जुबिली स्पेशल डेस्क
उत्तर प्रदेश में चुनाव में भले समय हो लेकिन यहां पर सियासी घमासान तेज होता नजर आ रहा है। दरअसल समाजवादी पार्टी यूपी में एक बार फिर सत्ता हासिल करना चाहती है लेकिन ये इतना आसान नहीं है।
बीजेपी भी दोबारा सत्ता में वापसी के लिए अभी तैयारी में जुट गई है। हालांकि सपा भी नई रणनीति बनाने में जुटी हुई है। उधर सपा से अलग हो चुके शिवपाल यादव भी अपनी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी को मजबूत करने में जुटे हुए है।
हालांकि शिवपाल यादव ने हाल में बलिया में बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी से गठबंधन के लिए कई बार आमंत्रण मिला, लेकिन उन्होंने इसको स्वीकार नहीं किया।
शिवपाल ने कहा कि उनकी पार्टी का गठबंधन सपा से ही होगा और वह त्याग करने के लिए तैयार हैं। अब देखना होगा कि शिवपाल यादव के इस बयान पर सपा क्या कदम उठाती है।
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बलिया जिले के सहतवार में पत्रकारों से बातचीत में शिवपाल सिंह यादव ने कहा, कि बीजेपी से हरगिज गठबंधन नहीं करेंगे। एक सवाल के जबाब में उन्होंने कहा कि कि सपा से गठबंधन करेंगे। राजनीति में उनका सिद्धांत है संघर्ष के साथ त्याग।
वह नई सरकार बनाने के लिए त्याग करेंगे। उन्होंने कहा, कि मेरा नारा बीजेपी को उखाड़ फेंकने के लिए गैर बीजेपीवाद का है। सभी दल इकट्ठा होकर ही बीजेपी को हटाने में कामयाब हो सकते हैं।
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हालांकि इस दौरान एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी को लेकर सवाल पूछा गया है लेकिन इस पर उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी लेकिन उन्होंने बस इतना कहा कि जब उनकी सभी दलों व नेताओं से बातचीत होगी तभी वह इस बारे में कुछ कहेंगे।

पूरा विपक्ष बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने का दावा जरूर कर रहा है। कांग्रेस यूपी में भले ही खत्म हो गई हो लेकिन प्रियंका गांधी की उपस्थिति से देश की सबसे पुरानी पार्टी एक बार फिर यूपी में नई गाथा लिखने की कोशिशों में है।
वहीं समाजवादी पार्टी भले ही कमजोर हुई हो लेकिन अखिलेश यादव को भी हल्के में नहीं लिया जा सकता है। हालांकि यह बात सच है कि मुलायम की खराब सेहत की वजह से सपा को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। मुलायम अब राजनीति में उतने सक्रिय नहीं रहते हैं।

अभी हाल में नये साल के मौके पर अचानक से पार्टी कार्यालय पहुंचकर सपा में नई जान फूंकने की कोशिश जरूर की है लेकिन अब भी बड़ा सवाल है कि क्या अखिलेश यादव अपने बल पर सत्ता हासिल कर सकते हैं या फिर उनको अन्य दलों की जरूरत पड़ेगी।
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अखिलेश और शिवपाल की राह अलग होने से वोट भी बंटता हुआ नजर आया। ये चुनाव में देखने को मिल चुका है। मुलायम ने नये साल पर सपा की सरकार बनाने के लिए अपने कार्यकर्ताओं से खास अपील की थी लेकिन ये संभव तभी हो सकता है जब अखिलेश यादव और शिवपाल यादव एक साथ फिर नजर आये।
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