Wednesday - 10 January 2024 - 6:13 AM

“टाइगर” अभी जिन्दा है

लखनऊ की पॉश कॉलोनी में भी शिकार कर रहा टाइगर

प्रदेश का कोई जिला इस टाइगर के हमले से अछूता नहीं

बारिश के बाद शिकार शुरू करता है नरभक्षी

राजीव ओझा

आधा नवम्बर बीतने को है लेकिन टाइगर अभी जिन्दा है। जिन्दा ही नहीं दनादन शिकार कर रहा है। उस पर न कोई बन्दूक असर कर रही है न ही कोई दवा। ख़ास बात यह कि टाइगर ने लखनऊ में डेरा डाल रखा है और लगातार लोगों का शिकार कर रहा है। वैसे तो प्रदेश का कोई जिला इस टाइगर के कुनबे से अछूता नहीं है। हर साल टाइगर बारिश के बाद नरभक्षी हो जाता है और कहर बरपता है। यह गन्दी बस्ती या झोपड़ पट्टी नहीं, साफ़ सुथरे पाश इलाके में ज्यादा शिकार करता है। कभी भी बस्ती में घुस आता है। आपको समझ आ गया होगा कि यहाँ किस टाइगर की बात हो रही है।

दरअसल टाइगर नहीं यहाँ फीमेल टाइगर की बात हो रही, जो अपना कुनबा बढ़ने के लिए इंसान के गर्म खून की प्यासी होती है। जी हाँ, बिलकुल ठीक समझे यहाँ फीमेल एडीज इजिप्टस मच्छर की बात हो रही जो डेंगू फैला कर लोगों की जन ले रहा है। दरअसल काले फीमेल एडीज के शरीर पर सफेद रंग की धारियां होती हैं। इसी लिए लोगों इसे “टाइगर” नाम दिया है।

बारिश के बाद शिकार शुरू करता है नरभक्षी

खासबात यह है कि फीमेल एडीज बारिश के बाद शिकार करना शुरू करता है और अक्टूबर के अंत तक बेहद सक्रिय रहता है। लेकिन ठण्ड बढ़ने के साथ चुपके से दुबक जाता है। पिछले वर्ष नवंबर में लखनऊ शहर में डेंगू के मामलों में कमी आई थी, पर इस साल अभी भी डेंगू के मामले कम नहीं बल्कि मरीजों की गिनती तेजी से बढ़ रही है। 2018 में एक दिन में सात मामलों की तुलना में, इस साल घटनाओं की दर में चार गुना वृद्धि हुई है।

इस साल महीने के पहले 10 दिनों में 275 डेंगू मरीज आ चुके हैं जबकि पिछले साल नवंबर में कुल मामलों की संख्या 238 थी। नवंबर 2017 में डेंगू मरीजों की दर प्रतिदिन तीन मामले से नीचे थी।

विशेषज्ञों के अनुसार, डेंगू पनपने के हालत अभी भी अनुकूल हैं, जैसे कि नवंबर 2016 में थे। उस समय प्रतिदिन 13 मरीज आ रहे थे। मरीजों के मिलने की दर उस वर्ष 30 दिनों में 400 से अधिक लोग डेंगू वायरस की चपेट में आए थे।

 

इस बार डेंगू जाने का नाम नहीं ले रहा

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी माइक्रोबायोलॉजी की प्रमुख प्रोफेसर अमिता जैन का कहना है कि कहा कि इस बार मानसून कुछ ज्यादा दिन टिक गया। इस कारण बारिश के बाद कई जगहों पर जमा हुए साफ़ पानी इन एडीज मच्छरों के लिए प्रजनन केंद्र साबित हो रहे हैं।

बारिश के बाद डेंगू के मामले बढ़ते हैं, किसी वर्ष ज्यादा किसी वर्ष कम। लेकिन ऐसा कई वर्षों से हो रहा है। पूरे उत्तर प्रदेश में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनया से प्रभावित लोगों की संख्या 30786 के पार पहुंच गई है और मौत का आंकड़ा 31 पहुँच चूका है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में इस साल 1312 मरीज मिल चुके हैं और 6 की मौत हो चुकी है। लखनऊ में 10 नवम्बर को डेंगू के पांच नए मरीजों की पुष्टि हुई है, जबकि पिछले बुधवार को डेंगू से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा के दौरान यह बात सामने आई कि 40 जिलों में डेंगू और 18 जिलों में चिकनगुनिया के मरीज मिले हैं।

कानपूर में अब तक 65 मौतें होने की बात कही जा रही है। वहीं, मेडिकल कॉलेज और उर्सला में हुई जांचों में 140 बुखार रोगियों में घातक डेंगू वायरस की पुष्टि हुई है। इसके साथ ही शहर के चार बड़े पैथोलॉजी सेंटरों में दो दिनों में डेंगू की दो हजार जांच की गई है।ललितपुर में इस बार डेंगू के मरीजों में पिछले वर्ष से दोगुनी से अधिक वृद्घि दर्ज की गई। पिछले वर्ष 25 मरीज मिले थे। वहीं अभी तक डेंगू प्रभावित 63 मरीज पाए जा चुके हैं।मुरादाबाद मंडल में डेंगू का कहर बरकरार है। तापमान में गिरावट आने के बाद भी डेंगू का मच्छर डंक मार रहा है। मंडल में अभी तक 96 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है। इनमें 46 मरीज मुरादाबाद जिले के हैं। जबकि पांच मरीज उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर के शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग के दावे के मुरादाबाद जिले में डेंगू से किसी मरीज की मौत नहीं हुई है।

टाइगर की सबसे बड़ा दुश्मन है ठण्ड

इस मौसम में वायरल बुखार के भी मरीज बढ़ते हैं इस लिए हर बुखार डेंगू नहीं होता। इसी तरह हर मच्छर डेंगू वाला नहीं होता। बुखार आ जाए तो भी घबराने की जरूरत नहीं। डेंगू हो भी जाए तो घबराएँ न। डेंगू में सिर्फ 1 फीसदी माले ही खतरनाक होते हैं। अब स्वास्थ्य विभाग को इन्तजार है कि कब तापमान 16 डिग्री के नीचे आये एडीज इजिप्टस नाम का यह टाइगर का प्रकोप कम समाप्त हो। क्योंकि 16 डिग्री के नीचे के तापमान में टाइगर नहीं पनपता।

(लेखक वरिष्‍ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)

यह भी पढ़ें : नर्क का दरिया है और तैर के जाना है !

यह भी पढ़ें : अब भारत के नए नक़्शे से पाक बेचैन

यह भी पढ़ें : आखिर क्यों यह जर्मन गोसेविका भारत छोड़ने को थी तैयार

यह भी पढ़ें : इस गंदी चड्ढी में ऐसा क्या था जिसने साबित की बगदादी की मौत

यह भी पढ़ें : माहौल बिगाड़ने में सोशल मीडिया आग में घी की तरह

यह भी पढ़ें : साहब लगता है रिटायर हो गए..!

यह भी पढ़ें : आजम खान के आंसू या “इमोशनल अत्याचार” !

यह भी पढ़ें : काजल की कोठरी में पुलिस भी बेदाग नहीं

यह भी पढ़ें : व्हाट्सअप पर तीर चलने से नहीं मरते रावण

ये भी पढ़े : पटना में महामारी की आशंका, लेकिन निपटने की तैयारी नहीं

ये भी पढ़े : NRC का अल्पसंख्यकों या धर्म विशेष से लेनादेना नहीं

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com