Saturday - 6 January 2024 - 4:25 PM

अतीक-अशरफ की हत्या के बाद अचानक बंद हो गए 3000 मोबाइल, जांच में जुटी STF

जुबिली न्यूज डेस्क

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 15 अप्रैल को हुई अतीक अहमद और अशरफ अहमद की हत्या के बाद से ही पुलिस लगातार इस मामले की जांच में जुटी है. जानकारी के मुताबिक अतीक-अशरफ की मौत के बाद जो 3 हजार फोन सर्विलांस पर लिए गए थे, वो अब बंद हो गए हैं. एक साथ इतने सारे मोबाइल नम्बरों के ऑफ हो जाने काफी हद तक इस मामले को प्रभावित कर रहा है.

दरअसल पुलिस ने उमेश पाल की हत्या के बाद से शूटरों की तलाश के साथ ही अतीक-अशरफ के कई रिश्तेदारों और मददगारों के नंबर सर्विलांस पर लगाए थे.ताकि पुलिस को इस केस में मदद मिल सके और वो शूटर और इस हत्याकांड में शामिल फरार अन्य आरोपियों तक पहुंच सके, लेकिन अतीक-अशरफ की मौत के बाद से उसके रिश्तेदार और दोस्त सभी दहशत में आ गए हैं. इस हत्याकांड के बाद से बंद हुए 3 हजार नंबरों के कारण जांच प्रभावित हो रही है. जांच प्रभावित ना हो इसके लिए अब एसटीएफ ने कॉल डिटेल के जरिए मुखबिरों की मदद ले रही है.

सर्विलांस पर लगाए गए थे फोन

उमेश पाल की हत्या के बाद फरार हुए शूटर और अतीक के परिजन जिसमें उसका बेटा असद और पत्नी शाइस्ता की तलाश करने के लिए पुलिस ने पांच हजार से ज्यादा मोबाइल नम्बर सर्विलांस पर लगाए थे. इतने नंबरों को सर्विलांस पर लगाने का एक ही मकसद था ताकि एसटीएफ को आरोपियों के बारे जानकारी मिल सके, और ऐसा ही हुआ भी एसटीएफ को कई जानकारियां भी मिली थी. यहा से मिली जानकारी के बाद ही एसटीएफ दिल्ली में तीन मददगारों तक पहुंची थी. इन मददगारों से ही असद और गुलाम की लोकेशन मिली थी.

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इसी लोकेशन के आधार पर एसटीएफ ने इन दोनों का पीछा किया और झांसी में जाकर ये दोनों पुलिस के हत्थे चढ़ गए. जिसके बाद पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में दोनों को मौत हो गई. असद और गुलाम की मौत के ठीक तीन दिन बाद ही प्रयागराज में रिमांड के दौरान अतीक और अशरफ की अस्पताल में गोली मारकर हत्या कर दी गई थीं.

नंबर होने का कारण क्या?

यूपी एसटीएफ की ओर से इस बात की जांच की जा रही है कि आखिर अचानक ये 3000 नंबर बंद क्यों हो गए? अतीक के मददगारों ने क्या इस गैंग से मुंह फेर लिया? या फिर पुलिस की कार्रवाई और पूछताछ के डर से ऐसा हुआ? इन सवालों के जवाब ढूंढ़े जा रहे हैं.

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दरअसल, उमेश पाल की हत्या के बाद से लगातार अतीक अहमद, उसके परिवार, गैंग के सदस्यों और मददगारों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई चल रही है.अतीक के जीवित रहने तक मददगारों को माफिया और उसके कनेक्शन से मदद मिलने की उम्मीद थी। लेकिन, मौत के बाद उन्हें अब किसी प्रकार की मदद मिलने की उम्मीद नहीं दिख रही। ऐसे में वे गैंग से कन्नी काटते भी दिख सकते हैं. इन तमाम बिंदुओं पर पुलिस और एसटीएफ नजर रख रही है.

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