Saturday - 6 January 2024 - 7:08 AM

दिल्ली सर्विस बिल पास होना केजरीवाल के लिए कितना बड़ा झटका?

जुबिली न्यूज डेस्क

राज्यसभा में भी दिल्ली सर्विस बिल पास हो गया. सोमवार को राज्यसभा में इस बिल के समर्थन और विरोध में मतदान हुआ तो समर्थन में 131 वोट पड़े और विरोध में 102.राज्यसभा में बीजेपी के पास अकेले बहुमत नहीं है. उसके एनडीए सहयोगियों को भी मिला दें तब भी बहुमत का आँकड़ा दूर रहता है.

लेकिन ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआरसीपी के बीजेपी के साथ आने से समीकरण बदल गया.

जब एक तस्वीर ने सबका ध्यान खींचा

राज्यसभा में जब बिल पास करने के लिए मतदान हो रहा था तो एक तस्वीर ने सबका ध्यान खींचा. राज्यसभा में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी व्हील चेयर पर मौजूद थे.90 साल के मनमोहन सिंह काफ़ी कमज़ोर दिख रहे थे. इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर ट्वीट कर लोगों ने आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल को भी निशाने पर लिया.

कई लोगों ने लिखा कि जिस अरविंद केजरीवाल ने राजनीति में अपनी जगह बनाने के दौरान मनमोहन सिंह को क्या-क्या नहीं कहा, वही मनमोहन सिंह उनके समर्थन में 90 साल की उम्र में अच्छी सेहत नहीं होने के बावजूद मौजूद रहे.आम आदमी पार्टी के राज्यसभा में महज़ 10 सांसद हैं लेकिन दिल्ली सर्विस बिल के विरोध में उसे 102 सांसदों का समर्थन मिला.

इस बिल के समर्थन में इंडिया गठबंधन एकजुट रहा. इंडिया गठबंधन यानी इंडियन नेशनल डिवेलपमेंटल इन्क्लुसिव अलायंस पिछले महीने ही बना था. इंडिया गठबंधन में शामिल किसी भी पार्टी ने क्रॉस वोटिंग नहीं किया.

लोकसभा और राज्यसभा में दिल्ली सर्विस बिल पास होने के बाद अब राष्ट्रपति के पास जाएगा और उनके हस्ताक्षर के बाद यह क़ानून बन जाएगा. इस क़ानून का असर दिल्ली के प्रशासन पर व्यापक रूप से पड़ेगा.

लेफ्टिनेंट गवर्नर होंगे दिल्ली के बॉस

इस बिल के क़ानून बनते ही दिल्ली सरकार के अधिकार सीमित हो जाएंगे और उपराज्यपाल के अधिकार और बढ़ जाएंगे.इस बिल से नेशनल कैपिटल सिविस सर्विस अथॉरिटी बनेगी और इसी के पास नौकरशाहों की पोस्टिंग और तबादले का अधिकार होगा.हालांकि इस कमेटी के मुखिया मुख्यमंत्री होंगे लेकिन इसमें मुख्य सचिव और दिल्ली के गृह सचिव भी होंगे. फ़ैसला बहुमत से लिया जाएगा. मुख्य सचिव और गृह सचिव दोनों केंद्र के अधिकारी होंगे ऐसे में डर बना रहेगा कि बहुमत से फ़ैसले की स्थिति में दोनों केंद्र की बात सुनेंगे.कमेटी के फ़ैसले के बाद भी आख़िरी मुहर उपराज्यपाल को लगानी होगी. ऐसे में एक चुनी हुई सरकार के अधिकार ज़ाहिर तौर पर कम होंगे.

निशाने पर आम आदमी पार्टी

दिल्ली सर्विस बिल पर संसद में बहस के दौरान आम आदमी पार्टी बीजेपी के निशाने पर रही. गृह मंत्री अमित शाह ने संसद के दोनों सदनों में कहा कि दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच समन्वय को लेकर कोई मसला नहीं था जब तक केंद्र में बीजेपी या कांग्रेस और दिल्ली में बीजेपी या कांग्रेस की सरकार रही.यहाँ तक कि उन्होंने दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित की भी तारीफ़ की कि वह विवाद से ज़्यादा विकास कार्यों पर ध्यान देती थीं.

जो पार्टियां किसी के साथ नहीं रहीं

कुछ पार्टियों का रुख़ न तो एनडीए के पक्ष में था और न ही इंडिया के पक्ष में, आखिर ये पार्टियां किस ओर जाएंगी इस पर सबकी नज़र थी.इनमें सबसे बड़ा नाम था बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी. जिन्होंने लोकसभा में ये बिल पेश होने के एक दिन पहले अपना रूख़ साफ़ किया और एनडीए को अपना समर्थन दिया.

वहीं दूसरी ओर भारतीय राष्ट्र समिति और हनुमान बेनीवाल की पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, दोनों ने इस बिल का विरोध किया. इसका मुख्य कारण यह था कि दोनों पार्टियां आम आदमी पार्टी के साथ बेहतर रिश्ते रखती हैं.बहुजन समाज पार्टी इस विधेयक पर वोटिंग में शामिल ही नहीं हुई और शिरोमणि अकाली दल ने विधेयक को ‘तमाशा’ बताया.लोकसभा में ये विधेयक पहले ही पारित हो चुका था लेकिन राज्यसभा में विपक्ष के लिए कुछ उम्मीदें थीं.

पार्टी के लिए एक बड़ी दुविधा

हालांकि, जब बीजेडी और वाईएसआरसीपी ने विधेयक को अपना समर्थन देने का फ़ैसला किया तो वो उम्मीद भी ख़त्म हो गई. अब केजरीवाल सरकार के पास जो उम्मीद बची है, वो है सुप्रीम कोर्ट, जहाँ ये मामला विचाराधीन है.अगर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला भी आप के पक्ष में नहीं आता है तो ये पार्टी के लिए एक बड़ी दुविधा पैदा कर देगा.

इंडिया गठबंधन के नज़रिए से देखें तो इससे विपक्ष का आत्मविश्वास बढ़ा है. विपक्ष में पार्टियों के बीच मज़बूत एकता दिखी, ये आने वाले अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष की एकता रिहर्सल था. इस संशोधन पर चर्चा के दौरान विपक्ष की पार्टियां और क़रीब आई हैं.ख़ास कर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस जो एक दूसरे के आमने-सामने होती थी, उनमें विश्वास गहराया है. कई आम आदमी पार्टी के नेताओं ने ये माना है कि कांग्रेस ने सदन में उन्हें पूरी मज़बूती के साथ समर्थन दिया.

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