जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली |भारत सरकार ने पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश सरकारों द्वारा इथेनॉल पर लगाए गए अतिरिक्त शुल्क को लेकर गहरी नाराज़गी जताई है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने इन राज्यों से आग्रह किया है कि वे अपने हालिया नीतिगत बदलावों पर पुनर्विचार करें, क्योंकि ये कदम देश के इथेनॉल मिश्रण लक्ष्यों को प्रभावित कर सकते हैं।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि इन राज्यों द्वारा लगाए गए चार्ज न केवल ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी ला सकते हैं, बल्कि देश के 2025-26 तक 20% और 2030 तक 30% इथेनॉल मिश्रण के राष्ट्रीय लक्ष्य को भी बाधित कर सकते हैं।
इथेनॉल उद्योग पर असर
मंत्रालय ने कहा कि इथेनॉल परमिट पर शुल्क, डिस्टिलरियों के लाइसेंस और नवीनीकरण में वृद्धि तथा अन्य राज्यस्तरीय टैक्स इथेनॉल की निर्बाध आवाजाही में बाधा बन रहे हैं। इससे इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल की लागत बढ़ सकती है, जो सीधे तौर पर आम जनता को प्रभावित करेगी।
सरकार ने यह भी चेतावनी दी है कि ये अतिरिक्त चार्ज उस उत्पाद पर लगाए जा रहे हैं जो पहले से ही GST के दायरे में आता है। इसलिए यह न केवल नीति के लिहाज़ से गलत है, बल्कि कानूनी रूप से भी सवालों के घेरे में आता है।
राज्यों का अलग रुख, केंद्र की चिंता
हिमाचल में कांग्रेस, पंजाब में आम आदमी पार्टी और हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। केंद्र ने खास तौर पर हरियाणा सरकार के फैसले पर हैरानी जताई है, क्योंकि वहां बीजेपी की ही सरकार है और उनसे केंद्र की नीति के समर्थन की उम्मीद थी।
मंत्रालय ने तीनों राज्यों को औपचारिक पत्र भेजते हुए कहा है कि इस तरह के निर्णय इथेनॉल मिशन को कमजोर कर सकते हैं। यह मिशन न सिर्फ कार्बन उत्सर्जन घटाने, बल्कि ईंधन आयात पर निर्भरता कम करने और किसानों को नया बाजार देने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
व्यापार जगत भी चिंतित
इथेनॉल क्षेत्र से जुड़े संगठनों ने भी केंद्र सरकार की चिंता को सही ठहराया है। ग्रेन इथेनॉल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अनुसार, कच्चे माल की कीमतें पहले से बढ़ी हुई हैं और तेल विपणन कंपनियों द्वारा विक्रय मूल्य स्थिर रखा गया है। ऐसे में अतिरिक्त राज्य कर उत्पादन लागत और मुनाफे दोनों को प्रभावित करेंगे। इससे रोजगार और निवेश पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है।
केंद्र की अपील
केंद्र सरकार ने पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से अतिरिक्त शुल्क हटाने या उन्हें संशोधित करने की अपील की है ताकि इथेनॉल मिशन के तहत निर्धारित 20% और 30% मिश्रण लक्ष्य समय पर पूरा किया जा सके।
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मंत्रालय ने यह भी कहा है कि भविष्य में और राज्यों द्वारा ऐसे निर्णय लिए जाने की संभावना को देखते हुए तत्काल कदम उठाना ज़रूरी है, वरना देश के ऊर्जा और पर्यावरणीय लक्ष्यों पर गहरा असर पड़ सकता है।