जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली. लोकसभा में सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा की शुरुआत करते हुए विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों को “गैरवाजिब” बताया।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से हुए संघर्ष के दौरान भारत के कितने लड़ाकू विमान गिरे, इस पर सवाल पूछना उचित नहीं है, बल्कि यह पूछा जाना चाहिए था कि हमने पाकिस्तान के कितने विमान मार गिराए।
राजनाथ सिंह ने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा “एग्जाम में बच्चा अच्छे मार्क्स लाए, तो ये चिंता नहीं करनी चाहिए कि उसकी पेंसिल टूट गई थी या पेन खो गया था। सबसे जरूरी है परिणाम।”
उन्होंने कहा कि विपक्ष द्वारा उठाए गए सवाल राष्ट्रीय भावना के साथ न्याय नहीं करते। “जब राजनीतिक और सैन्य लक्ष्य हासिल कर लिए गए, तभी ऑपरेशन सिंदूर को रोका गया। यह कहना कि इसे किसी के दबाव में रोका गया, पूरी तरह निराधार है,” उन्होंने स्पष्ट किया।
'एग्जाम में बच्चा अच्छे मार्क्स लेकर आ रहा है तो इसकी चिंता नहीं करनी चाहिए कि एग्जाम के दौरान उसकी पेंसिल टूट गई थी या पेन खो गया था' – ऑपरेशन सिंदूर पर बोले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह #OperationSindoor | #RajnathSingh pic.twitter.com/hXxw7dxuNA
— NDTV India (@ndtvindia) July 28, 2025
पाकिस्तान की ओर से युद्ध विराम की पेशकश
रक्षा मंत्री ने बताया कि पाकिस्तानी सैन्य अभियान महानिदेशक (DGMO) की ओर से भारत से संपर्क कर कार्रवाई रोकने का अनुरोध किया गया था। यह अनुरोध भारत ने इस शर्त के साथ स्वीकार किया कि अगर भविष्य में कोई दुस्साहस हुआ, तो भारत फिर से कार्रवाई शुरू करेगा।
ऑपरेशन सिंदूर की बड़ी उपलब्धियां
राजनाथ सिंह ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान की हर हरकत का मुंहतोड़ जवाब दिया। “यह थलसेना, वायुसेना और नौसेना के शानदार तालमेल का उदाहरण था। इस ऑपरेशन में 100 से अधिक आतंकवादी ढेर किए गए, और यह संख्या और अधिक हो सकती है।” रक्षा मंत्री ने विपक्ष को याद दिलाया कि 1962 और 1971 के युद्धों में भी विपक्ष ने कभी सेना की क्षति को लेकर सवाल नहीं उठाए।
“हमने कभी नहीं पूछा कि कितने टैंक या विमान नष्ट हुए। हमने सिर्फ सेना के शौर्य और विजय की बात की,” उन्होंने कहा।
राजनाथ सिंह का यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब विपक्ष ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सरकार से पारदर्शिता की मांग कर रहा है। लेकिन रक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सैन्य रणनीति से जुड़े मामलों में परिणाम और उद्देश्य प्राथमिकता होने चाहिए, न कि माध्यम।