Thursday - 24 July 2025 - 9:51 PM

“अगर उपराष्ट्रपति चुनाव हुआ तो कौन होगा विजेता? NDA मजबूत लेकिन विपक्ष भी मैदान में!”

जुबिली स्पेशल डेस्क

नई दिल्ली.  उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद नए उपराष्ट्रपति के चुनाव को लेकर हलचल तेज़ हो गई है। चुनाव आयोग ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या इस बार भी एनडीए को स्पष्ट बहुमत मिलेगा या फिर उसे कुछ दलों के समर्थन की दरकार पड़ेगी?

उपराष्ट्रपति चुनाव: प्रक्रिया क्या है?

भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज के ज़रिए होता है जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के सभी निर्वाचित और नामित सदस्य शामिल होते हैं।

इस प्रक्रिया में राज्य विधानसभाओं की कोई भूमिका नहीं होती। मतदान सीक्रेट बैलेट के ज़रिए और सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम (STV) के तहत होता है। जीतने के लिए उम्मीदवार को कुल वैध वोटों का 50% से एक अधिक वोट हासिल करना जरूरी होता है।

सदस्यों का गणित

  • लोकसभा: कुल 543 में से 542 सदस्य (1 सीट रिक्त)
  • राज्यसभा: कुल 245 में से 240 सदस्य (5 सीटें रिक्त, जिनमें 4 जम्मू-कश्मीर की)
  •  कुल मतदाता = 782
    बहुमत के लिए ज़रूरी वोट = 392

NDA की स्थिति

  • लोकसभा में समर्थन: 293 सदस्य
  • राज्यसभा में समर्थन: 129 सदस्य (बीजेपी, सहयोगी दल + 4 नामित सदस्य)
    कुल अनुमानित समर्थन: 457 वोट
  • यह संख्या बहुमत से 65 वोट ज्यादा है, जो एनडीए को निर्णायक बढ़त देता है। यानी अगर सभी सहयोगी एकजुट रहते हैं, तो एनडीए आसानी से अपना उम्मीदवार जीतवा सकता है।

नामित सांसदों की भूमिका

राज्यसभा में 12 नामित सदस्य होते हैं जिन्हें राष्ट्रपति विभिन्न क्षेत्रों (साहित्य, विज्ञान, कला, समाजसेवा) में योगदान के आधार पर मनोनीत करते हैं। ये सदस्य भी उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान करते हैं। हाल ही में मनोनीत किए गए चार सदस्य एनडीए समर्थक माने जा रहे हैं।

विपक्ष की चुनौती

INDIA गठबंधन के पास लोकसभा और राज्यसभा मिलाकर लगभग 325 वोट होने का अनुमान है, जो बहुमत से करीब 67 कम है। कुछ पार्टियों का रुख अभी स्पष्ट नहीं है:

बीएसपी, वाईएसआरसीपी और बीजेडी – ये दल पिछले कुछ चुनावों में एनडीए की तरफ झुके नजर आए हैं। यदि इस बार भी वे यही रुख अपनाते हैं तो विपक्ष की चुनौती और कमजोर पड़ सकती है।

आगे की रणनीति

चुनाव आयोग जल्द ही चुनाव की तारीख और नामांकन प्रक्रिया की घोषणा करेगा। इधर बीजेपी का पार्लियामेंट्री बोर्ड संभावित उम्मीदवारों के नामों पर मंथन कर रहा है। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्रा से लौटने के बाद उम्मीदवार के नाम पर मुहर लगाई जाएगी।

एनडीए इस बार भी नंबर गेम में स्पष्ट तौर पर आगे दिखाई दे रहा है। लेकिन नामांकन से लेकर प्रचार तक, राजनीतिक समीकरणों में बदलाव की संभावना हमेशा बनी रहती है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष कोई चौंकाने वाला दांव खेलता है या नहीं।

 

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