Sunday - 13 July 2025 - 12:00 PM

बिहार में रोजगार पर फोकस, CM नीतीश ने 1 करोड़ नौकरियों का किया वादा

जुबिली स्पेशल डेस्क

बिहार में विधानसभा चुनाव भले ही कुछ महीनों दूर हों, लेकिन सियासी सरगर्मी पहले से ही तेज हो चुकी है। एक ओर जहां विपक्षी दल जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने युवाओं को लेकर एक बड़ा ऐलान कर दिया है।

मुख्यमंत्री ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर राज्य में रोजगार और सरकारी नौकरियों को लेकर अब तक के आंकड़े साझा किए और आने वाले वर्षों के लिए बड़ा वादा किया।

“अब तक 10 लाख को नौकरी, 39 लाख को रोजगार”

मुख्यमंत्री ने बताया कि उनकी सरकार की प्राथमिकता शुरू से ही युवाओं को सरकारी नौकरी और रोजगार उपलब्ध कराना रही है। उन्होंने लिखा,

“2005 से 2020 के बीच 8 लाख से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी दी गई। फिर 2020 में हमने ‘सात निश्चय-2’ के तहत 10 लाख नौकरियों और 10 लाख रोजगार का संकल्प लिया। बाद में इसे बढ़ाकर 50 लाख का लक्ष्य तय किया गया।”

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नीतीश कुमार ने दावा किया कि अब तक 10 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी और करीब 39 लाख लोगों को अन्य माध्यमों से रोजगार उपलब्ध कराया जा चुका है। उन्होंने विश्वास जताया कि 50 लाख के लक्ष्य को समय रहते पूरा कर लिया जाएगा।

अगले पांच साल में 1 करोड़ नौकरी और रोजगार का लक्ष्य

मुख्यमंत्री ने अपने पोस्ट में आगे कहा कि 2025 से 2030 के बीच उनकी सरकार ने 1 करोड़ युवाओं को नौकरी और रोजगार से जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसमें सरकारी नौकरियों के साथ-साथ निजी और औद्योगिक क्षेत्र में भी नए अवसर सृजित किए जाएंगे। इसके लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया जा रहा है, जो इसकी योजना तैयार करेगी।

कौशल विकास पर भी ज़ोर, बनेगा ‘कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय’

सीएम नीतीश ने यह भी बताया कि युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए कौशल विकास के कार्यक्रमों को और विस्तार दिया जाएगा। इसी उद्देश्य से राज्य में एक नया विश्वविद्यालय स्थापित किया जाएगा, जिसका नाम होगा —
जननायक कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय।

नीतीश कुमार ने कहा कि इस संस्थान के ज़रिए राज्य के युवाओं को तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे नए जमाने की ज़रूरतों के अनुसार खुद को तैयार कर सकें।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घोषणा चुनावी माहौल को देखते हुए युवाओं को साधने की कोशिश भी हो सकती है, लेकिन अगर वादे धरातल पर उतरते हैं, तो यह बिहार के लिए एक बड़ा बदलाव हो सकता है।

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