जिन्होंने मोराटोरियम की सुविधा के लिए आवेदन किया था, लेकिन अब यह संख्या तेजी से बढ़ते हुए 70 फीसदी तक पहुंच गई है।

यह भी पढ़ें :   कोरोना : सिर्फ एक तिहाई प्रवासी मजदूरों को मिल रहा राहत घोषणाओं का फायदा 

यह भी पढ़ें :  कोरोना : दांव पर देश की 30 प्रतिशत जीडीपी व 11 करोड़ नौकरियां 

यह भी पढ़ें :   शराब की कमाई पर कितनी निर्भर है राज्यों की अर्थव्यवस्था ?   

 

 

 

भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़े के अनुसार माइक्रो लोन वाले महज 30 फीसदी ग्राहक ऐसे थे जिन्होंने अप्रैल के पहले सप्ताह में किस्तों में छूट की सुविधा के लिए आवेदन किया था।

हालांकि इस बीच किसानों की ओर से ऐसी सुविधा के लिए आवेदन बहुत ज्यादा नहीं हैं, क्योंकि इस साल गेहूं की फसल की अच्छी पैदावार होना है।

माइक्रोफाइनेंस इंडस्ट्री एसोसिएशन के अनुसार एक ही महीने में लोन की किस्तों को स्थगित करने की सुविधा लेने वाले ग्राहकों की संख्या 70 से 75 फीसदी तक हो गई है।

आरबीआई की ओर से 27 मार्च को बैंकों को आदेश दिया गया था कि वे मार्च से मई तक तीन महीनों के लिए ग्राहकों को किस्तें न चुकाने की छूट दें।

इस अवधि के दौरान किस्तें न चुकाने की छूट का अर्थ संबंधित किस्त से छूट नहीं है। यह राशि ग्राहक को बाद में चुकानी ही होगी। इसके अलावा कर्ज पर ब्याज पहले की तरह ही जारी रहेगा। यह ब्याज मोराटोरियम की अवधि समाप्त होने के बाद आपको चुकाना होगा।

यह भी पढ़े :   लॉकडाउन : दिल्ली से दौड़ेंगी कल 15 ट्रेनें 

यह भी पढ़ें : नौकरियां बचानी हैं तो तुरंत खोलनी चाहिए अर्थव्यवस्था

यह भी पढ़ें : बेबस मजदूरों के पलायन से क्यों घबरा रही हैं राज्य सरकारें

माइक्रो फाइनेंस पर छूट की मांग करने वाले ज्यादातर लोग ऐसे हैं, जो पटरी बाजार से जुड़े हैं, टेलरिंग करते हैं या फिर कढ़ाई या बुनाई जैसे कामों में लगे हुए हैं।

इस दौरान सैलरीड क्लास की स्थिति कुछ हद तक सही नजर आई है। बैंकों की रिपोर्ट के अनुसार अब तक सिर्फ 10 फीसदी लोग ही ऐसे हैं, जिन्होंने कर्ज की किस्तों को स्थगित करने की मांग की है। 90 फीसदी कर्मचारियों ने लोन की किस्तों को लगातार चुकाते रहने का ही फैसला लिया है।

दरअसल इसकी बड़ी वजह है ब्याज में राहत न मिलने और आगे चलकर एक तरह से नुकसान ही होने के डर से भी लोगों ने इस सुविधा को नहीं लिया है।

यह भी पढ़े : विशाखापट्टनम गैस लीक : हवा में स्टीरिन की ज्यादा मात्रा पर सीएसई ने क्या कहा ?

यह भी पढ़ें :  खुलासा : सड़कों का निर्माण बढ़ा तो लुप्त हो जाएंगे बाघ  

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com