Friday - 18 April 2025 - 9:03 PM

जुबिली डिबेट

खतरे की घंटी है ग्लेशियर का पिघलना

प्रीति सिंह पिछले कुछ दिनों से ग्लोबल वार्मिंग पर खूब बहस हो रही है। दरअसल ग्लोबल वार्मिंग से मचने वाली तबाही पर चर्चा हो रही है। पूरी दुनिया के पर्यावरणविद् और वैज्ञानिक ग्लेशियर के पिघलने की वजह से चिंतित हैं। पिछले दिनों एक ग्लेशियर की मौत पर दुनियाभर के वैज्ञानिकों …

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अथ श्री भैंस कथा

सुरेन्द्र दुबे आइये आज आपको एक कथा सुनाते हैं। कथा सुनाने का प्राचीन काल से रिवाज है। कथा सही है या गलत इस पर कभी कोई बहस नहीं होती। होनी भी नहीं चाहिए। जो हमने पुरखों से सुना वही सत्य वचन है। वैसे भी कथा का मतलब होता है कोई …

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क्या संभव है प्लास्टिक से मुक्ति

प्रीति सिंह दुनिया के कई देशों में प्लास्टिक पर पाबंदी लगी है। भारत में भी कई सालों से जोर-शोर से प्लास्टिक पर पाबंदी की मांग उठती रही है। हालांकि भारत के कई राज्यों में प्लास्टिक प्रतिबंधित है, लेकिन कुछ शर्तों  के साथ। वर्तमान में प्लास्टिक मानवजाति के लिए ही नहीं …

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अब आलोचकों को भी योगी सरकार के बारे में बदलनी पड़ रही धारणा

केपी सिंह शिक्षक दिवस पर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में इस बार एक अलग पाठशाला आयोजित होगी। राजभवन में होने वाली इस पाठशाला में शिक्षक की भूमिका में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रहेंगे। इसमें मुख्य रूप से नये मंत्रियों को लोकलाज की चिंता करने का …

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छपास रोग से ग्रसित साध्‍वी ने फिर कराई फजीहत

सुरेंद्र दुबे  भोपाल की भाजपा सांसद साध्‍वी प्रज्ञा ठाकुर एक बार फिर सुर्खियों में आ गई हैं। उन्‍हें मालूम है कि अगर वह कोई बुद्धिमत्‍ता पूर्ण बयान देंगी तो मीडिया वाले उन्‍हें कतई घास नहीं डालेंगे। इसलिए इस बार उन्‍होंने विपक्ष पर भाजपा नेताओं के खिलाफ मारक शक्तियों का इस्‍तेमाल …

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उलटबांसी : हिंदू राष्‍ट्र के लिए कुत्‍ते का अनुमोदन

अभिषेक श्रीवास्तव इस भंगुर जगत में हर प्राणी खुद को अहिंसक मानता है। इसीलिए अपने बिरादर से कोई, कभी डरता नहीं। आदमी, आदमी से नहीं डरता। कुत्‍ता, कुत्‍ते से नहीं डरता। हां, आदमी कुत्‍ते से डर सकता है। कुत्‍ता भी आदमी से डर सकता है। आदमी के भीतर ही देखिए।हिंदू, …

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अस्तित्वविहीन होते जंगल और पर्यावरण

प्रीति सिंह प्रकृति में हर चीज का अपना महत्व है। प्रकृति में उपलब्ध हवा, मिट्टी और पानी सीमित रूप से ही जीवन को पाल सकती है। प्रकृति सबको स्वतंत्र रूप से निशुल्क सब कुछ देती है और हमेशा अपेक्षा करती है कि हम इसकी अहमियत को समझेंगे। पर वर्तमान परिवेश …

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जिस्म की मौत कोई मौत नहीं होती है

शबाहत हुसैन विजेता मौत उसकी है करे जिसका ज़माना अफ़सोस यूं तो दुनिया में सभी आये हैं मरने के लिए अरुण जेटली की मौत की खबर मिली। साल 2019 का अगस्त महीना पहले सुषमा स्वराज को लील गया और अब अरुण जेटली को।हिन्दुस्तान की सियासत में यह दोनों ऐसे नाम …

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क्या कांग्रेस को उन्नीसवी सदी के शुरूआती दशकों में लौट जाना चाहिए

के पी सिंह कांग्रेस पार्टी के भविष्य पर अंधेरा छाया हुआ है। जिसने पार्टी के दिग्गजों को विचलित कर रखा है। इन स्थितियों के बीच कांग्रेस के तीन बड़े बुद्धिजीवी चेहरों के हथियार डालने की मुद्रा जताने वाले बयान ट्वीट के माध्यम से एक के बाद एक सामने आये हैं। …

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अंग्रेजी में लौटने लगे हैं शिक्षा के वैदिक मूल्य

डा. रवीन्द्र अरजरिया ज्ञान के बिना जीवन पशुवत है, स्वामी विवेकानन्द का यह आदर्श वाक्य सामाजिक मर्यादाओं, अनुशासन और अनुबंधों को रेखाकित करने के लिये पर्याप्त है। समाज और सामाजिकता के मध्य मानवीयता की स्थिति वर्तमान में हिचकोलें ले रही है। संस्कार नाम की संस्था कही विलुप्त सी हो गई …

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