Sunday - 7 January 2024 - 8:45 AM

Inside Story of The tweets : दरअसल ये हरीश-प्रीतम की लड़ाई है!

चेतन गुरुंग

विधानसभा चुनाव को अपने कंधों पर ले के दौड़ रहे हरीश रावत के सनसनाते-फनफनाते ट्वीट ने काँग्रेस के साथ ही पूरे उत्तराखंड की सियासी दुनिया में धमाका मचा डाला। हर कोई इसके पीछे के राज को जानने और तह तक जाने की कोशिश कर रहा। अंदरूनी खबर जो  है, उसके मुताबिक ये ट्वीट हरीश और नेता विपक्ष प्रीतम सिंह के बीच चल रहे शीत युद्ध का सनसनीखेज नतीजा है।

ट्वीट सोच-समझ के किए गए हैं और आला कमान की आँख-कान खोलना इसका मकसद है। ये पूरा हो रहा है। हरीश-पीसीसी अध्यक्ष गणेश गोदियाल और अन्य सभी प्रमुख सरदारों को राहुल गांधी ने दिल्ली बुला लिया है। हो सकता है कि प्रीतम को भी बातचीत और मनभेद खत्म करने के लिए बुलावा आया हो या फिर आएगा।

हरीश ने अपने ट्वीट में संगठन को ले के निशाना साधा है। इसमें उन्होंने ईशारा किया भी है कि जिनको काँग्रेस के लिए काम करते हुए चुनाव जिताना है, वे ही उनके खिलाफ हैं। पहले ये समझ में नहीं आ रहा था कि संगठन से उनका मकसद दिल्ली के दिग्गज हैं या फिर उत्तराखंड के बड़े सूबेदार। सूबे के सरदारों को ले के शक इसलिए नहीं कर पा रहे थे कि वह कल प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीसीसी अध्यक्ष गणेश गोदियाल के साथ ही बैठ के बीजेपी सरकार पर खूब प्रहार कर रहे थे। गणेश के साथ उनका तारतम्य शुरू से बहुत अच्छा है। उनके साथ मतभेद संभव नहीं लगते हैं।

काँग्रेस के एक बहुत बड़े नाम ने कहा कि हरीश को न काँग्रेस छोड़नी है न सियासत। वह सिर्फ दुखी और खफा हैं। उनके साथ जिस किस्म का बर्ताव संगठन के अनेक ओहदेदार, जो पिछली कार्यकारिणी से हैं और जिलों में भी काबिज हैं, कर रहे हैं, उससे वह खुद को अपमानित महसूस कर रहे हैं। हाई कमान उनकी बातों और शिकायतों को सुन नहीं रहा है। मजबूर हो के उसके कान खोलने के लिए ट्वीट सामने आए। हो सकता है कि इसके नतीजे हरीश और काँग्रेस के लिए अच्छे निकलें’।

ट्वीट के बाद आला कमान नींद और बेहोशी से जाग गया दिखने लगा है। हरीश-गणेश और प्रीतम समेत कुछ और ओहदेदारों को राहुल गांधी ने दिल्ली बुलाया है। वहाँ सभी को साथ बिठा के मनभेद और अंतर्विरोध दूर करने की कोशिश की जाएगी। हरीश और प्रीतम के बीच का शीत युद्ध कम होने के बजाए गर्मी लेने लगा है। इस मामले में आला कमान की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। जिलाध्यक्षों समेत वहाँ के पदाधिकारी प्रीतम के अध्यक्ष रहने के दौर के हैं। गणेश के अध्यक्ष बनने के बावजूद उनकी निष्ठा प्रीतम के प्रति है। गणेश या हरीश के प्रति उनकी निष्ठा तोले भर की नहीं है।

यह भी पढ़ें :   अडानी ग्रुप को मिला देश का सबसे बड़ा गंगा एक्सप्रेस वे का काम 

यह भी पढ़ें :  कोविड वैक्सीन की चौथी डोज देने वाला पहला देश बनेगा इजराइल

यह भी पढ़ें :  आईआईटी के वैज्ञानिकों ने बताया- भारत में कब आयेगी कोरोना की तीसरी लहर?

