Friday - 5 January 2024 - 5:49 PM

यूपी के शीर्ष दो पदों पर दावेदारी की होड़ में जुटे नौकरशाह

संजय भटनागर

चुनावी चहल पहल के बीच कुछ समय के लिए लोगों का ध्यान नौकरशाही और नौकरशाहों पर से हट गया है, लेकिन 23 मई को चुनाव परिणाम के बाद  एक बार फिर ये चर्चाओं के केंद्र में आ जायेंगे।

उत्तर प्रदेश में तो इसका कारण तैयार है। प्रशासन में मुख्य सचिव के बाद दूसरा महत्वपूर्ण पद कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) का होता है जो प्रभात कुमार के 30 अप्रैल को रिटायर होने के बाद रिक्त हो गया है। वैसे तो इस पद के कई दावेदार हैं और इस समय यह विशेष महत्त्व रखता है क्योंकि 31 अगस्त को मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय का कार्यकाल समाप्त हो रहा है ।

ज़ाहिर है इस पद की दौड़ में एपीसी की तैनाती भी अहम हो जाएगी। जो अधिकारी भी 23 मई के बाद एपीसी बनेगा, वह तीन महीने बाद मुख्य सचिव भी बनना चाहेगा, हालांकि पिछले कुछ समय में कई बार ऐसा नहीं हो सका है, वर्तमान मुख्य सचिव इसका उदाहरण है। यह धारणा होती है कि एपीसी के बाद मुख्य सचिव के पद पर जाना आसान होता है।

अधिकारियों की सूची पर नज़र डाली जाये और सरकारी सूत्रों की माने तो एपीसी पद के लिए 1985 बैच के दो अधिकारियों राजेंद्र कुमार तिवारी और दीपक त्रिवेदी, 1986 बैच के तीन अधिकारियों आलोक टंडन, आलोक सिन्हा और मुकुल सिंघल के नाम फिलहाल विचाराधीन हैं।

सूत्रों के अनुसार इनमे से वर्तमान में नॉएडा में तैनात आलोक टंडन केंद्र इच्छुक हैं, और उत्तर प्रदेश में उनकी रूचि कम है। वैसे वरिष्टता के क्रम में राजेंद्र कुमार तिवारी ऊपर ज़रूर हैं लेकिन मुख्य सचिव और एपीसी दोनों ब्राह्मण हो सकेंगे इसमें शक है।

वास्तव में एपीसी पद पर तैनाती का सीधा सम्बन्ध एक सितम्बर से रिक्त होने वाले मुख्य सचिव पद से है। सरकारी अंदरखाने की खबर के अनुसार मुकुल सिंघल काफी हद तक मौजूदा सरकार के पसंद हैं लेकिन वह एपीसी बनेंगे अथवा मुख्य सचिव, यह चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा।

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अब अगर मुख्य सचिव पद के दावेदार की बात करें तो उत्तर प्रदेश में मौजूद इन अधिकारियों के अलावा 1984 बैच के दो अधिकारियों दुर्गा शंकर मिश्रा और संजय अग्रवाल को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है क्योंकि दोनों के रिटायरमेंट में अभी समय है। दोनों वर्तमान में केंद्र सरकार में सचिव हैं लेकिन उन्हे उत्तर प्रदेश के आला अफसर के पद पर आने में कोई गुरेज़ नहीं होगा।

इस पर अगर और आगे जाकर सोचा जाये तो क्या मुख्य सचिव बनाये जाने के आश्वाशन पर वे तीन महीने के लिए एपीसी बनने के लिए तैयार होंगे ? वैसे भी मुख्य सचिव और एपीसी का वेतनमान सामान ही होता है। बहरहाल प्रदेश के दो सबसे महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती की अटकलें चुनाव के बाद चर्चा में रहेंगी, सुर्ख़ियों में रहेंगी।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं )

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