Tuesday - 22 April 2025 - 3:36 AM

जुबिली डिबेट

स्मृति ईरानी: लीक तोड़ने की वजह होनी चाहिए

राजनीति में पैंतरेबाजी का अभिन्न महत्व है। इस मामले में कोई दूध का धुला नही है। रणनीतिक जरूरतों के लिए कई बार पार्टिया और नेता पटरी से उतर जाते हैं। राजतंत्र में तो यह होता ही था, लोकतंत्र में भी होता है। दिशा सूचक बिंदुओं की आम सहमति राजनीति साम-दाम-दण्ड-भेद …

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लखनऊ में भाजपा की घेराबंदी के नाम पर ये क्या?

रतन मणि लाल उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र होने की वजह से सभी दलों और नेताओं के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन इस बार के लोक सभा चुनाव में ऐसा लगता है कि प्रमुख विपक्षी दल ने केवल लखनऊ को गंभीरता से नहीं ले रहे, बल्कि यहाँ …

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आप चुन रहे या चुने जा रहे?

डॉ. श्रीश पाठक अमेरिका के स्वतन्त्रता संग्राम का प्रमुख नारा था- ‘बिना प्रतिनिधित्व के कर नहीं!’ अपने प्रतिनिधियों को चुनने का हक़, लोकतंत्र में एक बुनियादी हक़ है। शक्ति का केन्द्रीकरण न हो, लोकतंत्र के लिहाफ में कहीं कोई तानाशाह न तनकर खड़ा हो जाए, फिर विकास की बनावट में …

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‘भीष्म पितामह’ से सुषमा स्वराज की गुहार

के.पी. सिंह भीष्म पितामह महाभारत में कौरव पक्ष की ओर से लड़े थे लेकिन वे पांडवों और यहां तक कि भगवान श्रीकृष्ण के लिए भी अंत तक वंदनीय रहे। हस्तिनापुर साम्राज्य के वे सहज उत्तराधिकारी थे, लेकिन उन्होंने इस अधिकार का परित्याग कर दिया। उनके त्याग के कई उदाहरण हैं। …

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जर्मनी में मरीजों की मुश्किलें अब होगी कम

अंकित प्रकाश अगर आप ये सोचते हैं कि आप जर्मनी में जब चाहे तब डाक्टर से मिल सकते हैं और इलाज करा सकते हैं तो आप बिलकुल गलत सोच रहे हैं। डॉक्टर से मिलना यहाँ पर एक बड़ा काम है। पहले आपको अपॉइंटमेंट लेना होता है और मिलने की तारीख …

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भारत की गौरव पताका बन गया है बाबा साहब का नाम

के.पी. सिंह समूची दुनियां में आज बाबा साहब अंबेडकर के नाम से भारत का गौरव बढ़ रहा है। भेदभाव के खिलाफ दुनियां के किसी भी कोने में सम्मेलन हो बाबा साहब के विचारों की चर्चा उनका अनिवार्य हिस्सा होता है। अमेरिका की कोलम्बिया यूनीवर्सिटी के ढाई सौ वर्ष के इतिहास …

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दुर्भाग्यपूर्ण है धार्मिक कथानकों को चुनावी संग्राम में रेखांकित करना

डा. रवीन्द्र अरजरिया  चुनावी महासंग्राम में मर्यादाओं को तिलांजलि देने की होड लग गई है। कहीं अपशब्दों का प्रयोग तो कहीं मनमाना आचरण किया जा रहा है। अनेक दलों की षडयंत्रकारी योजनाओं का व्यवहारिकस्वरूप सामने आने लगा है। निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों को दर-किनार करके न केवल शब्द बाणों के …

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पहेलियों जैसी अबूझ हो रही समकालीन राजनीति

केपी सिंह  समकालीन राजनैतिक परिदृश्य में पहेलियों जैसे उलझाव से भरे रोचक तत्व शामिल हो रहे हैं। बोफोर्स का प्रेत राफेल विमानों की खरीद में घेरे जाने से परेशान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बोफोर्स दलाली के गड़े मुर्दे को उखाड़ दिया। हैरत की बात तो यह है कि इस पर …

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राम के बाद अब बजरंग बली भी हुए सियासी!

प्रीति सिंह भारतीय राजनीति में भगवान के नाम पर सियासत नई नहीं है। तीन दशक से हर चुनाव में राम मंदिर का मुद्दा प्रमुखता से उठाया जाता रहा है। इस चुनाव में भी राम मंदिर निर्माण का मुद्दा है। फिलहाल भारतीय राजनीति में एक और भगवान का प्रवेश हो गया …

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करिश्माई निशानेबाज हैं मोदी!

कृष्णमोहन झा देश में लोकसभा चुनाव अभियान जोर पकड़ने लगा है। अत एव केन्द्र की सत्ता में आसीन बीजेपी और विरोधी दलों के मध्य आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला भी अब चरम पर है। विपक्ष बिखरा हुआ है इसलिये विभिन्न विपक्षी दलों के नेता अपने-अपने तरीके से भाजपा एवं मोदी सरकार …

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