Wednesday - 4 June 2025 - 11:58 AM

भारत की बात दुनिया तक पहुंची, सांसद ने बताया कैसे कई देशों की खत्म किया…

जुबिली न्यूज डेस्क 

नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने पाकिस्तान के आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बेनकाब करने के लिए बड़ा कूटनीतिक अभियान चलाया है। इस अभियान के तहत भारत का सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल पांच देशों के दौरे पर गया, जहां उन्होंने पाकिस्तान की साजिशों और भारत की स्थिति को स्पष्ट किया।

सीपीआई-एम के राज्यसभा सांसद डॉ. जॉन ब्रिटास ने बताया कि जापान, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, सिंगापुर और मलेशिया की यात्रा के दौरान उन्होंने पाया कि इन देशों में भारत को लेकर कई गलत धारणाएं फैली हुई थीं। लेकिन इस दौरे के माध्यम से भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने तथ्यों के साथ स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है, न कि किसी देश के खिलाफ।

ब्रिटास ने कहा, “पश्चिमी मीडिया की कुछ रिपोर्टों के चलते इन देशों में यह धारणा बन गई थी कि भारत पाकिस्तान के खिलाफ कोई एकतरफा कार्रवाई कर रहा है। लेकिन हमारी टीम ने वहां सच्चाई सामने रखी और उन धारणाओं को बदलने का काम किया।”

विपक्ष ने निभाई भूमिका, अब सरकार की बारी: ब्रिटास

सांसद जॉन ब्रिटास ने कहा कि विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों ने सरकार की पहल में पूरी जिम्मेदारी के साथ भाग लिया और विदेशों में भारत का पक्ष मजबूती से रखा। उन्होंने कहा, “हमने अपना दायित्व निभाया। अब सरकार की जिम्मेदारी है कि वह संसद का विशेष सत्र बुलाकर देश की जनता और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सूचित करे।”

पीएम मोदी को विपक्ष ने लिखा पत्र

वहीं दूसरी ओर, इंडिया गठबंधन के 16 दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। विपक्ष का कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर, सीजफायर, और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावों पर संसद में चर्चा जरूरी है।

इस मामले में कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा ने कहा, “दुनिया को जानकारी दी जा रही है, लेकिन देश की संसद को अंधेरे में क्यों रखा जा रहा है?” समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव ने सवाल किया कि भारत की कूटनीति से कितने देश हमारे साथ आए हैं और इस पर संसद को जानकारी क्यों नहीं दी जा रही?

शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “अगर ट्रंप के कहने पर युद्धविराम हो सकता है, तो क्या विपक्ष के कहने पर संसद का विशेष सत्र नहीं बुलाया जा सकता?”

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ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की ओर से उठाया गया यह कूटनीतिक कदम विपक्ष और सरकार के बीच संयुक्त प्रयास का उदाहरण बना, लेकिन अब राजनीतिक गलियारों में संसद सत्र बुलाने की मांग तेज हो गई है। विपक्ष का कहना है कि देश की जनता को हर बड़े राष्ट्रीय फैसले की जानकारी मिलनी चाहिए — चाहे वो युद्ध हो, कूटनीति हो या अंतरराष्ट्रीय समर्थन।

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