Sunday - 14 January 2024 - 8:55 AM

क्या हैं ब्रिटेन में चुनावी मुद्दे

न्यूज डेस्क

ब्रिटेन में चुनावी माहौल है। 12 दिसंबर को आम चुनाव होना है। माहौल में गर्मी और जोश है। मुकाबला भी कांटे का है। यहां की दो सबसे बड़ी पार्टी, कंजर्वेटिव और लेबर पार्टी एक-दूसरे को कड़ी चुनौती दे रही हैं।

ब्रिटेन में चुनाव दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गया है। दिलचस्प इसलिए क्योंकि चुनावी मुद्दे बड़े मजेदार है। ब्रिटेन जैसे देश में ऐसे चुनावी मुद्दे कल्पना से परे हैं।

सोचिए भारत से 6,500 किलोमीटर दूर ब्रिटेन में कश्मीर और जलियॉवाला बाग भी चुनावी मुद्दा बना हुआ है।

ये आम चुनाव दिलचस्प इसलिए भी हो गया है क्योंकि प्रवासी भारतीय और पाकिस्तानी इस बार पहले से कहीं अधिक अहम भूमिका निभा रहे हैं।

लेबर पार्टी ने दक्षिण एशियाई लोगों को लुभाने के लिए अपने घोषणापत्र में वादा किया है कि अगर वो सत्ता में आती है तो जलियांवाला  बाग हत्याकांड के लिए औपचारिक रूप से माफी मांगेगी।

इसने ये भी वादा किया है कि जीतने पर स्कूलों के सिलेबस में ब्रिटिश राज के अत्याचारों की पढ़ाई को भी शामिल किया जाएगा।

 

अब सोशल मीडिया पर एक वीडियो चर्चा में है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कंजर्वेटिव पार्टी के नेता बोरिस जॉनसन की तस्वीरें भी दिखाई देती हैं। साथ ही ब्रिटेन में भारतीय उच्चायुक्त की भी इसमें तस्वीर है। गीत के बोल हिंदी में हैं।

दरअसल कश्मीर और जलियांवाला बाग मुद्दा प्रवासी भारतीय वोटरों को रिझाने के लिए है। यहां भी राष्ट्रवाद का मुद्दा हावी है। कश्मीर से धारा 370 निष्प्रभावी करने का जिस पार्टी ने समर्थन किया, भारतीय उसके समर्थन में हैं। जिसने विरोध किया उसके समर्थन में पाकिस्तानी।

फिलहाल इस चुनाव को दशक के सबसे महत्वपूर्ण चुनाव के रूप में देखा जा रहा है। कंजर्वेटिव पार्टी के नेता बोरिस जॉनसन जहां बहुमत पाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं विरोधी उन्हें रोकने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं।

 

ब्रेक्जिट है सबसे बड़ा मुद्दा

ब्रिटेन चुनाव में जहां अप्रवासी भारतीय और पाकिस्तानी की तादात ज्यादा है वहां मुद्दे कश्मीर और जलियांवाला बाग है लेकिन इस चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा ब्रेक्जिट है।

सत्ताधारी कंजरवेटिव पार्टी के नेताओं ने इसको अपनी प्राथमिकता में रखते हुए साफ संदेश दिया है, ‘ब्रेक्जिट को पूरा करना।’ उन्होंने वादा किया है कि 31 जनवरी को यूरोपीय संघ से ब्रिटेन अलग हो जाएगा। वहीं लेबर पार्टी ब्रेक्जिट समझौते के लिए बातचीत करना और फिर से जनमत संग्रह कराना चाहता है। लिबरल डेमोक्रेट पार्टी कहती है कि वह ब्रेक्जिट को पूरी तरह रद्द कर देगी।

स्वास्थ्य भी है प्राथमिकता में

इसके अलावा दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा है स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश। वर्ष 1948 में नेशनल हेल्थ सर्विस, एनएचएस की स्थापना की गई थी। इसका उद्देश्य था ब्रिटेन के सभी लोगों के लिए मुफ्त में स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवाना। लेबर पार्टी इस सर्विस पर खर्च में 4.3 प्रतिशत वृद्धि करने का वादा कर रही है।

लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन ने बोरिस जॉनसन पर इस सर्विस को अमेरिका को ‘बेचने के लिए’ रखने का आरोप लगाया है लेकिन कंजरवेटिव पार्टी ने इस आरोप को पूरी तरह खारिज किया है।

इस चुनाव में अर्थव्यवस्था भी सभी पार्टियों के लिए अहम मुद्दा है। हालांकि केवल जो स्विंसन की पार्टी लिबरल डेमोक्रेट्स के ही आर्थिक घोषणापत्र को ब्रिटेन के इंस्टीट्यूट फॉर फिस्कल स्टडीज ने सही माना है। यही एक एकलौती पार्टी है जो मामूली कर वृद्धि और खर्च को बढ़ाने का वादा रही है।

वहीं कंजरवेटिव पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में करों में कटौती करते हुए सार्वजनिक सेवाओं में निवेश करना बताया है तो लेबर पार्टी ने “अर्थव्यवस्था के नियमों को फिर से तय करने” का वादा किया है ताकि यह सबके लिए फायदेमंद हो।

पहली बार अपराध बना बड़ा मुद्दा

ब्रिटेन के चुनाव में अपराध और सजा कभी भी बड़ा मुद्दा नहीं बना लेकिन इस बार यह भी चुनावी मुद्दा है। दरअसल इस नवंबर महीने के अंत में लंदन ब्रिज पर हुआ हमला इस मामले को केंद्र में ले आया है। पिछली लेबर पार्टी की सरकार द्वारा पेश किए गए एक कानून के तहत अपराधी को आधी सजा पूरी करने के बाद रिहा कर दिया गया था। फिलहाल जॉनसन ने इस कानून को रोककर सजा का कठोर बनाने का आह्वान किया है।

कार्बन उत्सर्जन घटाने की हिमायती है पार्टियां

वर्तमान में पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ी समस्या है जलवायु परिवर्तन। क्लाइमेट चेंज की वजह से दुनिया के कई देशों के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। कार्बन उत्सर्जन में कटौती पर पूरे दुनिया में बहस छिड़ी हुई है। ब्रिटेन के चुनाव में भी कार्बन उत्सर्जन मुद्दा है।

ग्रीन पार्टी की नेता कैरोलीन लूकस, जो अपने पार्टी की एकमात्र सांसद हैं। इनकी पार्टी की प्राथमिकता में 2030 तक जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करना है। वहीं सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी ने 2050 तक कार्बन न्यूट्रल होने का लक्ष्य बनाया है। लीब डेम्स ने इसके लिए 2045 का लक्ष्य रखा है तो लेबर पार्टी 2030 के दशक के मध्य तक इसे पूरा करना चाहती है।

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