Saturday - 6 January 2024 - 8:57 PM

चमचमाती WORLD CUP ट्रॉफी का लखनऊ में हुआ अनावरण, जानें इतिहास और डिजाइन के साथ बहुत कुछ

जुबिली स्पेशल डेस्क

लखनऊ। अगर आप नवाबों के शहर लखनऊ में हैं या फिर आसपास के हैं या आईसीसी वनडे विश्व कप 2023 ट्रॉफी का दीदार करना चाहते हैं तो आपके पास अच्छा मौका है।

दरअसल क्रिकेट विश्व कप की ट्रॉफी देशभर में घूम रही है। पूर्व कप्तान सौरव गांगुली के शहर कोलकाता से होते यूपी की राजधानी लखनऊ शुक्रवार को पहुंच गई।

इस ट्रॉफी का दर्शन क्रिकेट प्रेमी लखनऊ के लुलु मॉल में कर सकते हैं क्योंकि ट्रॉफी अगले दो दिन यहीं रहेगी। यहां पर क्रिकेट प्रेमी ट्रॉफी के साथ सेल्फी भी ले सकेंगे।

देश के नौ शहरों में एकदिवसीय विश्वकप के मुकाबले खेले जाने हैं। इन सभी जगहों पर ट्रॉफी के प्रदर्शन के लिए ले जाये जाने की तैयारी की गई है। लखनऊ में भी विश्वकप क्रिकेट के पांच मुकाबले खेले जायेंगे।

अक्तूबर में भारत में शुरू होने वाले वनडे क्रिकेट विश्व कप में विजेता को दी जाने वाली चमचमाती ट्रॉफी का शुक्रवार की सुबह लखनऊ पहुंची।

इसके बाद शाम को विश्वकप के पांच मैचों के आयोजन स्थल इकाना अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में ट्रॉफी का अनावरण उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव अरविन्द कुमार श्रीवास्तव, निदेशक युद्धवीर सिंह, इकाना के प्रबंध निदेशक उदय सिन्हा, रणजी क्रिकेटर सौरभ कुमार ने किया।

इस मौके पर युद्धवीर सिंह ने कहा कि इकाना स्टेडियम जमकर तारीफ की और कहा है कि यहां की खूबियों और सुविधाओं से आईसीसी पूरी तरह से संतुष्ट है। इस वजह से लखनऊ को पांच मैचों की मेजबानी मिली है।

सोने चांदी से बनी है ट्रॉफी

मौजूदा समय विजेता का दी जाने वाली वर्ल्ड कप ट्रॉफी को पॉल मार्समैन ने डिजायन किया था। इसका निर्माण गैरार्ड एण्ड कंपनी ने लन्दन में किया। इस ट्रॉफी का वजन करीब 11 किलोग्राम है। इसमें सोने और चांदी से बना एक ग्लोब है। यह ग्लोब चांदी के तीन कॉलम पर टिका है। ये कॉलम स्टम्प जैसे हैं। साठ सेंटीमीटर ऊंची इस ट्रॉफी के आधार पर पिछले विजेताओं के नाम लिखे हुए होते हैं।

विश्वकप की पांचवीं बार बनी ट्रॉफी स्थायी हुई
विश्वकप क्रिकेट के विजेता को दी जाने वाली ट्रॉफी का डिजाइन और नाम कई बार बदला पर 1999 विश्वकप से ट्रॉफी स्थायी हुई। मौजूदा समय की ट्रॉफी का डिजायन 1999 में ही तैयार किया गया था।
1975, 79 और 83 में हुए विश्वकप में विजेता को दी जाने वाली ट्रॉफी का नाम प्रूडेंशियल कप था। साल 83 में भारत ने यही ट्रॉफी जीती थी। इसके बाद 1987 में ट्रॉफी का डिजायन फिर बदला। इसको नाम दिया गया था ‘रिलायंस कप’। साल 1992 में ट्रॉफी ‘बेंसन एण्ड हेजेज कप’ था तो 1996 में ‘विल्स वर्ड कप’।
इसके बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल ने ट्रॉफी के साथ किसी का नाम जोड़ने का फैसला किया। इसके बाद उसने ट्रॉफी का नया डिजायन तैयार किया और नाम रखा ‘आईसीसी वर्ल्ड कप’। तब से ही ट्रॉफी विश्व कप विजेता को प्रदान की जाती है।

कानपुर में होगा टेस्ट मैच

इस दौरान उन्होंने कहा कि कानपुर में टेस्ट मैचों का आयोजन पहले जैसा ही होता रहेगा। उन्होंने विश्व कप की मेजाबनी को लेकर कहा कि ये गर्व की बात है हम पांच मैच की मेजबानी करने जा रहे हैं। इसके लिए बीसीसीआई के सचिव जय शाह उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला, उत्तर प्रदेश सरकार और इकाना प्रबंधन का संयुक्त प्रयास की बदौलत संभव हुआ है।

इससे पहले शुक्रवार को ट्रॉफी की अगवानी और उसका अनावरण किया गया। खेल प्रेमी इसका दीदार शनिवार और रविवार को कर सकेंगे। खेल प्रेमियों के लिए यह ट्रॉफी सुशांत गोल्फ सिटी स्थित लुलुमॉल म पूर्वाह्न 10 बजेरखी जाएगी। रविवार को भी ट्रॉफी वहीं रहेगी। सोमवार को यह अगल सफर के लिए रवाना होगी। खेल प्रेमी दूर से उसकी फोटो और सेल्फी ले सकते हैं।

13 साल बाद लखनऊ आयेगी विश्वकप ट्रॉफी

13 साल बाद विश्वकप की ट्रॉफी लखनऊ लाई गई है। यह पहला मौका होगा जब ट्रॉफी लखनऊ में प्रदर्शन के लिए लाई गई। इससे पहले 14 अक्टूबर 2010 को विश्वकप ट्रॉफी को लखनऊ के केडी सिंह बाबू स्टेडियम में लाया गया था। उस वक्त के तत्कालीन मेयर दिनेश शर्मा ने विश्वकप ट्रॉफी का स्वागत किया था।

वर्ष 1983 विश्वकप विजेता टीम के सदस्य मदनलाल भी लखनऊ आए थे। उस समय ट्रॉफी को देखने के लिए बाबू स्टेडियम पर क्रिकेट प्रेमियों की भीड़ पहुंच गई। बाबू स्टेडियम में शुभकामनाएं संदेश देने के लिए एक बैनर भी लगाया गया था। क्रिकेट प्रेमियों ने इस बैनर पर शुभकामना संदेश लिखने के साथ ही अपनी भावनाएं भी व्यक्त की थी।

 

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