वे और पीसीसी के कई ओहदेदार आज भी प्रीतम से निर्देश और मार्गदर्शन ले रहे। प्रीतम को इस बात का रंज अधिक हो सकता है कि चुनाव आने से पहले उनको पीसीसी अध्यक्ष की कुर्सी से नेता विपक्ष बनाने के बहाने हटा दिया गया। इससे काँग्रेस की सरकार आने पर मुख्यमंत्री की दावेदारी की लड़ाई में उनकी दावेदारी कमजोर पड़ सकती है। गणेश भावी हालात को समझ रहे हैं। उन्होंने इसके चलते ही जिलाध्यक्षों को हटाने के लिए अपने सूची तैयार कर हाई कमान को सौंप भी दी है। हाई कमान उसको ले के बैठा है। उसका तर्क है कि काँग्रेस में नए अध्यक्ष के आने पर पुराने अध्यक्ष के नियुक्त किए गए लोगों को हटा के नए चेहरे लाने की परंपरा नहीं है।

पार्टी के अहम सूत्रों के मुताबिक पुराने जिलाध्यक्षों के चलते दिक्कत ये आ रही कि काँग्रेस दो खेमों में साफ बंट चुकी है। जब हरीश, जो कि गणेश के साथ हैं, क्षेत्रों के दौरों पर जाते हैं तो वहाँ के जिलाध्यक्ष और अन्य पदाधिकारी या तो उनसे कन्नी काटने की कोशिश करते हैं या फिर उदासीन रहते हैं। इससे चुनाव को ले के काँग्रेस के अभियान को चोट पहुँच रही। घरेलू झगड़े निबटाने में आला कमान सफल नहीं रहती है तो काँग्रेस ही निबट जाएगी, ये आशंका खुद पार्टी के जिम्मेदार बड़े नाम महसूस कर रहे हैं। आपस में दो शक्तिशाली खेमों में बंटी काँग्रेस के लिए बीजेपी की पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई वाली सरकार और बीजेपी पर हमले बोलना बहुत मुश्किल हो जाएगा।

हरीश ने ट्वीट में जिन लोगों की तरफ ईशारा किया है, उनमें जिलाध्यक्षों और प्रीतम के साथ ही आर्येन्द्र शर्मा व हरिद्वार-ऋषिकेश के भी कुछ लोग शामिल करार दिए जा रहे। ऐसा लग रहा कि हरीश की कोशिश रंग लाएगी। राहुल ने दोनों खेमों के प्रमुख लोगों को दिल्ली बुला लिया है। इस बैठक में क्या हासिल निकलेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता है। अलबत्ता ये जरूर है कि कुछ न कुछ समाधान जरूर निकलेगा।

यह भी पढ़ें : कोरोना के मामले बढ़ने पर चीन के इस शहर में लॉकडाउन

यह भी पढ़ें : ओमिक्रॉन से निपटने में नाकामी को लेकर बाइडन ने सफाई में क्या कहा?

यह भी पढ़ें : अब तो शिवपाल ने भी माना अखिलेश ही है नए नेताजी

यह भी पढ़ें :  क्या कांग्रेस को झटका देने वाले हैं हरीश रावत

पीसीसी अध्यक्ष गणेश ने पूछे जाने पर  कहा कि ट्वीट को सिर्फ हरीश की भावनाओं से जोड़ के भर देखा जाना चाहिए। इसका मतलब आपस में झगड़े होना नहीं है। काँग्रेस में लोकतन्त्र है। यहाँ हर किसी को अपनी बात रखे का पूरा अधिकार है। घरेलू मसलों का हल निकालना कोई मुश्किल नहीं होता है। ये मसला भी हाल हो जाएगा।

(लेखक हिंदी वेबसाइड न्यूज स्पेस के संपादक हैं.)  

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com