Friday - 5 January 2024 - 1:08 PM

आंतरिक लेखा एवं लेखा परीक्षा निदेशालय की मेहरबानी, करोड़ों का हुआ अधिक भुगतान

ओम कुमार

उत्तर प्रदेश के सरकारी विभागों में तैनात लेखाकारों और लेखा परीक्षकों को अनियमित रूप से पदोन्नति देकर करोड़ों रुपए के अधिक भुगतान किए जाने का मामला सामने आया है‌। यह मामला और भी चर्चा में इसलिए है कि आंतरिक लेखा एवं लेखा परीक्षा निदेशालय के पूर्ववर्ती निदेशकों और संबंधित पटल सहायकों की मिलीभगत से किया गया है।

क्या है पूरा मामला-

वेतन समिति 1997 -99 की संस्तुतियों के आधार पर शासन के वित्त (वेतन आयोग) अनुभाग -2 के अर्ध शासकीय पत्र दिनांक 24 सितंबर  2001 के अनुसार सहायक लेखाकार से लेखाकार एवं लेखा परीक्षक से वरिष्ठ लेखा परीक्षा के पद पर पदोन्नति के लिए विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य कर दिया गया था।

कालांतर में शासनादेश  दिनांक 10 अक्टूबर 2011 द्वारा इस विभागीय परीक्षा को समाप्त कर दिया गया।  प्राप्त सूचना के अनुसार कई विभागाध्यक्षों द्वारा दिनांक 24 सितंबर 2001 से 10 अक्टूबर 2011 के बीच शासनादेश की अनदेखी करते हुए बिना विभागीय परीक्षा पास किए ही लगभग 800 लेखाकारों और लेखा परीक्षकों को बैकडेटिंग करके पदोन्नति दे दी गई।

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विभागीय सूत्रों का कहना है कि आंतरिक लेखा एवं लेखा परीक्षा निदेशालय ने भी एक से डेढ़ लाख रुपए लेकर उनकी एसीपी भी लगा दी। इस अनियमितता के संज्ञान में होने पर अब भी ऐसे लेखाकारों और लेखा परीक्षकों की  पैसे लेकर एसीपी लगाई जा रही है। इन कार्मिकों को वरिष्ठता सूची में भी  वरिष्ठता दी गई है।

कैसे खुला मामला

सूत्र बताते हैं कि एक सरकारी विभाग में कुछ सहायक लेखाकारों को और अनियमित रूप से बिना परीक्षा पास किए ही पदोन्नति दे दी गई थी परन्तु बाद में इस विभाग के वित्त नियंत्रक जब आंतरिक लेखा एवं लेखा परीक्षा निदेशालय के निदेशक बनाए गए तब उन्होंने इसको अनियमित माना और ऐसे लेखाकारों को जो प्रोन्नति दी गई थी उन्हे निरस्त करते हुए उन्हें पदावनत  कर दिया जबकि अन्य विभागों में पदोन्नति के बाद एसीपी और सीनियारिटी का लाभ भी निदेशालय लगातार देता रहा है।

जिन कार्मिकों को पदोन्नति नहीं प्राप्त हुई या उन्हें पदावनत किया गया और विसंगति पैदा हो गई तब इन्होंने भी अपनी बैक डेट से पदोन्नति और लाभ के लिए  वर्तमान निदेशक  पर दबाव डालना शुरू किया। आंतरिक लेखा एवं लेखा परीक्षा निदेशालय की निदेशक ने  अपने पत्र संख्या आ.ले.प./ 1704/ 8308/अधि./ले.सं./लेखाकार/ एसीपी /12 दिनांक 27-7-2018 के द्वारा उत्पन्न असमानता को दूर करने के संबंध में शासन से मार्गदर्शन दिए जाने का अनुरोध किया।

शासन ने अपने पत्र संख्या एस.ई.-130/दस- 2020 -आ-6/2018 वित्त (सेवाएं) अनुभाग -1 दिनांक 13 फरवरी 2020 तथा पत्र संख्या-एस.ई.-130/237/दस-2020-03 वि.प./2017 दिनांक 17 फरवरी 2020 के द्वारा लेखाकार और लेखा परीक्षकों को बैक डेट से बिना परीक्षा पास किये ही पदोन्नति करने को अनियमित माना और इस तरह  के आदेश को निरस्त करते हुए नियमानुसार वसूली/ समायोजन करने तथा उत्तरदायी अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने का आदेश निर्गत कर दिया।

 

अनियमित पदोन्नति से लगभग आठ करोड़ का अधिक भुगतान होने की संभावना

मिली जानकारी के अनुसार एक लेखाकार /लेखा परीक्षक को प्रतिवर्ष कम से कम एक से डेढ़ लाख रुपए अधिक का भुगतान किया जा रहा है यदि 10 वर्ष का भुगतान देखा जाए तो दस लाख रूपये से अधिक का भुगतान 1 कार्मिकों किया गया इस तरफ से यदि 800 लेखाकार और लेखा परीक्षक  को किया गया भुगतान देखा जाए जिनकी पदोन्नति अनियमित रूप से की गई है तो लगभग 8 करोड़ से अधिक का भुगतान इनको अब तक किया जा चुका है। इस तरह से सरकारी राजस्व को लगभग 8 करोड़ से अधिक की क्षति पहुंचाई गई।

कुछ विभागों में पदोन्नत किए गए लेखाकारों का विवरण जुबिली पोस्ट के  पास है जिसका विवरण इस प्रकार से है-

वसूली का डर दिखाकर के एसीपी के नाम पर की जा रही है धन उगाही

नाम न बताने की शर्त पर कुछ लेखाकारों ने बताया कि आंतरिक लेखा एवं लेखा परीक्षा निदेशालय में लेखा कारों/लेखा परीक्षकों को डील करने वाला पटल सहायक इसी अनियमितता का हवाला देकर एसीपी लगाने के लिए भारी-भरकम धनराशि की मांग कर रहा है। यह डर दिखाया जा रहा है कि इसकी वसूली कर ली जाएगी।

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