Tuesday - 9 January 2024 - 11:14 AM

निजी लैब में कोरोना वायरस की जांच के लिए चुकाने होंगे 4500 रुपये!

 

न्यूज डेस्क

कोरोना वायरस को लेकर भारत समेत पूरी दुनिया में हाहाकार मचा है। चीन से फैले इस लाइलाज महामारी कोविड-19 के मरीजों की संख्या भारत में लगाता बढ़ रही है। ऐसे में अपनी जांच कराने के लिए लोग सरकारी अस्पकतालों की तरफ भाग रहे हैं। लोगों की भीड़ को देखते हुए सरकार ने निजी प्रयोगशालाओं में भी COVID-19 की जांच कराए जाने के लिए  व्यवस्था करने की आदेश दिए हैं।

साथ ही केंद्र सरकार ने शनिवार को सिफारिश की है कि निजी प्रयोगशालाओं की ओर से प्रत्येक कोविद-19 परीक्षण के लिए अधिकतम शुल्क 4,500 रुपये से अधिक नहीं लिया जाना चाहिए। निजी प्रयोगशालाओं में COVID-19 परीक्षण के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा जारी दिशा निर्देशों को जारी किया है

इसके अनुसार, NABL मान्यता प्राप्त सभी निजी प्रयोगशालाओं को COVID-19 परीक्षण करने की अनुमति होगी, जिसे शनिवार रात केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से अधिसूचित किया गया था।

नेशनल टास्क फोर्स की सिफारिश के मुताबिक, टेस्ट का अधिकतम शुल्क 4,500 रुपये से ज्यादा नहीं हो सकता। संदिग्ध मरीजों की स्क्रीनिंग टेस्ट के लिए 1500 रुपये और कनफर्मेशन टेस्ट के लिए अतिरिक्त तीन हजार रुपये निर्धारित किए गए हैं।

हो सकती है कानूनी कार्रवाई

निर्देशों में यह भी बताया गया है कि जांच की फीस सब्सिडी रेट पर ली जा सकती है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी इस निर्देश में यह भी कहा गया है कि इस नियम का उल्लंघन करते पकड़े जाने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

बनाये जायेंगे अलग सैंपल कलेक्शन सेंटर

दिशा-निर्देशों में सैंपल जुटाने के दौरान बेहद एहतियात बरते जाने की सलाह दी गई है। आईसीएमआर ने कहा है कि मरीजों के सैंपल लेते वक्त बायोसेफ्टी और बायोसिक्योरिटी का पूरा ख्याल किया जाना चाहिए। इसके लिए कोविद-19 के मरीजों के लिए अलग से सैंपल कलेक्शन सेंटर बनाए जाने की बात कही गई है। निजी प्रयोगशालाएं घरों से सैंपल ले सकती हैं, ताकि कोई मरीज अन्य लोगों के संपर्क में न आए।

यूएस एफडीए यूरोपीय सीई से प्रमाणित हो टेस्ट किट

जारी किये गये दिशा निर्देशों में कहा गया है कि कोविद-19 का टेस्ट किट यूएस एफडीए से अनुमोदित या यूरोपीय CE प्रमाणित होना चाहिए और इसकी पूरी सूचना भारत में ड्रग कंट्रोलर जनरल को होनी चाहिए। इसके साथ ही प्रयोगशाला के कर्मचारियों को इसके लिए उचित रूप से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। सभी बायोमेडिकल कचरे को राष्ट्रीय दिशानिर्देशों के अनुसार निपटाया जाना चाहिए।

बताते चलें कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कहा था कि अगर कोई निजी लैब चाहे तो वह मुफ्त में कोरोना वायरस की जांच कर सकती है। इसके बाद निजी क्षेत्र के लैब संचालकों ने बड़े सवाल खड़े किए थे।

इनके अनुसार इस आपात स्थिति में वे सरकार का सहयोग देने के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्हें मूलभूत खर्च भी मिलना चाहिए। ताकि वह एक सैंपल पर होने वाले खर्च को प्राप्त कर सकें।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com