Saturday - 25 October 2025 - 9:07 AM

लिट्फेस्ट

हिन्दी पत्रकारिता पर भारी पड़ी है कोरोना काल में अर्थव्यवस्था पर चोट

जुबिली न्यूज़ डेस्क लखनऊ. कोरोना संकट के इस दौर में अर्थव्यवस्था पर पड़ी चोट ने पहले से ही तमाम संकटों से जूझ रही हिन्दी पत्रकारिता को खासा नुकसान पहुंचाया है। हालांकि बड़े बाजार और निरंतर प्रगति कर रही हिन्दी पत्रकारिता का आने वाला दौर बेहतर होने की उम्मीद बरकरार है। …

Read More »

त्रासदी की ग़ज़ल : रोटियाँ तो रेलवाली पटरियाँ सब खा गईं

संकट काल में संवेदनाएं झकझोरती है और कलमकार उसे अल्फ़ाज़ की शक्ल में परोस देता है. ये वक्त साहित्य रचता है और ऐसे वक्त के साहित्य को बचा कर रखना भी जरूरी है. जुबिली पोस्ट ऐसे रचनाकारों की रचनाएं आपको नियमित रूप से प्रस्तुत करता रहेगा । सुपरिचित कवियत्री रचना मिश्रा …

Read More »

त्रासदी की कविता : देवेन्द्र आर्य ने देखा “पैदल इंडिया”

संकट काल में संवेदनाएं झकझोरती है और कलमकार उसे अल्फ़ाज़ की शक्ल में परोस देता है । ये वक्त साहित्य रचता है और ऐसे वक्त के साहित्य को बचा कर रखना भी जरूरी है। जुबिली पोस्ट ऐसे रचनाकारों की रचनाएं आपको नियमित रूप से प्रस्तुत करता रहेगा । देवेन्द्र आर्य की …

Read More »

चंचल की डायरी : किस्सा सुनील दत्त के जुलूस का

चंचल दादा की जवानी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति में बीती, उसके बाद दिल्ली में। समाजवाद का ककहरा और पेंटिंग साथ साथ चलते रहे। राजनीति और कला के बीच उन्होंने अपनी किस्सागोई की अलग पहचान बनाई है। फिलहाल जौनपुर के अपने गावं में बने समताघर में रह रहे हैं …

Read More »

मालविका हरिओम की ताज़ा ग़ज़ल : ये कलियुग है यहाँ भूखा कभी रोटी नहीं पाता

आपदा काल में मालविका हरिओम लगातार मजबूरों के दर्द को गज़लों की शक्ल में सामने ला रही हैं । अपनी गज़लों के जरिए वे मानवीय संवेदना को झकझोर रही हैं। बतौर शायर मालविका ने इस वक्त के हालात पर काफी कुछ लिखा है । उनकी ये ताजा गजलें पढिए । …

Read More »

त्रासदी में कहानी : “बादशाह सलामत जिंदाबाद”

अनूप मणि त्रिपाठी आज रहम दिल बादशाह निकला है अपनी रिआया का हाल जानने। वैसे तो वह अपने किले की फ़सील से ही मुल्क के नाम पैगाम देकर अपनी रिआया से मुखातिब होता रहा है। पर आज वह निकला है। निकला भी क्यों क्योंकि बहुत दिनों से उसने गैर मुल्कों …

Read More »

त्रासदी की कविता : प्रेम विद्रोही ने जो लिखा

संकट काल में संवेदनाएं झकझोरती है और कलमकार उसे अल्फ़ाज़ की शक्ल में परोस देता है । ये वक्त साहित्य रचता है और ऐसे वक्त के साहित्य को बचा कर रखना भी जरूरी है। जुबिली पोस्ट ऐसे रचनाकारों की रचनाएं आपको नियमित रूप से प्रस्तुत करता रहेगा । पेशे से …

Read More »

त्रासदी की कविता : नरेंद्र कुमार की कलम से

संकट काल में संवेदनाएं झकझोरती है और कलमकार उसे अल्फ़ाज़ की शक्ल में परोस देता है । ये वक्त साहित्य रचता है और ऐसे वक्त के साहित्य को बचा कर रखना भी जरूरी है। जुबिली पोस्ट ऐसे रचनाकारों की रचनाएं आपको नियमित रूप से प्रस्तुत करता रहेगा । नरेंद्र कुमार …

Read More »

त्रासदी की ग़जल : मालविका हरिओम की कलम से

संकट काल में संवेदनाएं झकझोरती है और कलमकार उसे अल्फ़ाज़ की शक्ल में परोस देता है । ये वक्त साहित्य रचता है और ऐसे वक्त के साहित्य को बचा कर रखना भी जरूरी है। जुबिली पोस्ट ऐसे रचनाकारों की रचनाएं आपको नियमित रूप से प्रस्तुत करता रहेगा । मालविका हरिओम …

Read More »

#CoronaDiaries: हवा खराब है। आकाश मायावी

अभिषेक श्रीवास्तव हवा खराब है। आकाश मायावी। मैंने दोनों को उन्चास दिन बाद देखा। घंटों। गाजियाबाद से दिल्ली। दिल्ली से गुड़गांव। और वापसी में। इतनी भारी हवा मैंने केवल ओडिशा के समुद्र तट पर महसूस की थी इससे पहले। लेकिन उसमें नमक था। इसमें नहीं। इतना उदास आकाश मैंने कोई …

Read More »
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com