Friday - 12 January 2024 - 1:40 PM

UPMSCL में फिर हो रहा करोड़ों का घोटाला

ओम कुमार

लखनऊ। सूबे के अस्पतालों में दवाओं की खरीद में उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाईज कॉरपोरेशन और दवा कम्पनियों के दलालों से सांठगांठ जारी है और इस चक्कर में गैर जरूरी दवाओं की सप्लाई भी धड़ल्ले से हो रही है। इस बार मामला इंजेक्शन ऐन्टी-डी की जबरन सप्लाई लेने का है।

विभागीय सूत्रों की माने तो इसके लिये कॉरपोरेशन के साथ- साथ मिशन निदेशक भी जिले के सीएमओ पर दबाव बनाये हुए हैं। सूत्रों के अनुसार इस खरीद का सूत्रधार एक बड़ा दवा सप्लायर है, जिससे कॉरपोरेशन के कुछ अधिकारियों की सांठ-गांठ है।

जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत सर्जिकल सामग्रियों और अन्य निर्धारित दवाओं की मानक के अनुसार आपूर्ति तो की नहीं गयी बल्कि उस धनराशि से आवश्यकता न होने पर भी लगभग 10 करोड़ से अधिक मूल्य के Inj. Human Anti- D 300 mcg की खरीद करके जिलों के सीएमओ पर सप्लाई लेने का दबाव बनाया जा रहा है।

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क्या है पूरा मामला

भारत सीरम एण्ड वैक्सीन लिमिटेड की Inj. Human Anti- D 300 mcg दवा को बिना डिमाण्ड लिये ही जिलों में भेज दिया गया है। बताया जा रहा है कि कॉरपोरेशन के अधिकारियों ने इस दवा को रिसीव करने के लिये काफी दबाव बनाया जिसके कारण कुछ ने तो रिसीव कर लिया लेकिन कुछ जिलों के सीएमओ ने लेने से मना कर दिया तो मिशन निदेशक से इसकी शिकायत की गई।

 

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अब मिशन निदेशक ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के महानिदेशक को पत्र लिखा कि वह इन इकाईयों को निर्देशित करें कि Inj. Human Anti- D 300 mcg को तत्काल ले लें इसके बाद महानिदेशक ने भी पत्र लिख कर जिलों पर दबाव बना दिया।

Inj. Human Anti-D 300 mcg क्या है और रिसीव करने को लेकर क्यों है विवाद

चिकित्सकों के अनुसार शिशु की लाल रक्त कणिकाओं को नष्ट होने से बचाने के लिये उन गर्भवती महिलाओं को यह इन्जेक्शन लगाया जाता है जो आरएच निगेटिव होती हैं। चिकित्सकों के अनुसार इस तरह का केस बड़ा ही रेयर आता है, इसलिये इस इंजेक्शन की खपत भी काफी कम है।

सीएमओ क्यों नहीं ले रहे इंजेक्शन की सप्लाई

सीएमओ के अधीन सीएचसी और पीएचसी होती है, जहां विशेषज्ञ महिला डाक्टरों की भारी कमी है फिर संसाधन की कमी और विशेषज्ञ न होने के कारण गंभीर प्रसव के केस जिले के महिला चिकित्सालय रेफर कर दिया जाता है।

अभी ताजा मामला बदायूं के इस्लाम नगर पीएचसी का आया जहां विशेषज्ञ डाक्टर न होने से एक साथ चार नवजात शिशुओं की मृत्यु हुई। कुल मिलाकर इमर्जेन्सी में तो दो चार इंजेक्शन रखे जा सकते है। इसलिये बहुत ही कम मात्रा में यह इंजेक्शन प्रयोग में आता है।

मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन हजार से ऊपर Inj. Human Anti-D 300 mcg दे रहा है, जिसकी खपत नहीं हो सकती है। कुछ स्टोर से जुड़े फार्मेसिस्ट बताते हैं कि अधिकारी दबाव दे रहे हैं कि बस रिसीव कर लो खपत न होने पर कन्जम्पशन कागज पर दिखा देना।

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Inj Human Anti-D की खरीद में है करोड़ों का खेल

जिले में जारी की गयी औसतन मात्रा के अनुसार प्रदेश में लगभग 71000 Inj. Human Anti-D300 mcg की 1514 रूपये प्रति इंजेक्शन की दर से लगभग 10 करोड़ से अधिक की खरीददारी का मामला बनता है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के पैसे से हुई इस खरीद में मोटे कमीशन के फेर में अब शीर्ष स्तर से भी जबरन सप्लाई लेने का दबाव बनवाया है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के पैसे से हुई है खरीद

Inj. Human Anti-D 300 mcg एनएचएम के अंतर्गत जननी और शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के पैसे से खरीदा गया है। इस कार्यक्रम में जिले के अस्पतालों में प्रसव के समय प्रसूताओं को देने के लिये सरकार की ओर से गाज बैन्डेज, पैड, कुछ आवश्यक दवाओं सहित एक पूरा पैकेज निर्धारित है।

लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि डिस्पोजल आइटम सहित मानक के अनुरूप कोई सामान कार्पोरेशन द्वारा नहीं दिया गया है, और अब इस पैसे से Inj. Human Anti-D 300 mcg खरीद कर कार्पोरेशन जबरन दे रहा है।

इस दवा की जरूरत बहुत ही कम है और पहले का स्टाक अभी पड़ा है तो यह कैसे खर्च होगा। तब यह रखे-रखे ऐक्सपायर होगा या फिर फर्जी कन्जम्पशन कागज पर दिखाना होगा जिससे सरकारी पैसे की बर्बादी होगी।

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बिना डिमाण्ड के पहले ही दिया, अब नहीं ले रहे वापस

कुछ चिकित्सा इकाईयों से सम्पर्क करने पर पता चला कि 2018 में प्राप्त कराये गये Inj. Human Anti-D 300 mcg अब तक स्टाक में अवशेष है और अब फिर इन्हें लेने का दबाव दिया जा रहा है।

कार्पोरेशन अधिकारियों को कई बार लिखा गया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। सूत्रों के अनुसार Inj. Human Anti-D 300 mcg सहित कई दवायें स्टाक में पड़ी ऐक्सपायर हो रही हैं जिसे कार्पोरेशन ने अनुरोध के बाद भी वापस नहीं लिया है और मार्गदर्शन मांगने पर कोई जवाब न देकर कार्पोरेशन के अधिकारी मौखिक रूप से दवा को जबर्दस्ती खपत करने का दबाव बना रहे हैं। कुछ बानगी भी देख लें –

स्वास्थ्य महकमें में अब सभी अधिकारी इस बात को मान चुके हैं कि मेडिकल कारपोरेशन बिना डिमाण्ड के घटिया दवा और सर्जिकल सामान देगा और न लेने पर सरकार में बैठे लोग कारवाई कर देंगे। यही नियति बन चुकी है।

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