जुबिली न्यूज डेस्क
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी दलित समुदाय को साधने में जुट गए हैं। पिछले कुछ महीनों में उन्होंने आधा दर्जन बार बिहार का दौरा किया, जिनमें से एक खास यात्रा ‘माउंटेन मैन’ दशरथ मांझी के गांव गेहलौर की थी। राहुल गांधी न केवल मांझी के परिवार से मिले, बल्कि उनके लिए चार कमरे का पक्का मकान भी बनवा रहे हैं, जो अब आधा तैयार हो चुका है।
कांग्रेस इस पहल के जरिए दशरथ मांझी की संघर्षपूर्ण छवि को राजनीतिक तौर पर साधना चाहती है ताकि बिहार में अपने पारंपरिक दलित वोट बैंक को फिर से सक्रिय किया जा सके।
मांझी की विरासत, राहुल की रणनीति
दशरथ मांझी का नाम आज भी बिहार के हर कोने में सम्मान के साथ लिया जाता है। उन्होंने अकेले पहाड़ काटकर रास्ता बनाया था, जिस पर बाद में फिल्म भी बनी। उनके संघर्ष की गूंज इतनी व्यापक थी कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें प्रतीकात्मक रूप से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भी बैठाया था।
हालांकि, उनके परिवार की स्थिति आज भी कमजोर है। जब राहुल गांधी ने जून में गेहलौर गांव का दौरा किया तो दशरथ मांझी के बेटे भगीरथ मांझी ने उनसे पक्का मकान दिलाने की गुहार लगाई। राहुल गांधी ने यह जिम्मेदारी ली और अब वह मकान आधा बनकर तैयार है।
राजनीति में उतर चुके हैं भगीरथ मांझी
दशरथ मांझी के बेटे भगीरथ पहले जेडीयू में थे लेकिन अब कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। उन्होंने संकेत दिया है कि वे आगामी चुनाव लड़ना चाहते हैं और कांग्रेस से विधानसभा टिकट की उम्मीद कर रहे हैं।
दलित वोटों की वापसी के लिए कांग्रेस की नई कवायद
कांग्रेस बिहार में अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय के वोटर्स को फिर से जोड़ने की कोशिश कर रही है।
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हाल ही में दलित नेता राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष और सुशील पासी को सह-प्रभारी बनाया गया।
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पासी नेता जगलाल चौधरी की 130वीं जयंती भी पहली बार धूमधाम से मनाई गई, जिसमें राहुल गांधी भी शामिल हुए।
यह सब कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा है, जिसके जरिए पार्टी राज्य की 19% दलित आबादी को फिर से अपनी ओर खींचना चाहती है।
बिहार में कांग्रेस का गिरता ग्राफ
1990 में कांग्रेस का वोट शेयर 24.78% था, जो लगातार गिरता गया:
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1995 में 16.3%
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2000 में 11.06%
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2005 में मात्र 6.09%
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2020 में 9.48% (19 सीटें, जिनमें 5 आरक्षित)
1990 के दशक के बाद कांग्रेस दलित वोटर्स से कटती चली गई और इनका झुकाव नीतीश कुमार की जेडीयू और अन्य क्षेत्रीय दलों की ओर बढ़ा। अब कांग्रेस फिर से उन्हें साधने के प्रयास में है।
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क्यों है मांझी परिवार से जुड़ाव अहम?
दशरथ मांझी मुसहर जाति से आते हैं, जो अनुसूचित जाति वर्ग में आते हैं। कांग्रेस उनकी छवि के जरिए न केवल सहानुभूति और सम्मान का संदेश देना चाहती है, बल्कि यह भी जताना चाहती है कि वह ‘वंचितों के साथ’ है।