Sunday - 7 January 2024 - 1:05 AM

रिलायंस जियो को मिला एक और विदेशी पार्टनर

न्यूज़ डेस्क

फेसबुक इंक, जनरल अटलांटिक, सिल्वर लेक और विस्टा इक्विटी जैसे पार्टनर्स के बाद अब जियो में एक और अमेरिकी फर्म निवेश करने जा रही हैं। जी हां अमेरिका की इक्विटी फर्म KKR भी अब जियो प्लेटफॉर्म्स में 1.5 अरब डॉलर( करीब 11,367 करोड़ रूपये) के निवेश का ऐलान किया है।

जहां लॉकडाउन के चलते एक तरफ दूसरी कंपनियां अपना अस्तित्व बचने के लिए संघर्ष कर रही हैं तो दूसरी तरफ रिलायंस जियो में कई विदेशी कंपनियां निवेश को तैयार हैं। इस निवेश से जियो प्लेटफॉर्म्स में केकेआर 2.32 प्रतिशत की हिस्सेदारी खरीदेगा। इससे पहले पिछले एक महीने के अंदर ही रिलायंस जियो प्लेटफार्म में फेसबुक इंक, जनरल अटलांटिक, सिल्वर लेक और विस्टा इक्विटी पार्टनर्स जैसी कंपनियों का निवेश का ऐलान किया जा चुका है।

साल 2018 के जुलाई में जब अंबानी ने अपने ‘न्यू कॉमर्स’ वेंचर की स्थापना की थी उस समय कहा था कि इसमें भारत के खुदरा कारोबार को नई परिभाषा देने की क्षमता है और यह अगले वर्षों में रिलायंस के लिए नया ग्रोथ इंजन बन सकता है। इसके द्वारा रिलायंस डिजिटल और फिजिकल बाजार का एकीकरण करेगी।

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साथ ही एमएसएमई, किसानों, किराना दुकानदारों के विशाल नेटवर्क का दोहन करेगी। अमेरिका की दिग्गज कंपनी फेसबुक के साथ डील कर कंपनी इसके स्वामित्व वाले वॉट्सऐप की व्यापक पहुंच का फायदा उठाएगी और अपने न्यू कॉमर्स बिजनेस की गाड़ी को तेज गति प्रदान करेगी।

रिलायंस इंडस्ट्रीज जियो को डिजिटल कंपनी के रूप में विकसित कर रही है। मुकेश अंबानी रिलायंस को अब एनर्जी फोकस वाली कंपनी की जगह विविधता वाली कंपनी बनाने पर जोर दे रहे हैं। जाहिर है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज ने साल 2006 में खुदरा कारोबार और 2010 में टेलीकॉम कारोबार में प्रवेश किया था।

क्या कहा केकेआर के सह-संस्थापक ने

इस मामलें में केकेआर के सह-संस्थापक हेनरी क्राविस का कहना है कि, देश के डिजिटल इकोसिस्टम को बदलने की ऐसी क्षमता कुछ कंपनियों के पास ही होती है जैसा की जियो प्लेटफॉर्म्स के पास है। यह एक सच्चा स्वदेशी प्लेटफॉर्म है जिसने भारत में डिजिटल क्रांति की है और आगे भी कर रहा है। इसके पास देश को प्रौद्योगिकी समाधान और सेवाएं देने की बेजोड़ क्षमता है।

उन्होंने कहा कि हम जियो प्लेटफॉर्म्स की प्रभावशाली गति, विश्व स्तरीय इनोवेशन और मजबूत नेतृत्व टीम के कारण निवेश कर रहे हैं। इस निवेश को हम भारत और एशिया प्रशांत में अग्रणी प्रौद्योगिकी कंपनियों के समर्थन के लिए केकेआर की प्रतिबद्धता के रूप में देखते हैं।

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