- अब BCCI भी आएगा राष्ट्रीय खेल विधेयक के दायरे में, केंद्र सरकार ने किया स्पष्ट
नई दिल्ली. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को अब प्रस्तावित राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक के दायरे में लाया जाएगा। भले ही बीसीसीआई वित्तीय रूप से केंद्र सरकार पर निर्भर नहीं है, लेकिन उसे आगामी नेशनल स्पोर्ट्स बोर्ड से मान्यता लेनी होगी। खेल मंत्रालय के सूत्रों ने इंडिया टुडे को इस बात की पुष्टि की है कि क्रिकेट बोर्ड को भी अन्य राष्ट्रीय खेल महासंघों (NSFs) की तरह इस बिल के तहत लाया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, BCCI को “स्वायत्त निकाय” का दर्जा प्राप्त रहेगा, लेकिन उससे जुड़े विवादों का समाधान अब प्रस्तावित राष्ट्रीय खेल पंचाट के माध्यम से किया जाएगा। इस बिल का मकसद खेल संगठनों पर नियंत्रण नहीं, बल्कि सुशासन और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।
2028 ओलंपिक के बाद बदला परिदृश्य
2028 लॉस एंजिल्स ओलंपिक में भारतीय क्रिकेट टीम की भागीदारी के बाद यह बदलाव अपेक्षित था। मंत्रालय का मानना है कि देश के खेल इकोसिस्टम को अधिक व्यवस्थित और उत्तरदायी बनाने के लिए बीसीसीआई को भी नियमों के अधीन लाना आवश्यक है।
वर्तमान में, BCCI को 2019 तक राष्ट्रीय खेल महासंघ (NSF) के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं थी। हालांकि 2020 में इसे सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत लाया गया था। नए विधेयक में शामिल किए जाने के बाद बोर्ड को खेल मंत्रालय की नीतियों और दिशानिर्देशों का पालन करना होगा।
खिलाड़ियों और महिलाओं के अधिकारों को प्राथमिकता
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, विधेयक में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक खेल संस्था की कार्यकारी समिति में कम से कम चार महिला सदस्यों की अनिवार्यता तय की गई है। इसके अलावा, खिलाड़ियों के अधिकारों की रक्षा और खेलों से जुड़े विवादों का त्वरित समाधान विधेयक के प्रमुख उद्देश्य हैं।
नेशनल स्पोर्ट्स बोर्ड: संरचना और अधिकार
विधेयक के तहत एक केंद्रीय निकाय, नेशनल स्पोर्ट्स बोर्ड का गठन होगा, जिसे शिकायत मिलने या अपनी पहल पर किसी भी खेल महासंघ को निलंबित करने का अधिकार होगा।
इसका नेतृत्व एक अध्यक्ष करेंगे, जिनकी नियुक्ति सरकार द्वारा गठित चयन समिति करेगी। यह समिति खेल सचिव या कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में कार्य करेगी, जिसमें एक प्रतिष्ठित पूर्व खिलाड़ी (जैसे अर्जुन, खेल रत्न या द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता), दो पूर्व NSF पदाधिकारी और प्राधिकरण के महानिदेशक भी शामिल होंगे।
लोढ़ा समिति की सिफारिशें रहेंगी लागू?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या लोढ़ा समिति की अनुशंसाएं — जैसे आयु सीमा, पदों की संख्या और हितों के टकराव से जुड़ी धाराएं — इस नए विधेयक में शामिल रहेंगी या नहीं।
भारत की ओलंपिक दावेदारी को मिलेगा बल
खेल मंत्रालय का मानना है कि इस विधेयक के लागू होने से न केवल भारतीय खेल प्रणाली अधिक पारदर्शी होगी, बल्कि यह 2036 ओलंपिक की मेज़बानी के लिए भारत की अंतरराष्ट्रीय साख को भी मजबूत करेगा।