जुबिली न्यूज डेस्क
मई में यास और सिंतबर में गुलाब तूफान का सामना करने के बाद अब ओडिशा के सामने एक और तूफान है जो पूर्वी तट की तरफ तेजी से बढ़ रहा है।
आलम यह है कि “जवाद” तूफान के डर से किसान समय से पहले ही अपने फसल को काटने लगे हैं। इस सप्ताह के अंत तक चक्रवाती तूफान “जवाद” के आने के अनुमान के साथ ही प्रदेश भर के किसान धान की फसल को समय से पहले काट ले रहे हैं।

मौसम विभाग के मुताबिक दक्षिण अंडमान सागर में बनने वाला निम्न दबाव का क्षेत्र तेज हो जाएगा और 4 दिसंबर को चक्रवाती तूफान के रूप में ओडिशा तट की ओर बढ़ जाएगा।
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चक्रवाती तूफान को देखते हुए ओडिशा सरकार ने 13 जिलों के कलेक्टर को आपदा की स्थिति में निचले इलाकों वाले लोगों को वहां से हटाने को लेकर अपनी तैयारी करने के लिए कहा है।
चक्रवात तूफान की वजह से किसान धान के अधपके फसल को काटने के लिए मजबूर है। बालासोर जिले के रहने वाले एक किसान ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पहले यास, फिर कटाई के समय से पहले बेमौसम बारिश और अब फिर से एक चक्रवाती तूफान। हमें इन झटकों से कम ही उबरने का समय मिला है। धान अभी भी पूरी तरह से पकना बाकी है लेकिन हम इसे जल्दी काटने को मजबूर हैं।
बालासोर की तरह ही ओडिशा के दूसरे जिलों में भी यही हाल है। फसलों को बचाने के लिए किसान तय मूल्य से काफी कम दामों में अपने उत्पाद को बेच रहे हैं।
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मौजूदा वर्ष के लिए सरकार ने धान का खरीद मूल्य 1940 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है, लेकिन किसान अपनी उपज को 900-1000 रुपये प्रति क्विंटल पर बेचने को मजबूर हैं जिसकी वजह से उन्हें काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
4 दिसंबर को ओडिशा और आंध्र प्रदेश के तटों से टकराने वाला तूफान का नाम सऊदी अरब के सुझाव पर रखा गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सऊदी अरब के कहने पर ही संभावित चक्रवाती तूफान का नाम ‘जवाद’ रखा गया है। चूंकि अरबी शब्द जवाद का अर्थ उदार होता है। इसलिए इस तूफान से ज्यादा नुकसान होने की संभावना नहीं है। जवाद की वजह से तटीय आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में भारी बारिश की आशंका है। इसकी वजह से बिहार, यूपी और झारखंड के इलाके में भी अच्छी बारिश हो सकती है।
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