जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने आज अंतरिक्ष से सफल वापसी कर देश को गर्व से भर दिया है। वे अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्रियों के साथ स्पेसएक्स के ड्रैगन अंतरिक्ष यान में सवार होकर पृथ्वी पर लौटे हैं।
करीब 18 दिन तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में बिताने के बाद, सभी एस्ट्रोनॉट्स ने लगभग 23 घंटे का रिटर्न जर्नी तय किया। स्पेसक्राफ्ट ने 15 जुलाई की दोपहर लगभग 3 बजे कैलिफोर्निया के तट पर सुरक्षित स्प्लैशडाउन किया।
कैसे शुरू हुआ था मिशन?
25 जून को शुभांशु और उनके 3 अन्य साथियों ने फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से फाल्कन 9 रॉकेट के ज़रिए अंतरिक्ष की ओर उड़ान भरी थी। पृथ्वी से 28 घंटे की यात्रा के बाद वे ISS पहुंचे और वहां 18 दिन तक वैज्ञानिक गतिविधियों में शामिल रहे।
यह मिशन नासा और स्पेसएक्स का एक संयुक्त अभियान था — जिसमें भारत, अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री शामिल थे।
शुभांशु का मिशन क्यों है खास?
शुभांशु शुक्ला, भारतीय वायुसेना में स्क्वाड्रन कमांडर हैं और 2000 से अधिक घंटे की उड़ान का अनुभव रखते हैं। वे भारत के केवल दूसरे अंतरिक्ष यात्री हैं — उनसे पहले 1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत मिशन के तहत अंतरिक्ष की यात्रा की थी।
इस ऐतिहासिक उड़ान से भारत के लिए भविष्य के कमर्शियल स्पेस स्टेशन, नई स्पेस टेक्नोलॉजी, और गगनयान मिशन (2027) के लिए रास्ता साफ हो गया है। भारत ने इस मिशन में कुल 7 प्रयोग भेजे थे, जिनमें से कई में शुभांशु ने सक्रिय भागीदारी की।
उन्होंने अंतरिक्ष में मेथी और मूंग के बीजों को उगाने जैसे प्रयोगों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया, जिनकी तस्वीरें भी हाल में सामने आई थीं।
60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग, 20 से अधिक आउटरीच कार्यक्रम
इस मिशन के दौरान कुल 60 से अधिक वैज्ञानिक अध्ययन और 20 से ज्यादा आउटरीच कार्यक्रम आयोजित किए गए। स्पेसएक्स ने पहले ही जानकारी दी थी कि ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश करने के बाद सैन डिएगो तट की ओर बढ़ रहा है।