Friday - 5 January 2024 - 4:40 PM

…तो क्या नागरिकता के लिए इंसानियत को भूल गईं हैं घंटाघर पर बैठी प्रदर्शनकारी महिलाएं

न्यूज़ डेस्क

भारत सहित दुनिया के सभी देशों के लोग कोरोना वायरस के डर से सहमे हुए हैं। चीन और इटली में कोरोना ने जिस तरह से मौत का तांड़व किया है, उससे हर कोई ख़ौफजदा है। भारत मे इस खतरनाक वायरस को रोकने के लिए पीएम मोदी की अपील के बाद आज जनता कर्फ्यू लगाया गया है। देश के हर हिस्से में जनता कर्फ्यू का असर देखा जा रहा है।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सभी जगह लोग खुद को घरों में कैद लिया है। पूरे शहर में जनता कर्फ्यू का असर दिख रहा है। सड़कों पर सन्नाटा पसरा है।

इसके अलावा दिल्ली के शाहीन बाग में प्रोटेस्ट तो चल रहा है, लेकिन इसमें में सिर्फ 5 लोगों को धरने पर बैठने की इजाजत दी गई है। साथ ही जरूरी सुरक्षा के उपाय किए गए हैं। महिलाओं को हमजत सूट पहनने को कहा गया, इससे बॉडी पूरी तरह ढकी हुई होती है। प्रोटेस्ट में 5 लोगों को बैठने की इजाजत है जिसमें दादी और नानी शामिल हैं।

दूसरी तरफ नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में पिछले तीन महीने से घंटाघर पर प्रदर्शन कर रही महिलाओं को कोरोना का खौफ नहीं है। वह अपने साथ दूसरों की जिंदगी को भी खतरे में डाल रही हैं।

यहां प्रदर्शनकारी रही एक महिला प्रदर्शनकारी ने बताया कि कोरोना से बचाव के सभी तरीके अपनाए जा रहे हैं लेकिन जब तक सरकार कानून वापस नहीं लेगी उनका प्रदर्शन जारी रहेगा।

वहीं, कोरोना वायरस फैलने के बाद प्रदर्शन में शामिल रही महिलाएं भी अब इस प्रदर्शन का स्थगित करने की बात कह रही है। सदफ जाफर कहती हैं कि केन्द्र सरकार ने कोरोना को महामारी घोषित कर दिया है। इसका इलाज सिर्फ बचाव है।

अब समाजिक जिम्मेदारी निभाएं प्रदर्शनकारी महिलाएं

सदफ जाफर कहती हैं कि पूरे देश में जरूरी चीजों को छोड़ कर पूरे देश बंद है तो घंटाघर पर बैठी महिलाओं को अभी अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को निभाना चाहिए। प्रदर्शन में महिलाएं एक दूसरे के पास पास बैठी हैं। इससे संक्रमण का अधिक खतरा है। बचाव के कोई साधन उपलब्ध नहीं हैं।

ऐसे में हमें इंसानियत के नाते कुछ दिनों के लिए धरना स्थगित कर देना चाहिए। हालात सामान्य होने पर फिर से धरना दे सकते हैं। शनिवार को मैं महिलाओं को समझाने गई थी लेकिन वह नहीं मानी।

इंसानियत के खातिर खत्म करें धरना

मशहूर शायर मुनव्वर राणा की पुत्री सुमैया राना का कहना है कि इस्लाम ने हमेशा इंसानियत को बचाने का संदेश दिया है। ऐसे में घंटाघर पर महिलाओं को अपना प्रदर्शन समाप्त कर देना चाहिए या फिर सांकेतिक रूप से एक या दो महिलाएं ही वहां पर बैठे। सबकी जिंदगियों को खतरे में डालना गलत है।

इस वक्त जो पूरी दुनिया में महामारी चल रही है। हर एक को भीड़ से बचना चाहिए। जहां तक घंटाघर की बात है। इस धरने का कोई लीडर नहीं है। कुछ औरतों की वजह से सैकड़ों औरतों की जान को खतरा है। जो औरतें धरने पर बैठी है उनको आपस में बात करके इसे स्थगित करने के बारे में सोचना चाहिए।

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