Sunday - 7 January 2024 - 5:33 AM

कैसे तैयार होते हैं पैरा खिलाड़ी ?

जुबिली स्पेशल डेस्क

टोक्यो में इस समय पैरा ओलम्पिक चल रहा है। मौजूदा पैरालंपिक खेलों में भारत ने अब तक शानदार प्रदर्शन किया है और दो स्वर्ण के साथ कुल 12 पदक अपने नाम किया है। कभी आपने सोचा है कि दिव्यांग खिलाड़ी इस तरह प्रदर्शन कैसे कर पाते हैं।

अक्सर जिंदगी में किसी के साथ कोई हादसा होता है तो और किसी वजह से शरीर का एक हिस्सा बेकार हो जाये तो वो जिंदगी से हार मान लेता है।  उसे यह भी लगता है कि उसका सबकुछ खत्म हो गया है।

हालांकि कुछ लोग हार नहीं मानते हैं और अपनी अलग पहचान बनाते हैं। ऐसे लोग दिव्यांग होना अक्षम  नहीं समझते हैं। ऐसे खिलाड़ी पैरा खिलाड़ी बनकर दुनिया जीतने का हौंसला दिखाते हैं।

दिव्यांग व्यक्ति अपने बुलंद हौंसले और जुनून के बल पर पैरा एथलीट बनकर खुद विश्व स्तर पर अपनी छाप छोड़ सकता है। ऐसे में अगर इन दिव्यांग खिलाडिय़ों को सही ट्रेनिंग और सही गाइडेंस मिले तो उसका सफर और आसान हो जाता है।

पैरा ओलंपिक खेलों में किसको मिलती है जगह

टोक्यो में इस समय पैरा ओलंपिक चल रहा है। ऐसे में सवाल उठता है पैरा ओलंपिक खेलों में किन खेलों पैरा खिलाड़ी शामिल हो सकते हैं। इसमें कई श्रेणी होती है।

उदाहरण के लिए अगर कोई जन्म से शारीरिक रूप से लाचार होते हैं. इनमें से किसी का मस्तिष्क ठीक से काम नहीं करता, तो किसी के हाथ या पैर. किसी की दृष्टि कमजोर होती है तो किसी के बोलने की क्षमता क्षीण हो जाती है। इसके आलावा दुर्घटना या किसी गंभीर बीमारी के चलते अंग भंग या किसी अंग की कमजोरी का सामना कर रहा है।

ऐसे लोगों सही ट्रेनिंग और गाइडेंस में तैयार किया जाता है। इसमें एक बात सबसे अहम है इस कमियों के बावजूद ऐसे दिव्यांग विश्व में अपने प्रदर्शन से सबको चौंकाते हैं।

पैरा ओलम्पियन को तैयार करना आसान नहीं है

जानकारों की माने तो किसी भी पैरा खिलाड़ी को ओलम्तिक पहुंचना आसान नहीं होता है। उसे तैयार करने के लिए जहां एक ओर अच्छी टे्रनिंग के साथ-साथ बेहतरीन कोच की जरूरत होती है तो उसके आलावा पांच दिन कड़ा अभ्यास करना होता है। इसमें सबसे अहम बात यह है कि सबसे पहले उनकी अक्षमताओं की पहचान करके उनको वगीकृत खेलों के लिए तैयार सबसे जरूरी होता है। किसी भी पैरा खिलाड़ी तैयार करने से ठोस योजना बनाना बेहद आवश्यक है।

पैरा खिलाड़ी बनना है तो राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति से करें सम्पर्क

अगर आपको लगता है कि आपका बच्च पैरालंपिक एथलीट के लिए तैयार हो सकता है तो सबसे पहले राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति के पास जाना चाहिए। इसके आलावा आईपीसी वेबसाइट पर एनपीसी पर जाकर आपको पूरी ठोस जानकारी के इसके बारे में विस्तार से मिला जायेगी।पैरालंपिक ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन कार्यक्रम का पूरा ब्यौरा यहां पर मौजूद है।

