Saturday - 6 January 2024 - 3:57 PM

निशानेबाजी के लिए करना पड़ता हैं परिवार को कम्प्रोमाइज: दुष्यंत सिंह रोज

  • दोस्त से प्रभावित हो कर आया इस खेल की ओर
  • बहुत सारी जरूरतों से समझौता करना पड़ता है

जुबिली स्पेशल डेस्क

लखनऊ /गौतम बुद्ध नगर/नई दिल्ली। विवेकानंद ग्लोबल यूनिवर्सिटी का प्रतिनिधित्व कर रहे दुष्यंत सिंह रोज जयपुर के एक मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं। निशानेबाजी के खेल को धार देने के लिए उन्हें और उनके परिवार को आर्थिक तौर पर बहुत सारे कम्प्रोमाइज करने पड़ते हैं।

अपनी इच्छाओं के साथ परिवार के अन्य लोग भी शूटिंग में इस्तेमाल होने वाली चीजों (समान) की खरीदारी करने के लिए अन्य चीजों से समझौता करते हैं। यह मुझे परेशान करता है कि मेरी वजह से परिवार के अन्य लोग महंगी चीजे नही खरीद पाते हैं । उनका यह त्याग मुझे अपने गेम के प्रति और ज्यादा उत्तरदायी बनाता है।

दुष्यंत बताते हैं कि उन्होंने 2019 से निशानेबाज शुरू की और इस बार उन्हें अपनी यूनिवर्सिटी की ओर से “खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स उत्तर प्रदेश 2022” में आने का सुअवसर मिला। वह यहां पर 10 मीटर एयर पिस्टल में अपने यूनिवर्सिटी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

वह बताते हैं कि अगर खेलो इंडिया जैसा प्लेटफार्म नही होता तो शायद उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका नही मिलता। उनकी माँ अनिता रोज और पिता बलबीर सिंह रोज ने कभी भी यह अहसास नहीं कराने दिया कि वह मिडिल क्लास फैमली से हैं इसलिए उन्हें अपने खेल से कम्प्रोमाइज करना चाहिए। अन्य खिलाड़ियों की तरह दुष्यंत की भी नजर नेशनल गेम्स और उसके बाद ओलंपिक पदक पर है।

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