जुबिली न्यूज डेस्क
बिहार में मुद्दतों बाद लेफ्ट को इतनी बड़ी सफलता मिली है। इस विधानसभा चुनाव राज्य में लेफ्ट पार्टियों को एक तरह से नया जीवनदान दिया है। पिछले दो विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन करने वाली लेफ्ट इस चुनाव में 16 सीटों पर जीत दर्ज की है।
बिहार में मुद्दतों बाद लेफ्ट की आमद हुई है। लंबे समय से अपनी खोई जमीन तलाश रही लेफ्ट इस चुनाव में अपनी खोई जमीन पाती दिख रही है।
आरजेडी और कांग्रेस के साथ महागठबंधन में शामिल लेफ्ट पार्टियों ने सिर्फ 29 सीटों पर चुनाव लड़ा था और इसमें से 16 सीटों पर उसे जीत मिली।

बिहार में इस बार सीपीआई (एमएल) 19, सीपीआई 6 और सीपीएम चार सीटों पर चुनाव लड़ी थीं। नतीजों की बात करें तो सीपीआई (एमएल) ने 12 सीटें, सीपीएम दो और सीपीआई ने भी दो सीटों पर जीत दर्ज की है। इस चुनाव में वाम दल का स्ट्राइक रेट 55.17 रहा है।
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2015 के विधानसभा चुनाव में सीपीआई, सीपीएम, एसयूसीआई, फॉरवर्ड ब्लॉक, आरएसपी और सीपीएमएल (एल) ने गठबंधन किया था, लेकिन तब तीन सीटें केवल सीपीएमएल (एल) ही जीत पाई थी। वहीं, साल 2010 के चुनाव में सीपीआई केवल एक सीट जीती थी।
इस बार के चुनाव में लेफ्ट के प्रदर्शन पर वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र दुबे कहते है कि इस चुनाव ने लेफ्ट के जिंदा कर दिया। जिन सीटों पर ये चुनाव जीते हैं वहां पर इन लोगों ने काम खूब किया है। पहले इन लोगों को कोई पोलिटिकल सपोर्ट नहीं था इसलिए अकेले पड़ जा रहे थे। इस बार आरजेडी, कांग्रेस का समर्थन मिल गया तो जीत गए।
1995 के बाद मिलीं सबसे ज्यादा सीटें
लेफ्ट के साथ राजद का गठबंधन पहली बार नहीं है। साल 1995 में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की पार्टी के साथ बीकेपी-एमकेपी का गठबंधन हुआ था। उस चुनाव में पहली बार सीपीआई, एलकेपी और माले 38 विधायक जीत कर विधानसभा पहुंचे थे। इसे बिहार में वामदलों का सबसे अच्छा प्रदर्शन माना जाता है, लेकिन उसके बाद से वामदलों के जनाधार में लगातार गिरावट देखी गई।
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साल 2010 में लेफ्ट पार्टियों का प्रदर्शन सबसे खराब रहा था। 2010 में भाकपा ने 56, माकपा ने 30 और माले ने 104 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। बाकी कई सीटों पर भाकपा और माले मिलकर लड़े थे। हालांकि भाकपा को बसवारा में सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी. बाकी सभी सीटों पर लेफ्ट के उम्मीदवार हार गए थे।
कन्हैया कुमार ने किया था चुनाव प्रचार
जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष और सीपीआई नेता कन्हैया कुमार ने बेगूसराय के अलावा लेफ्ट की कई सीटों परचुनाव प्रचार किया था। कन्हैया साल 2019 लोकसभा चुनाव में सीपीआई के टिकट पर बेगूसराय से चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने हरा दिया था।
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