Friday - 5 January 2024 - 2:15 PM

यहां वीजा के लिए मुराद मांगने आते हैं भक्त, जानिए चेन्नई की इस मंदिर की कहानी

जुबिली न्यूज डेस्क

दक्षिण भारत की एक ऐसी मंदिर जहां लोग वीजा पाने की आस्था लेकर आते हैं. ये मंदिर चेन्नई के हवाई अड्डे के पास है। दरअसल खास बात यह है कि इस मंदिर का नाम श्रीलक्ष्मी वीजा गणपति है. वीजा मंदिर के नाम से मशहूर इस प्रार्थनाघर की आस्था पूरे दक्षिण भारत में ही नहीं बल्कि कहीं दूर-दूर तक है. पिछले एक दशक में इसकी मान्यता और भी ज्यादे बढ़ी है, क्योंकि विदेश जाने वालों की तादाद लगातार बढ़ी है. छोटा या बड़ा, देश का शायद ही कोई ऐसा शहर हो जहां किसी ना किसी देश का वीजा पाने की कोशिश में लगे लोग ना हों.

हनुमान में वीजा दिलाने की ताकत

वीजा पाने की उम्मीद लगाये लोगों के बीच वीजा मंदिर की मान्यता बढ़ती जा रही है. इसमें सबसे बड़ी भूमिका सोशल मीडिया ने निभाया है. गणपति वीजा मंदिर से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर श्रीलक्ष्मी नरसिम्हा नवनीत कृष्णन मंदिर है. वहां एक हनुमान मूर्ति है. लोग मानते हैं कि यहां के हनुमान में वीजा दिलाने की ताकत है. इसलिए लोग इसे अमेरिका आंजनेय और वीजा आंजनेय भी कहते हैं.

वीजा मंदिर के रूप में मिली प्रसिद्धि

मंदिर के सचिव जीसी श्रीनिवासन कहते हैं कि मंदिर को वीजा मंदिर के रूप में प्रसिद्धि 2016 के बाद मिली है. वह बताते हैं, उस दौरान कुछ लोगों ने वीजा के लिए प्रार्थना की और सफल हो गए. फिर उन्होंने बात फैला दी और मंदिर की प्रसिद्धि मिल गई. श्रीनिवासन कहते हैं कि महीनाभर पहले उन्हें कोई मिला था जिसे उसके वीजा मिलने की खबर ही तब मिली, जब वह वीजा आंजनेय की परिक्रमा कर रहा था. एक अन्य श्रद्धालु वीजा एस प्रदीप तो वीजा की प्रार्थना के लिए नहीं आये हैं लेकिन उन्हें आंजनेय की वीजा संबंधी ताकतों पर पूरा विश्वास है. वह कहते हैं, “वह मेरे अराध्य देव हैं. अगर आप वीजा के लिए नहीं बल्कि पूरी श्रद्धा से प्रार्थना करें तो आपकी इच्छा जरूर पूरी होगी.

25 साल पुराना मंदिर

वीजा मंदिर को मोहनबाबू जगन्नाथ और उनकी पत्नी संगीता चलाते हैं. इस मंदिर को जगन्नाथ के दादा ने 1987 में बनाया था. उनका घर बंद गली का आखरी मकान है. बहुत सारी संस्कृतियों में बंद गली का आखरी मकान होना अशुभ माना जाता है. हालांकि चेन्नई में लोग मानते हैं कि गणेश मंदिर में अशुभ का प्रभाव खत्म कर देने की शक्ति है. जगन्नाथ बताते हैं कि पहले उनके मंदिर में सिर्फ पड़ोसी आते थे. वह कहते हैं, “बीते कुछ सालों में मंदिर को यह प्रसिद्धि मिलनी शुरू हुई. बहुत सारे वीजा पाने के इच्छुक लोग यहां आए और सफल होने के बाद उन्होंने इसके बारे में बात फैलाई. 2009 में जगन्नाथ के पिता राधाकृष्णन ने मंदिर का पुनर्निर्माण कराया और उसके नाम में वीजा जोड़ दिया. जगन्नाथ बताते हैं कि लोगों की सफलताओं की कहानियां दिल को छू लेने वाली हैं. कई बार तो लोग उनके घर इस बात का शुक्रिया अदा करने आते हैं कि उन्होंने मंदिर को चालू रखा है.

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‘विश्वास की बात है’

विश्वनाथन कहते हैं कि वह आमतौर पर इन बातों में यकीन नहीं रखते और दस साल पहल जब उनके भाई को ब्रिटेन का वीजा मिला तो उन्होंने इसे संयोग ही माना था. परंतु जब उनकी पत्नी को अमेरिका का वीजा मिला तो उनकी भी मान्यता हो गई. मंदिर में पूजा करने के अगले दिन विश्वनाथन को वीजा मिल गया. अब वह न्यू हैंपशर जाने की तैयारी कर रहे हैं. वह कहते हैं, “यह सब विश्वास की बात है. अगर आप विश्वास करते हैं तो सफलता मिल जाती है.

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