जुबिली न्यूज डेस्क
ईटानगर | सीमा पर तनाव की स्थिति के बीच चीन एक बार फिर अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। इस बार मुद्दा सिर्फ सैन्य गतिविधियों का नहीं, बल्कि पर्यावरण, जीवन और अस्तित्व से जुड़ा खतरा है। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी (तिब्बती नाम: यारलुंग त्सांगपो) पर बनाए जा रहे विशाल बांध को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उनका कहना है कि यह बांध भविष्य में ‘वॉटर बम’ साबित हो सकता है और यह खतरा सीमावर्ती सुरक्षा से भी बड़ा है।
क्या है मामला?
मुख्यमंत्री खांडू ने खुलासा किया कि चीन भारत-तिब्बत सीमा के करीब एक विशाल जलविद्युत परियोजना पर काम कर रहा है। 2021 में घोषित और 2024 में शुरू हुई यह परियोजना करीब 137 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत से तैयार हो रही है, जिससे 60,000 मेगावाट बिजली उत्पादन का अनुमान है। यह दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रो प्रोजेक्ट होगा।
‘वॉटर बम’ की चेतावनी’
मुख्यमंत्री खांडू का कहना है कि“अगर चीन अचानक इस बांध से पानी छोड़ता है, तो अरुणाचल प्रदेश का सियांग क्षेत्र पूरी तरह नष्ट हो सकता है। आदि जनजाति और दूसरे समुदायों की ज़मीन, आजीविका और जीवन सब बर्बाद हो जाएगा।”उन्होंने यह भी कहा कि यह केवल सैन्य खतरा नहीं, बल्कि एक मानवता और अस्तित्व से जुड़ा बड़ा संकट है।
चीन पर क्यों नहीं किया जा सकता भरोसा?
मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि चीन ने अंतरराष्ट्रीय जल-बंटवारे समझौतों पर हस्ताक्षर किए होते, तो वह बाध्य होता कि वह नदियों के बहाव वाले देशों—भारत, बांग्लादेश आदि—को नुकसान न पहुंचाए। लेकिन चीन ने ऐसे किसी समझौते पर दस्तखत नहीं किए हैं।“अगर चीन हस्ताक्षरकर्ता होता, तो उसे बेसिन के निचले हिस्सों में पानी की एक तय मात्रा छोड़नी होती,” खांडू ने कहा।
भारत को कैसे हो सकता है नुकसान?
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गर्मियों में अचानक पानी छोड़ने से बाढ़ की स्थिति
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सियांग क्षेत्र में आजिविका और जमीन का नुकसान
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प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र पर विनाशकारी प्रभाव
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असम, अरुणाचल और बांग्लादेश तक खतरा
अंतरराष्ट्रीय समझौतों से चीन क्यों बाहर है?
सीएम खांडू के मुताबिक, अगर चीन अंतरराष्ट्रीय जल संधियों का हिस्सा होता, तो यह बांध एक सहयोग की मिसाल बन सकता था।“यह परियोजना भारत के लिए वरदान हो सकती थी अगर पारदर्शिता और साझेदारी होती।”
बड़ा सवाल: क्या यह ‘वॉटर वॉर’ की तैयारी है?
चीन की इस रणनीति को ‘वॉटर वॉर’ की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है। भारत के साथ सीमा पर तनाव पैदा करने के साथ-साथ चीन अब जल संसाधनों को भी एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है।