जुबिली स्पेशल डेस्क
देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद सियासी हलकों में हलचल तेज़ हो गई है। विपक्ष ने इसे सिर्फ “स्वास्थ्य कारण” मानने से इनकार करते हुए केंद्र सरकार पर अप्रत्यक्ष निशाना साधा है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने रविवार को कहा कि यह मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और धनखड़ के बीच का है, लेकिन इसके पीछे सरकार की भूमिका की अनदेखी नहीं की जा सकती।
खरगे का आरोप: “हमेशा सरकार के पक्ष में रहे धनखड़”
कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि “धनखड़ ने उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति के रूप में हमेशा सरकार का पक्ष लिया। उन्होंने हमें कई बार गरीबों, दलितों, महिलाओं और वंचितों से जुड़े मुद्दे उठाने तक का मौका नहीं दिया।”
खरगे ने यह भी सवाल उठाया
“क्या किसानों के समर्थन में बोलने के कारण उन्हें इस्तीफा देने को मजबूर किया गया?” उन्होंने कहा कि सरकार और धनखड़ को यह स्पष्ट करना चाहिए कि इस्तीफे के पीछे असली वजह क्या है। “यह मोदी और धनखड़ के बीच का मामला है”
धनखड़ के अचानक इस्तीफे पर खरगे ने कहा कि “हमें इसकी कोई पूर्व जानकारी नहीं थी। यह प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के बीच का मामला है, लेकिन पारदर्शिता ज़रूरी है।”
गौरतलब है कि 21 जुलाई को जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र भेजकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसमें उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया और कहा कि वे अब अपने स्वास्थ्य की देखभाल को प्राथमिकता देना चाहते हैं।
कर्नाटक कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन पर चुप्पी
जब पत्रकारों ने कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष को बदलने के सवाल पर खरगे से प्रतिक्रिया मांगी, तो उन्होंने कहा कि “अभी इस पर कुछ नहीं कहूंगा, समय आने पर बोलेंगे।”
फिलहाल डीके शिवकुमार राज्य के उपमुख्यमंत्री होने के साथ-साथ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। पार्टी के भीतर उनके “दोहरी भूमिका” को लेकर असंतोष जताया जा रहा है, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व इस पर फिलहाल चुप्पी साधे हुए है।
जगदीप धनखड़ का इस्तीफा न सिर्फ एक संवैधानिक पद से अचानक हटना है, बल्कि इसके पीछे की राजनीति ने विपक्ष को सरकार पर सवाल उठाने का नया मौका दे दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि केंद्र सरकार इस पर क्या स्पष्टीकरण देती है, और क्या धनखड़ आगे कोई राजनीतिक भूमिका निभाने जा रहे हैं?