Sunday - 7 January 2024 - 5:53 AM

जब कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के बयान पर जताई हैरानी

जुबिली न्यूज़ डेस्क

उत्तर पूर्वी दिल्ली में हिंसा मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के जस्टिस मुरलीधर ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि “क्या यह जरूरी नहीं है कि हिंसा भड़काने वालों पर तुरंत एफआईआर दर्ज हो? अब हालात नियंत्रण से बाहर जा रहे हैं। भड़काऊ भाषणों के वीडियो वायरल हैं। सैकड़ों लोगों ने इन्हें देखा। तब भी आप सोचते हैं कि यह एफआईआर दर्ज करना जरूरी नहीं है? पुलिस कमिश्नर सभी वीडियो क्लिप देखकर एफआईआर दर्ज कराएं और गुरुवार तक कोर्ट को बताएं। लोगों को भरोसा होना चाहिए कि वे सुरक्षित हैं।

मुरलीधर ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई और कोर्ट रूम में भाजपा नेता कपिल मिश्रा के भड़काऊ भाषण का वीडियो चलवाया।

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वहीं पुलिस की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वे कल इस बारे में बताएंगे। मैंने अभी तक वीडियो नहीं देखे हैं। इस पर कोर्ट ने वहां मौजूद डीसीपी (क्राइम ब्रांच) राजेश देव से पूछा कि क्या आपने वीडियो देखे हैं ? इस पर डीसीपी ने जवाब दिया कि उन्होंने अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के दो वीडियो देखे हैं, लेकिन कपिल मिश्रा का वीडियो नहीं देखा। इस पर हाईकोर्ट ने कहा- यह बहुत चिंताजनक है। ऑफिस में कई सारे टीवी हैं। पुलिस अधिकारी कैसे कह सकते हैं कि उन्होंने वीडियो नहीं देखे। हम पुलिस की कार्रवाई से हैरान हैं।

दिल्ली में दूसरे ‘1984’ को नहीं होने देंगे

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि, दिल्ली में दूसरे ‘1984’ को नहीं होने देंगे।

बता दें कि 1984 में सिख दंगा हुआ था, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि हम अभी भी 1984 के पीड़ितों के मुआवजे के मामलों से निपट रहे हैं, ऐसा दोबारा नहीं होना चाहिए। नौकरशाही में जाने के बजाय लोगों की सहायता होनी चाहिए। इस माहौल में यह बहुत ही नाजुक काम है, लेकिन अब संवाद को विनम्रता के साथ बनाये रखा जाना चाहिए।

इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए बीजेपी नेताओं का वीडियो देखा।

दिल्ली हिंसा पर हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी पर केंद्र सरकार के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि डीसीपी गंभीर रूप से घायल हो गए हैं, एक कांस्टेबल की जान भी जा चुकी है। पुलिस अधिकारी के सिर में चोट लगी है और वह वेंटिलेटर पर है।

इस पर दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि जल्द से जल्द संवैधानिक पदाधिकारियों को क्षेत्र का दौरा करना चाहिए, आपको आश्वस्त होना चाहिए कि आप कहीं भी रहें आप सुरक्षित रहेंगे। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से दंगा पीड़ितों को मुआवजा सुनिश्चित करने के लिए भी कहा। कोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री प्रभावित इलाकों में निकलें और लोगों से बातचीत करें, उनमें विश्वास जगाएं।

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