
अशोक कुमार
ग्रामीण इलाकों और निम्न-आय वाले शहरी क्षेत्रों में बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा आज भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। इन बच्चों की पढ़ाई कई सामाजिक, आर्थिक और ढांचागत बाधाओं से प्रभावित होती है।
शिक्षा में असमानता के कारण
- अकुशल शिक्षक और सीमित संसाधन
सरकारी स्कूलों में अक्सर प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी होती है। साथ ही, शैक्षिक सामग्री और तकनीकी संसाधनों तक उनकी पहुंच भी सीमित रहती है। - आधारभूत सुविधाओं का अभाव
कई स्कूलों में स्वच्छ शौचालय, पीने का पानी और सुरक्षित कक्षाओं जैसी बुनियादी सुविधाएं तक नहीं होतीं। - गरीबी और आर्थिक दबाव
गरीब परिवारों के बच्चे अक्सर पढ़ाई छोड़कर घर चलाने के लिए काम करने को मजबूर हो जाते हैं। इससे उनकी उपस्थिति और प्रदर्शन दोनों प्रभावित होते हैं। - सामाजिक और सांस्कृतिक चुनौतियां
कई परिवारों में आज भी लड़कियों की शिक्षा को प्राथमिकता नहीं दी जाती। वहीं, कुछ समुदायों में बच्चों को परंपरागत कामों में लगा दिया जाता है।

समाधान और पहल
- सरकारी योजनाएं: सर्व शिक्षा अभियान और मध्याह्न भोजन योजना जैसी पहलें बच्चों को स्कूल लाने में मददगार साबित हुई हैं।
- NGOs की भूमिका: कई गैर-सरकारी संगठन अतिरिक्त कक्षाओं, अध्ययन सामग्री और शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों के जरिए शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
- डिजिटल शिक्षा: ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और ई-लर्निंग मॉडल ग्रामीण बच्चों के लिए नए अवसर ला रहे हैं, हालांकि इसके लिए इंटरनेट और उपकरणों तक पहुंच अनिवार्य है।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करना एक जटिल लेकिन जरूरी लक्ष्य है। इसके लिए सरकार, समुदाय और गैर-सरकारी संगठनों को मिलकर काम करना होगा। तभी हर बच्चे को समान अवसर मिल पाएगा और शिक्षा वास्तव में सामाजिक बदलाव का साधन बन सकेगी।
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