जुबिली स्पेशल डेस्क
ईरान ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने परमाणु अधिकारों से किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेगा। अमेरिका और यूरोपीय देशों के बढ़ते दबाव के बीच तेहरान में ईरान, रूस और चीन की उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसका मकसद आगामी E3 (ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी) वार्ता से पहले साझा रणनीति तय करना था।
मांग आधारित कूटनीति की ओर ईरान
तेहरान बैठक के बाद ईरानी विदेश मंत्री ने साफ किया कि उनका देश अब ‘मांग आधारित कूटनीति’ पर जोर देगा, न कि ‘दबाव आधारित’ रवैये पर। यह संकेत है कि ईरान अब भारत जैसे देशों की तरह अपने रणनीतिक फैसले खुद लेगा, चाहे वह ऊर्जा हो या परमाणु संवर्धन।
शुक्रवार को E3 से अहम बातचीत
ईरान और यूरोपीय देशों के बीच शुक्रवार को इस्तांबुल में होने वाली बैठक को लेकर भी हलचल तेज़ है। अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन ईरान पर JCPOA उल्लंघन का आरोप लगाने की कोशिश में हैं और इसे संयुक्त राष्ट्र या IAEA में उठाने की तैयारी कर रहे हैं।
‘संवर्धन पर कोई समझौता नहीं’
ईरानी विदेश मंत्री ने दो टूक कहा है कि उनका देश संवर्धन (enrichment) के अधिकार से पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने पश्चिमी देशों को चेताया कि अब सवाल पूछने वालों को भी जवाब देना होगा।
रूस-चीन का रणनीतिक समर्थन
ईरान इस वक्त रूस और चीन के सहयोग को ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहा है ताकि पश्चिमी देशों के संयुक्त दबाव का मुकाबला कर सके। तेहरान ने साफ किया है कि यदि E3 ने दबाव की भाषा अपनाई, तो बातचीत रद्द की जा सकती है या नया ढांचा प्रस्तावित किया जाएगा।
मध्य-पूर्व में तनाव की आशंका
अमेरिका के JCPOA से हटने के बाद ईरान की गतिविधियां फिर से वैश्विक चिंता का विषय बनी हैं। इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे ‘लीबिया मॉडल’ से जोड़ते हुए चेतावनी दी थी कि अगर ईरान परमाणु हथियार की दिशा में आगे बढ़ा, तो बड़ा सैन्य टकराव हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर वार्ता विफल रही, तो ईरान और इज़राइल के बीच टकराव मध्य-पूर्व को गंभीर संकट में डाल सकता है।