जुबिली न्यूज डेस्क
26 नवंबर से किसानों का आंदोलन चल रहा है। किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच कई दौर की बातचीत के बाद भी अब तक कोई रास्ता नहीं निकला है।
इस सबके बीच आज यानी सोमवार को उच्चतम न्यायालय आंदोलन कर रहे किसानों को दिल्ली की सीमाओं से तुंरत हटाने की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई करेगा। इसके अलावा कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर भी सुनवाई की जाएगी।

इस बीच सरकार और किसानों के बीच गतिरोध बना हुआ है। 7 जनवरी को केंद्र और किसान संगठनों के बीच हुई आठवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही थी। सरकार ने विवादित कानूनों को रद्द करने से इनकार कर दिया और किसान नेताओं ने कहा कि वो आखरी सांस तक लड़ेंगे और उनकी ‘घर वापसी’ तभी होगी जब ‘कानून वापसी’ होगी।
इन याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी। आज की सुनवाई को अहम माना जा रहा है, क्योंकि केंद्र और किसान नेताओं के बीच अगली बैठक 15 जनवरी को होनी है।
पिछली सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि उन्हें किसान आंदोलन को लेकर जमीन पर कोई बात बनती नहीं दिख रही है, लेकिन केंद्र सरकार ने अदालत से कहा था कि सरकार और किसान संगठनों के बीच सभी मसलों को लेकर “स्वस्थ चर्चा” चल रही है और करीब भविष्य में दोनों पक्षों के किसी नतीजे पर पहुंचने की अच्छी संभावना है।
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इसके बाद अदालत ने अगली सुनवाई 11 जनवरी तक के लिए टाल दी थी और कहा था कि हम स्थिति को समझते हैं और बातचीत को प्रोत्साहित करते हैं।
आठवें दौर की बातचीत के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि कोई नतीजा नहीं निकला क्योंकि किसान नेताओं ने कानूनों को रद्द करने की उनकी मांग के अलावा कोई और तरीका सामने नहीं रखा।
शनिवार को, एक किसान संस्था, कंसोर्टियम ऑफ इंडियन फार्मर्स एसोसिएशन (सीआईएफ़ए)ने तीनों कानूनों के समर्थन में शीर्ष अदालत का रुख किया। उसने कहा कि कानून किसानों के हित में हैं, किसानों की आमदनी बढ़ाएंगे और कृषि के लिए फायदेमंद होंगे।
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