Saturday - 6 January 2024 - 1:21 PM

रनवे से ही भटक गयी उड़ान योजना, मोदी सरकार के दावे ऐसे हुए फेल

जुबिली न्यूज डेस्क

नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) ने केंद्र सरकार की एक और योजना पर सवाल खड़ा किया है. कैग की तरफ से पहले बताया गया कि सरकार की आयुष्मान योजना में कुछ घपले हुए हैं. फिर बताया गया कि द्वारका एक्सप्रेसवे के निर्माण में अधिक पैसे खर्च हुए हैं. अब कैग ने सिविल एवीएशन की महत्वाकांक्षी उड़ान योजना को लेकर भी बहुत सारे सवाल उठाया है.  कैग ने उड़ान योजना को लेकर बड़ा खुलासा किया है. भारत सरकार के महत्वपूर्ण उड़ान योजना को लेकर कैग ने अपनी रिपोर्ट जारी की है.

कैग की रिपोर्ट ने खड़े किए कई सवाल

बता दे कि एससे पहले भी कैग ने भारत सरकार की कई योजनाओं को लेकर बड़े खुलासे किए है. आयुष्मान योजना के बाद उड़ान योजना को लेकर अपनी रिपोर्ट जारी की है और साथ ही कई खुलासे किए है. सरकार जहां आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारिया कर कही है और जनता को अपनी काम गीनवा रही है. ऐसे में कैग द्वरा जारी की गई रिपोर्ट ने कई बड़े सवाल खड़े कर दिए है.

ये रिपोर्ट बताती है कि योजना की रफ्तार वो नहीं है जिसकी बात की जा रही थी . रिपोर्ट के मुताबिक क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना के तहत कुल 774 रूट में से सिर्फ मार्च दो तीन तक 22.8 प्रतिशत यानी 174 रूट पर ही उड़ान की शुरुआत हुई है.

मात्र 40 प्रतिशत का ही उपयोग किया

इस योजना के तहत कुल 169 एयरपोर्ट, हेलिपोर्ट वॉटरएयर ड्रोम का निर्माण या पुनर्विकसित करना था. जिसमें से 83 का उपयोग ही नहीं हुआ. वहीं 56 यानि कि करीब 40 प्रतिशत का ही उपयोग किया जा रहा है. साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि मुसाफिर भी घटे हैं .

21-22 में 32.9 लाख लोग इस योजना के तहत ट्रेवल किया जो 22-23 में कम होकर 24.9 लाख हो गए . कुशीनगर एरपोर्ट जिसका निर्माण इस योजना के तहत हुए. लेकिन इस बिल्डिंग का मार्च दो हजार बाईस तक उपयोग ही नहीं किया गया . साथ ही एयरपोर्ट के पास स्टेट पलूशन कंट्रोल बोर्ड से जरूरी कंसेंट तो ऑपरेट का सर्टिफिकेट भी नहीं है.

उड़ान योजना के असफल होने की वजह

कैग ने उड़ान योजना के सफल नहीं होने के कारण भी बताए हैं. उड़ान योजना के लिए चुने गए एयरपोर्ट व एयरस्ट्रिप का समय पर विकास या सुधार नहीं हो पाया. ऐसे कुल 116 एयरपोर्ट और एयरस्ट्रिप थे। इनमें से 83 पर संचालन शुरू नहीं हो पाया. सरकार ने इन एयरपोर्ट्स पर कुल 1089 करोड़ रु. खर्च किए हैं.

टिकट बुकिंग में भी धांधली

रीजनल कनेक्टिविटी योजना में प्रावधान था कि ऑपरेटर पहले रियायती किराए वाले टिकट बेचेंगे. बाद में गैर रियायती टिकट बेच पाएंगे. CAG ने स्पाइस जेट, इंडिगो आदि के टिकटिंग सिस्टम की पड़ताल की।इससे पता चला कि रियायती दरों वाली सीटों की उपलब्धता नहीं बताई जा रही थी. लिहाजा यात्रियों को पता नहीं चल पाया कि रियायती सीटों की उपलब्धता कितनी है. टि​कट बुकिंग में पारदर्शिता की कमी अभी बरकरार है.

यात्रियों की संख्या बढ़ी, बाद में घटी

साल उड़ान रूट यात्री
2017-18 2.63 लाख
2018-19 12.40 लाख
2019-20 29.91 लाख
2020-21 14.98 लाख
2021-22 32.99 लाख
2022-23 24.97 लाख

गौरतलब है कि उड़ान योजना 2017 में लॉन्च हुई थी। इसका उद्देश्य दूर दराज के इलाकों को हवाई मार्ग से जोड़ना और छोटे शहरों में कनेक्टिविटी बेहतर करना है. उड़ान योजना का मकसद था कि अलग-अलग शहरों को इस योजना के तहत जोड़ा जाए. कैग के रिपोर्ट के अनुसार 200 किलोमीटर से कम 26 रुट पर परिचालन की शुरुआत हुई लेकिन 3 साल बाद अब उस रुट पर मात्र 2 एयरलाइन ही सर्विस दे रही है. इसी तरह 100 से 400 किलोमीटर की दूरी वाले मार्ग पर 96 में से 12 चल रहे हैं.

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