डा. सुनीलम
उनसे मेरा परिचय युवा जनता के जमाने का है। जब अरुण जी की संगठन के भीतर तूती बोला करती थी। मुझे हर समय अरुण जी दौरा करते हुए दिखा करते थे । कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक प्रमुख कार्यकर्ताओं से उनका जीवन्त संपर्क रहता था। वें तमाम नेताओं के चहेते रहे, विशेष तौर पर अध्यक्ष जी -चंद्रशेखर जी, रामकृष्ण हेगड़े जी, मधु दंडवते जी, सुरेंद्र मोहन जी के साथ उनका लगातार उठना बैठना होता था।
जब वीपी सिंह जी विपक्ष के साथ सक्रिय हुए तब उनके साथ भी मैंने उन्हें सक्रिय देखा। बाद में वे जनता दल में सक्रिय रहे। दिल्ली का हृदय स्थल 7, जंतर मंतर पर लगातार 3 दशक तक उनके साथ बैठा करते थे। देश भर के कार्यकर्ता जब भी दिल्ली आते थे वे कार्यालय में उनके साथ घंटों बैठते थे, सबके भोजन- पानी की व्यवस्था किया करते थे।
मैंने जब डॉ राममनोहर लोहिया की जन्म शताब्दी के अवसर पर राष्ट्र सेवा दल और युसूफ मेहरअली सेंटर के 30 युवाओं के साथ यात्रा शुरू की, तब उन्होंने गोवाहाटी में भागीदारी की। उन्होंने राष्ट्र सेवा दल में दिलचस्पी लेना शुरू किया। उनका जीजी परीख जी के यहां आना जाना होने लगा। समाजवादी समागम बनने के बाद मेरी उनसे घनिष्ठता बढ़ गई। समाजवादी समागम बनने के बाद वे लगभग सभी कार्यक्रमों में सक्रिय रहे। उनके साथ समाजवादी समागम के बैनर तले हमने समाजवादी विचार यात्रा की। तब 24 घंटे हम साथ रहा करते थे। देशभर के 50 शाहीन बागों का हमने एक साथ दौरा किया।
समाजवादी समागम ने जब जन्म शताब्दी समारोह आयोजित करने का विचार किया तब उन्हें मधु दंडवते जन्म शताब्दी समारोह समिति का संयोजक बनाया गया । तब उन्होंने देशभर में अनेक कार्यक्रम आयोजित किये।
उल्लेखनीय है कि समाजवादी समागम की स्थापना यूसुफ मेहेरअली सेंटर, तारा में डॉ जीजी परीख के 90 वें वर्ष में 10 ,11 अगस्त को समाजवादी समागम की स्थापना भाजपा- एनडीए की विभाजनकारी, नफरत और हिंसा फैलाने वाली नीतियों, मोदानी मॉडल को देश पर थोपने की साजिश, लोकतंत्र और संविधान पर आसन्न खतरों का वैचारिक मुकाबला करने के लिए हुई थीं। गत 11 वर्षों में स्थित बद से बदतर हुई है।
भाजपा- एनडीए ने 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव तीनों केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग से चुनाव आयोग को कठपुतली बनाकर देश में धार्मिक ध्रुवीकरण के माध्यम से जीते हैं। 1967 के बाद से ही भारत में गठबंधन की राजनीति चलते रही है। इंडिया गठबंधन का बनना देश की महत्वपूर्ण घटना है। भाजपा का 240 सीटों पर सिमट जाना तथा इंडिया गठबंधन को 234 सीटें मिलना यह बतलाता है कि पक्ष-विपक्ष का मुकाबला बहुत कांटे का हो गया है। एनडीए गठबंधन की सरकार चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार की बैशाखियों पर चल रही है। दोनों एक समय में विपक्ष के प्रमुख स्तंभ रहे हैं । अवसरवादिता और सत्तालोलुपता ने उन्हें एनडीए गठबंधन से जोड़ दिया है। यह समर्थन न तो स्थाई है, न ही लंबे समय तक चलेगा।
समाजवादी समागम ने अपनी सीमाओं को देखते हुए मुख्य कार्यक्रम के तौर पर अपने पुरखों की जन्म शताब्दी कार्यक्रम मनाने का निर्णय लिया है। डॉ लोहिया चाहते थे कि 9 अगस्त को देश में ‘जन क्रांति दिवस’ के तौर पर मनाया जाए। उन्होंने इस संबंध में डॉ जीजी परीख को एक पत्र भी लिखा था। समाजवादी समागम को प्रयास करना चाहिए कि देशभर में समाजवादी अपने-अपने बैनर तले 9 अगस्त के कार्यक्रम को पूरी ताकत के साथ मनाएं।
समाजवादी आंदोलन के 90 वर्ष पूरे होने के अवसर पर 19, 20, 21 सितंबर का पुणे कार्यक्रम प्रभावशाली हो। सम्मेलन के घोषणा पत्र में अगले 10 वर्षों के लिए समाजवादी समागम द्वारा तैयार मैनिफेस्टो के आधार पर समाजवादियों के कार्यक्रम तय किया जाए।
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अगले 10 वर्षों के दौरान इन कार्यक्रमों का समन्वय करने के लिए युवा समाजवादियों की ऐसी टीम बनाई जाए जो देश के सभी समाजवादियों का सहयोग लेकर इन कार्यक्रमों को देशभर में आयोजित करें तथा समाजवादी आंदोलन के 100 वर्ष पूरे होने पर समाजवादी विचारधारा की बड़ी राजनीतिक ताकत खड़ी करने का प्रयास करें।
( लेखक वरिष्ठ राजनेता और समाजवादी चिन्तक हैं)