Sunday - 14 January 2024 - 2:26 PM

पीएम के इनकार के बावजूद बंगाल बीजेपी का दावा, कहा-CAA के बाद…


न्यूज डेस्क

नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी पर बीते दिनों जब विरोध-प्रदर्शन हो रहा था तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सार्वजनिक मंच से कहा था कि उनकी सरकार में एनआरसी पर कभी चर्चा ही नहीं हुई है। इसलिए देशभर में एनआरसी लागू करने का सवाल ही नहीं उठता। पीएम के अलावा बीजेपी के अन्य नेताओं ने भी ऐसा ही कुछ दावा किया था। फिलहाल पीएम के इन दावों के बीच पश्चिम बंगाल भाजपा ने दावा किया है कि सीएए लागू होने के बाद राष्ट्रीय नागरिकता पंजीकरण (एनआरसी) को लाया जायेगा।

पश्चिम बंगाल बीजेपी ने अपनी एक पुस्तक में यह दावा किया है। सीएए के पक्ष में अभियान के तहत पश्चिम बंगाल बीजेपी ने अपने राज्य के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों के लिए अंग्रेजी, हिंदी और बंगाली में 23 पन्नों की एक पुस्तिका तैयार की है। पार्टी के मुताबिक सीएए को प्रश्न एवं उत्तर के प्रारूप में सरलता से स्पष्ट किया गया है, ताकि कानून के संबंध में लोगों के भ्रम और भय को दूर किया जा सके।

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23 पन्नों के इस पुस्तिका में एनआरसी को लेकर सवाल किया गया है। इसमें सवाल के रुप में पूछा गया है कि ‘इसके बाद क्या एनआरसी लाया जाएगा? इसकी कितनी जरूरत है? और एनआरसी आने पर क्या असम की तरह हिन्दुओं को निरोध केन्द्र में जाना पड़ेगा? जैसे सवाल हैं।’ वहीं इनके जवाब में पुस्तिका में कहा गया है, ‘हां, इसके बाद एनआरसी होगा। कम से कम ऐसी केन्द्र सरकार की मंशा है।’ 

इस पुस्तिका में यह भी दावा किया गया कि हिन्दुओं को एनआरसी की वजह से नहीं बल्कि विदेशी कानून की वजह से निरोध केन्द्र जाना पड़ा है। इतना ही नहीं इस पुस्तिका में दावा करते हुए कहा गया है, ‘सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार और कांग्रेस द्वारा पारित विदेशी कानून के तहत असम में एनआरसी लागू किया गया। असम में भाजपा सरकार एनआरसी नहीं लाई। बल्कि उसने तो एनआरसी के खिलाफ अदालत में जाने का निर्णय किया था।’

पुस्तिका में यह भी कहा गया है कि नागरिकता संशोधन कानून के लागू होने के बाद असम में निरोध केन्द्र में बंद हिन्दुओं को छोड़ दिया जाएगा।

गौरतलब है जिस दिन संसद में एनआरसी बिल पेश हुआ उस दिन से इसके विरोध में प्रदर्शन हो रहा है। देश के कई हिस्सों में इस कानून के विरोध में लोग लाखों की संख्या में सड़क पर उतर गए हैं। इन लोगों की मांग है कि केन्द्र सरकार इस कानून को वापस ले।

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