जानकारों की क्या है राय

सामान्य खिलाड़ियों के तरह दिव्यांग खिलाड़ी भी उतना परिश्रम करते है बल्कि मेरा ये मानना है की दिव्यांग खिलाड़ी अपनी कमियों को अपनी ताकत बना लेते है भारतीय पैरालंपिक टीम ने न केवल 2020 टोक्यो में पदक जीते है बल्कि अब तक के इतिहास में यह पहली बार हुआ है की इतने सारे वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ पदक जीतने में सफल हुए है।

भारत की एकमात्र लखनऊ स्थित गौरव खन्ना एक्सेलिया बैडमिंटन अकादमी में पैरा बैडमिंटन खिलाडियों ने लगातार परिश्रम कर रहे है और भारत के लिए पदक जीत रहे है आने वाले समय में हमारे जूनियर और सीनियर पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी और भी पदक अपने देश के लिए जीतेंगे मैं www.jubileepost.in माध्यम से यही कहूंगा कि सभी माता-पिता अपने बच्चो को कोई न कोई खेलो के लिए मोटिवेट करना चाहिए ।

चाहे वो दिव्यांग बच्चा हो या सामान्य सभी को परिश्रम करके देश के लिए पदक जीतना सपना होना चाहिए मैं आपके माध्यम से यही कहूंगा इसमें हमे उत्तर प्रदेश सरकार का भी सहयोग चाहिए जिससे हमारी गति को ऊर्जा प्रदान होगी।

गौरव खन्ना (द्रोणाचार्य अवॉर्डी ) हेड कोच भारतीय पैरा बैडमिटन टीम  

दिव्यांग होना कोई अभिशाप नही होता है अपनी इच्छा शक्ति को पहचानिए और कुछ कर गुजरने की चाहत से ही आप मंजिल पा सकते है। हर खिलाड़ी का सपना होता है  वह पैरालंपिक में अपने देश के लिए पदक जीते ।

मैं टोक्यो पैरालंपिक 2020 की रेस में था लेकिन कंट्री वाइस 8 पायदान पर रह गए थे और युगल जोड़ी टॉप 6 को जगह मिल गई थी । फिर भी मैंने हार नही मानी 2024 पेरिस पैरालंपिक में क्वालीफाई कर भारत के लिए पदक जरूर जीतूंगा ।

उसके लिए हमे अपने उत्तर प्रदेश सरकार से सपोर्ट की जरूरत है टॉप रैंकिंग खिलाड़ियों को प्रदेश सरकार सुविधाएं उपलब्ध कराए जिनसे उनकी ट्रेनिंग में आ रहे परेशानियों का समाधान हो सके ।मेरे आने वाली प्रतियोगिता वर्ल्ड चैंपियनशिप 2021, एशियन गेम्स 2022, पेरिस पैरालंपिक 2024 ।

अबू हुबैदा (लक्ष्मण अवॉर्डी) अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी 

2009 में एक्सीडेंट होने के बाद जिन्दगी एक दम पलट गई थी और मेरा शरीर के नीचे का हिस्सा पैरालाइज हो गया था मैं सोचता था कि अब देश की सेवा कैसे करू।

लेकिन बाद में मुझे पैरा खेलो के बारे में पता चला और आर्मी की एक बात हमेशा मेरे मन में रहती थी की जीवन में कभी हार नही मानना है और आखिरी सांस तक लड़ना है ।

मैने पैरा बैडमिंटन 2014 से भारतीय पैरा बैडमिटन हेड कोच गौरव खन्ना सर की गाइडेंस में ट्रेनिंग लेता आ रहा हु और अभी हाल में लखनऊ स्थित गौरव खन्ना एक्सेलिया अकादमी बनने से नए खिलाड़ियों के लिए राहें खुल गया है जिसमे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ट्रेनिंग कराई जा रही है मैं सभी लोगो से यही कहूंगा की मेहनत से ही आपको सफलता मिलेगी और जिस खेल में आपको जाना है उसमे उसकी तैयारी करे । और देश के लिए पदक जीते ।

प्रेम कुमार आले (एक्स आर्मी मैन) अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी

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