जुबिली स्पेशल डेस्क
देश का अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा, इसका फैसला समय के गर्भ में है, लेकिन सियासी हलकों में हलचल तेज हो गई है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद राजनीतिक दल अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। खासकर INDIA गठबंधन इस बार कोई चूक नहीं दोहराना चाहता और संयुक्त उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है। हालांकि विपक्ष की रणनीति अब भी सत्ताधारी NDA के उम्मीदवार की घोषणा के इंतज़ार में टिकी है।
पिछले अनुभव बताते हैं कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों में विपक्ष कई बार बिखरता नजर आया है। 2017 और 2022 के चुनावों में कांग्रेस के नेतृत्व वाला गठबंधन अपने ही साथियों को साध नहीं पाया और नतीजतन एनडीए उम्मीदवारों ने भारी अंतर से जीत दर्ज की। इस बार भी ऊपरी सदन (राज्यसभा) में एनडीए की ताकत काफी है, ऐसे में विपक्ष के सामने सबसे बड़ी चुनौती एकजुटता की रहेगी।
क्या कांग्रेस इस बार समेट पाएगी अपने साथियों को?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का कहना है कि उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर फैसला साझा बैठक के बाद लिया जाएगा। कांग्रेस चाहती है कि फैसला लेने से पहले सभी सहयोगी दलों की सहमति ली जाए। उधर, TMC की चुप्पी एक बार फिर संदेह पैदा कर रही है, जो 2022 के उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी उम्मीदवार का समर्थन नहीं करके चर्चा में थी।
2017 में कैसे टूटा था विपक्ष?
2017 में जब एनडीए ने रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया, तो उन्हें 65.65% वोट मिले, जबकि विपक्षी उम्मीदवार मीरा कुमार को सिर्फ 34.35% वोट ही मिल सके। खास बात यह रही कि AIADMK, BJD, YSRCP, INLD जैसी गैर-एनडीए पार्टियों ने भी कोविंद को समर्थन दिया। यही नहीं, नीतीश कुमार की JDU ने भी उस समय कांग्रेस और RJD के खिलाफ जाकर कोविंद के पक्ष में वोट किया था।
वहीं, उपराष्ट्रपति चुनाव में वेंकैया नायडू ने गोपालकृष्ण गांधी को हराया। लेकिन इस बार BJD और JDU ने अपने रुख में बदलाव करते हुए विपक्षी उम्मीदवार गांधी का समर्थन किया था।
2022: मुर्मू की ऐतिहासिक जीत और विपक्ष की असफलता
2022 के राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी ने विपक्ष की रणनीति को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को केवल 537 वोट मिले, जबकि मुर्मू ने 1349 वोटों के साथ ऐतिहासिक जीत दर्ज की। यहां भी BJD, JMM और YSRCP जैसी कई पार्टियों ने एनडीए का साथ दिया, जिससे विपक्ष की कमजोरी उजागर हुई।
टीएमसी ने फिर किया था किनारा
2022 में जब उपराष्ट्रपति चुनाव हुआ, तो मार्गरेट अल्वा को विपक्ष की ओर से उम्मीदवार बनाया गया। लेकिन TMC ने चुनाव बहिष्कार कर विपक्ष की एकता को तगड़ा झटका दिया। नतीजतन, जगदीप धनखड़ को 528 वोट मिले, जबकि अल्वा को सिर्फ 182 मत मिले। यह जीत 346 वोटों के अंतर से हुई—जो पिछले कई दशकों में सबसे बड़ी जीतों में गिनी जाती है।