Wednesday - 10 January 2024 - 5:09 PM

योगी सरकार की वैतरणी पार कराने के लिए बाबा विश्वनाथ का सहारा

जुबिली न्यूज़ ब्यूरो

नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अयोध्या के अलावा वाराणसी को भी इस्तेमाल करने का फैसला किया है. एक तरफ उत्तर प्रदेश की जनता को अयोध्या में निर्माणाधीन भव्य राम मन्दिर के बारे में बताया जाएगा तो साथ ही प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में तैयार किये जा रहे काशी विश्वनाथ कारीडोर को भी वोटों में बदलने के तौर पर इस्तेमाल किया जायेगा.

इसकी बाकायदा बड़ी तेज़ी से तैयारियां चल रही हैं. काशी विश्वनाथ कारीडोर को शुरू से ही पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तौर पर प्रचारित किया गया था. अब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव सर पर आ गया है तो इसके लोकार्पण की तैयारियां भी तेज़ हो गई हैं. काशी विश्वनाथ कारीडोर को चुनावी अस्त्र के रूप में इस्तेमाल किया जाना है इसी वजह से 13 दिसम्बर 2021 से 14 जनवरी 2022 तक के कार्यक्रम तैयार कर लिए गए हैं.

पीएम मोदी 13 दिसम्बर को वाराणसी पहुंचेंगे और काशी विश्वनाथ कारीडोर का लोकार्पण करेंगे. लोकार्पण के बाद से हर चुनावी जनसभा में काशी विश्वनाथ कारीडोर ही केन्द्र में रहेगा. इसी योजना के तहत एक महीने के कार्यक्रम निर्धारित कर लिए गए हैं. भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन, धर्माचार्यों का सम्मेलन और जिला पंचायत अध्यक्षों का सम्मेलन इसी वजह से वाराणसी में प्रस्तावित किया गया है. 13 दिसम्बर से चुनाव तक काशी भाजपामय होने वाली है.

13 दिसम्बर को पीएम मोदी काशी विश्वनाथ कारीडोर का लोकार्पण करेंगे तो अगले ही दिन यानि 14 दिसम्बर को बीजेपी के देश के सभी पदाधिकारियों का सम्मेलन आयोजित किया जायेगा. 15 को भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन होगा. 16 को देश के सभी मेयर वाराणसी में होंगे. 17 को सभी जिला पंचायत अध्यक्षों का सम्मेलन होगा. 18 दिसम्बर को धर्माचार्यों का सम्मेलन होगा.

19 दिसम्बर को वाराणसी में ऐसे विद्वान्न आमंत्रित किये जा रहे हैं जो काशी विश्वनाथ मन्दिर के गौरवशाली इतिहास पर प्रकाश डाल सकें. 20 दिसम्बर को उत्तर प्रदेश के मंत्रिमंडल की बैठक होगी. 21 को पीएम मोदी की मौजूदगी में जीरो बजट खेती पर सेमिनार होगा.

काशी विश्वनाथ कारीडोर को चुनाव तक चर्चा में बनाए रखने के लिए यहाँ लेखकों, पत्रकारों, संपादकों के सम्मेलन बुलाये गए हैं. इतिहासकारों, उद्योगपतियों, कार्पोरेट घरानों, भारतीय संस्कृति से जुड़े देशों के राजदूतों से लेकर टूर आपरेटर्स तक के सम्मेलन बुलाये गए हैं.

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