जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली | भारत की जेलों में बढ़ते कट्टरपंथ को लेकर गृह मंत्रालय गंभीर हो गया है। मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर जेलों में कट्टरपंथी गतिविधियों की निगरानी और नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। यह पत्र देश की आंतरिक सुरक्षा और सामाजिक स्थिरता को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया है।

बढ़ते कट्टरपंथ को माना राष्ट्रीय खतरा
गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि जेलों में मौजूद सामाजिक अलगाव, निगरानी की कमी, और उच्च जोखिम वाले कैदियों के बढ़ते प्रभाव के चलते कट्टरपंथ बढ़ रहा है। इससे जेल के भीतर ही नहीं, जेल से बाहर भी हिंसा और उग्रवाद फैलने का खतरा है।
इन सुधारों पर दिया गया विशेष जोर:
1. जोखिम मूल्यांकन और स्क्रीनिंग अनिवार्य
सभी कैदियों की समय-समय पर मानसिक, सामाजिक और स्वास्थ्य मूल्यांकन की व्यवस्था की जाएगी। इससे यह पहचानना आसान होगा कि कौन कैदी उग्र विचारधारा की ओर झुकाव दिखा रहा है।
2. उच्च जोखिम वाले कैदियों को अलग रखने के निर्देश
ऐसे कैदियों को आम कैदियों से अलग रखा जाएगा, जो कट्टरपंथी सोच फैलाने में शामिल हो सकते हैं।
3. व्यवहार आधारित निगरानी प्रणाली
कट्टरपंथी विचारधारा की पहचान के लिए व्यवहार पर आधारित मूल्यांकन प्रणाली विकसित करने पर जोर दिया गया है।
4. विशेष उच्च सुरक्षा वाले जेल परिसरों का सुझाव
खतरनाक और कट्टरपंथी कैदियों को रखने के लिए अलग, विशेष सुरक्षा वाले जेल परिसर बनाए जाने की सिफारिश की गई है।
5. काउंसलिंग, शिक्षा और पुनर्वास पर ज़ोर
जेलों को केवल दंड स्थल न मानकर सुधार और पुनर्वास केंद्र के रूप में विकसित करने की बात कही गई है। इसके लिए शिक्षा, मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग और सामाजिक समर्थन को बढ़ावा दिया जाएगा।
6. परिवार से संपर्क बना रहना जरूरी
कैदियों और उनके परिवार के बीच संपर्क को बनाए रखने को कट्टरपंथ पर रोक का एक अहम उपाय माना गया है।
7. खुफिया नेटवर्क और निगरानी उपकरण मजबूत होंगे
जेलों के भीतर CCTV निगरानी, खुफिया तंत्र और डिजिटल निगरानी को भी सशक्त करने की बात कही गई है।
ये भी पढ़ें-तंबाकू जितना खतरनाक? समोसे-जलेबी पर भी लगेगी चेतावनी! सरकार ने उठाया बड़ा कदम
जेल से बाहर भी होगी निगरानी
गृह मंत्रालय ने इस बात पर भी जोर दिया कि जेल से छूटने के बाद भी कैदी पर फॉलोअप निगरानी प्रणाली विकसित की जाए, ताकि वे दोबारा समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें और चरमपंथ की मानसिकता में बदलाव लाया जा सके।
 Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
				
 
						
					 
						
					 
						
					 
						
					 
						
					