Sunday - 7 January 2024 - 8:02 AM

फ़र्ज़ के आगे सब कुर्बान

सड़क पर ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मी के परिवार की कौन लेगा सुध

सैय्यद मोहम्मद अब्बास

लखनऊ। पता नहीं मां को दवा मिली की नहीं, घर में राशन है कि नहीं, भगवान न करें … बूढ़ी मां को कुछ हो गया तो मैं क्या करूंगा… एक बार अपने लाल को देख लेती तो तसल्ली हो जाती है… तू ठीक तो हैं न, तेरा चेहरा देखना चाहती हूं… ये वो बाते हैं जो एक पुलिसकर्मी के दिलों में बार-बार दस्तक दे रही है लेकिन फर्ज के आगे सब कुछ कुर्बान है।

सवाल यह है कि लॉकडाउन के समय ऐसे पुलिस वालों का परिवार किस हाल में है ये किसी ने जानने की कोशिश की नहीं। इतना ही नहीं इन पुलिसकर्मी के परिवार की सुध लेने वाला कोई है की नहीं।

ये पुलिसकर्मी इस वक्त कोरोना को हराना के लिए जोर लगा रहे हैं और सडक़ पर 12-12 घंटे ड्यूटी कर रहे हैं। सबसे अहम बात यह है कि पुलिस के जो बड़े आधिकारी है उनका परिवार उनके साथ रह रहा है।

ऐसे में उनके लिए कोई परेशानी नहीं है लेकिन सडक़ पर ड्यूटी करने वाले एक आम पुलिसकर्मी या सिपाही, दरोगा जैसे लोगों का परिवार उनसे काफी दूर है और चाहकर भी वो अपने परिवार से मिल नहीं सकते हैं। इस वजह से उनके घर के लोग काफी तनाव में है।

ऐसे में उनका परिवार किस हाल में है ये शायद किसी ने जानने की कोशिश नहीं की होगी। सवाल यह है कि ऐसे पुलिसकर्मी के परिवार का कौन ख्याल रख रहा है। कई पुलिसकर्मी है जो लॉकडाउन के बाद अपने घर नहीं गए और अपने फर्ज को निभा रहे हैं।

जुबिली पोस्ट ने वैसे पुलिसकर्मी से बातचीत की जिनका परिवार उनके साथ नहीं रहता है। इस दौरान कई पुलिसकर्मी के मजबूरी का आलम यह है कि वह अपना दर्द बयां करते-करते रो पड़ते हैं।

नाम न छापने की शर्त पर चौक में ड्यूटी कर रहे हैं पुलिसकर्मी कहना है कि उनके घर में उनकी मां काफी बूढ़ी हो चुकी है और दवाओं के सहारे चल रही है। ऐसे में डर लगता है कि अगर उनको कुछ हो गया तो मैं क्या करूंगा।

गाजीपुर में उनका परिवार रहता है। फोन से बातचीत होती है लेकिन मां और परिवार के लोगों की देखने का मन करता है लेकिन चाहकर नहीं मिल सकता हूं। हालांकि कोरोना की वजह से पूरा परिवार डरा हुआ है।

एक पुलिसकर्मी का कहना है कि कोरोना से बचना है तो लॉकडाउन का पालन करना होगा। उसने बताया कि मौजूदा समय में परिवार से दूर हूं।

इतना ही नहीं हर वक्त परिवार की चिंता सताती है लेकिन मोबाइल के जरिये अपने परिवार से बातीचत कर लेते हैं। वीडियो कॉल कर अपनी पत्नी का गुस्सा और प्यार दोनों को झेलते हूं।

हरदोई के वरिष्ठ उपानिरीक्षक बलवंत शाही काफी समय से अपने परिवार से दूर है। हालांकि फोन पर बातचीत हो जाती है लेकिन हर वक्त डर बना रहता है और परिवार की चिंता सताती है। उनका परिवार लखनऊ में है और वो हरदोई में है।

बलवंत बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान पुलिस की सराहनीय भूमिका है। उन्होंने कहा कि सारे पुलिसकर्मी एक वीर योद्धा की तरह ड्यूटी कर रहे है। सडक़ों पर बेवजह घूमने वाले लोगों को समझा कर उन्हें लौटाना हो या फिर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना। ऐसी कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी पुलिसकर्मियों को निभा रहा है।

पूर्व डीएसपी सुधीर शर्मा ने बताया कि ऐसे वक्त में पुलिस वेलफेयर कमेटी को आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा यह कमेटी पुलिस वालों के परिवार की मदद करता है। ऐसे में कोरोना वायरस की वजह से कई पुलिसकर्मी अपने परिवार से दूर है। अगर ये कमेटी इन परिवार की मदद करे तो बेहतर होगा।

उधर कोरोने के खिलाफ लड़ाई में कुछ पुलिस अफसर अपनी सैलरी तक को दान देने से भी नहीं चूक रहेहैं। सरोजनीनगर के इंस्पेक्टर आनंद कुमार शाही ने कोरोना नामक बीमारी से आई माहामारी को देखते हुए अपनी एक माह की सैलरी मुख्यमंत्री के राहत कोष में जमा कराया है। हरदोई के वरिष्ठ उपानिरीक्षक बलवंत शाही ने एक माह का वेतन मुख्यमंत्री के राहत कोष में दिया है।

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