जुबिली न्यूज डेस्क
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को ब्रिटेन की दो दिवसीय यात्रा पूरी करने के बाद मालदीव की राजधानी माले में कदम रखा। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने खुद एयरपोर्ट पर गले लगाकर पीएम मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया। उनके साथ मालदीव सरकार के विदेश, रक्षा, वित्त और गृह सुरक्षा मंत्री भी मौजूद थे। यह दृश्य उन दोनों देशों के रिश्तों में आ रहे नए मोड़ की गवाही देता है।
तनाव के बाद फिर से निकटता की शुरुआत
हाल के महीनों में भारत और मालदीव के बीच रिश्तों में तनाव देखा गया था, खासकर मुइज्जू सरकार के कुछ भारत-विरोधी बयानों और कदमों के चलते। इसके बावजूद मालदीव ने अपने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया, जो इस बात का संकेत है कि दोनों देश रिश्तों को पटरी पर लाने के इच्छुक हैं।
भारत के लिए यह अवसर खास रणनीतिक महत्व रखता है, क्योंकि मालदीव में चीन अपने निवेश और कूटनीतिक प्रयासों के ज़रिए लगातार पैर जमाने की कोशिश कर रहा है। भारत इस बात को अच्छी तरह समझता है कि यदि मालदीव उसके प्रभाव से दूर गया, तो इसका सीधा फायदा चीन को मिलेगा।
माले में मोदी का भव्य स्वागत
पीएम मोदी के आगमन पर मालदीव की राजधानी माले में भारत-मालदीव मित्रता के प्रतीक रूप में पोस्टरों और बैनरों से सजे दृश्य देखने को मिले। कई स्थानों पर मोदी की तस्वीरों वाले स्वागत पोस्टर लगे हुए थे और स्थानीय नागरिकों — विशेषकर बच्चों — ने भारत के तिरंगे और मोदी की तस्वीरों के साथ स्वागत किया।
मोदी की यात्रा क्यों है खास?
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रणनीतिक संकेत: मुइज्जू सरकार के तीखे तेवरों के बावजूद भारत ने संतुलन साधा और आज वह मेहमान के रूप में मौजूद है — यह क्षेत्रीय कूटनीति की बड़ी सफलता है।
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चीन को संदेश: यह स्पष्ट संदेश है कि दक्षिण एशिया में भारत की उपस्थिति मजबूत है और चीन की घुसपैठ भारत रोकने में सक्षम है।
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निवेश और भरोसे की वापसी: मालदीव में भारत द्वारा शुरू किए गए इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट, आर्थिक मदद और सुरक्षा सहयोग फिर से मजबूती की ओर इशारा कर रहे हैं।
टकराव से बचना क्यों जरूरी था?
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भू-राजनीतिक अहमियत: मालदीव, हिंद महासागर में भारत का सबसे नजदीकी समुद्री पड़ोसी है।
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चीन का बढ़ता दखल: बीते कुछ वर्षों में चीन ने निवेश के ज़रिए मालदीव में अपनी उपस्थिति मजबूत की है।
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पड़ोसी प्रथम नीति: भारत की विदेश नीति में पड़ोसी देशों को प्राथमिकता दी जाती है, जिसमें मालदीव अहम भागीदार रहा है।
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भारत ने कैसे बदले समीकरण?
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2024 में भारत ने मालदीव को 400 मिलियन डॉलर की आर्थिक मदद दी।
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रक्षा सहयोग के तहत नौसैनिक उपकरण, विमान सेवा और प्रशिक्षण उपलब्ध कराया।
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जनवरी और मई 2025 में दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय बैठकें हुईं।
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भारत ने कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स शुरू कर मालदीव की अर्थव्यवस्था में योगदान दिया।