Sunday - 14 January 2024 - 3:37 PM

सरकार कब अपनी आंखें खोलेगी?

न्‍यूज डेस्‍क

अर्थव्यवस्था में सुस्ती और वाहनों की बिक्री में गिरावट को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मंगलवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और सवाल किया कि आखिर सरकार मंदी पर अपनी आंखें कब खोलेगी।

 

उन्होंने ट्वीट कर कहा, “अर्थव्यवस्था मंदी की गहरी खाई में गिरती ही जा रही है। लाखों हिंदुस्तानियों की आजीविका पर तलवार लटक रही है।”

प्रियंका ने कहा, ”ऑटो सेक्टर और ट्रक सेक्टर में गिरावट ‘प्रोडक्शन-ट्रांसपोर्टेशन’ में नकारात्मक विकास और बाजार के टूटते भरोसे की निशानी है। ” उन्होंने सवाल किया, ”सरकार कब अपनी आंखें खोलेगी?

बता दें कि प्रियंका गांधी के साथ साथ कांग्रेस के तमाम बड़े नेता आरोप लगा रहे हैं कि नोटबंदी और जीएसटी के दोहरे अटैक का असर साफ तौर पर नजर आ रहा है। मौजूदा सरकार अपनी खामियों को छिपाने के लिए उन विषयों को उठा रही है जिसका आम जनता से सीधा सरोकार नहीं है। लोगों के पास दो जून की रोटी नहीं है। असंगठित क्षेत्र तो पहले से ही बेहाल था अब संगठित क्षेत्र भी मंदी की चपेट में आ गया है।

मारूति के प्लांट ने दो दिनों के लिए काम को रोक दिया था और अब अशोक लेलेंड भी उसी नक्शेकदम पर है। सरकार दावा कर रही है कि वैश्विक स्तर पर उत्पन्न हालात का असर हो रहा है। लेकिन सवाल ये है कि सरकार आखिर क्या कर रही है। सरकार एक तरफ आरबीआई के रिजर्व धन को लूट रही है तो दूसरी तरफ कर्ज लेकर दूसरे देशों को कर्ज दे रही है।

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले 100 दिन में सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक मोर्च पर मिल रही है। इन दिनों देश की अर्थव्यवस्था पर आर्थिक मंदी के संकट मंडरा रहे हैं। देश की जीडीपी का 5 फीसदी तक पहुंच जाना अगले 5 साल के लिए एक खतरे की घंटी है।

इसका असर देश के शेयर मार्केट और सोने की कीमतों पर भी दिख रहा है। तमाम सेक्टर में मंदी की आहट आई है। ऐसे में मोदी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती अर्थव्यवस्था को रफ्तार देना है जिसके लिए सरकार अब कुछ कदम उठाती नजर आ रही।

आर्थिक मंदी को काउंटर करने के लिए मोदी सरकार ने बैंकों का विलय करने जैसे कदम उठाए हैं। हालांकि मंदी की चपेट में आयी अर्थव्यवस्था को अगले 100 दिनों में नियंत्रण करना आसान नहीं है।

देश में आर्थिक मंदी की आहट के चलते इस वक्त मोदी सरकार के सामने बड़ी चुनौती देश में बढ़ती बेरोजगारी है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में वृद्धि दर पिछले साल के मुकाबले 12 फीसदी से घटकर महज 0.6 फीसदी रह जाने से इस क्षेत्र में अब लाखों लोगों की नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है।

इसके अलावा ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल समेत कई सेक्टरों में गिरावट के चलते बड़ी संख्या में लोगों की नौकरी जाने का संकट छाया हुआ है। ये संकट फिलहाल 100 दिनों तक ऐसे ही बने रहने की संभावना है। ऐसे में मोदी सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

Radio_Prabhat
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