Saturday - 13 January 2024 - 1:01 PM

वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट : तो भारत के पड़ोसी मुल्क के लोग ज्यादा खुश

जुबिली न्यूज़ डेस्क

बीता हुआ साल 2020 कोरोना महामारी की वजह से पूरी तरह से तबाह रहा। इस साल बहुत से लोग एन्जाइटी, डिप्रेशन, अकेलापन, लॉकडाउन, बीमारी और मौत के शिकार हुए। लेकिन महामारी के इस स्तर ने भी बहुतों के उम्मीद और उत्साह को नही हिला सका। दरअसल आज 149 देशों की वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार फ़िनलैंड एक बार फिर नंबर एक पर रहा।

यूएन सस्टेनेबल डेवलपमेंट सॉल्यूशन्स नेटवर्क द्वारा प्रायोजित 149 देशों की इस वार्षिक रिपोर्ट में प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद, हेल्दी लाइफ एक्सपेक्टेंसी और नागरिकों की राय देखी जाती है। इस सर्वे में लोगों से 1-10 के स्केल पर कुछ सवाल पूछे जाते हैं। जैसे विपरीत परिस्थितियों में उन्हें कितना सोशल सपोर्ट मिला और उनके अनुसार, लोग कितने भ्रष्ट और कितने उदार हैं।

इस लिस्ट के अनुसार दुनिया के सबसे खुशहाल देशों में पहले नौ पायदान पर यूरोपियन देशों का कब्जा बरकरार है। फिनलैंड को दुनिया का सबसे खुशहाल देश माना गया है। वहीं दूसरे पर डेनमार्क, तीसरे पर स्विट्जरैंड, चौथे पर आइसलैंड, पांचवें पर नीदरलैंड, है। न्यूजीलैंड अकेला ऐसा गैर-यूरोपियन देश है जिसने टॉप-10 में जगह बनाई है। वहीं नाखुश देशों की लिस्ट में भारत चौथे नंबर पर रहा।

इस रिपोर्ट के अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका 19वें स्थान पर पहुंच गया है. वहीं ब्रिटेन का इस लिस्ट में 17वां स्थान है। इस सूची में भारत 139वें स्थान पर है। पिछले साल भारत इस लिस्ट में 140वें पायदान पर था यानी देश को केवल एक पायदान की बढ़त मिली है।

पडोसी देश पाकिस्तान इस लिस्ट में भारत से 34 पायदान आगे 105वें स्थान पर है। जबकि नेपाल 87वें, बांग्लादेश 101, म्यांमार 126 और श्रीलंका 129वें स्थान पर है।

इस रिपोर्ट पर कॉलंबिया यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्री जैफ्री सैश ने कहा कि, ‘क्रमानुसार इन सभी देशों में लोगों ने ज्यादा बेहतर और सुरक्षित महसूस कर रहे है। इन देशों की सरकार भी ज्यादा ईमानदार और विश्वासपूर्ण थी। लोगों का एक दूसरे पर भरोसा ज्यादा दिखाई दिया।’

उन्होंने बताया कि इस सर्वे में लोगों से दो अलग-अलग तरह के सवाल किए गए थे। पहला सवाल सामान्य जीवन से जुड़ा था। जबकि दूसरा सवाल मूड, इमोशन, स्ट्रेस और एन्जाइटी से संबंधित था।हैप्पीनेस एक्सपर्ट केअनुसार, अमेरिका में अमीर-गरीब निवासियों के बीच नस्लीय तनाव और आय में निरंतर असमानता से लोगों का जीवन प्रभावित हुआ है।

इस मामले में अमेरिका की जानी-मानी लेखिका और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया की प्रोफेसर सोन्जा लायुबोर्मिस्की कहती हैं कि दूसरे देशों की तुलना में अमेरिकी लोगों के पास ज्यादा आलीशान घर और बड़ी कारें हैं। लेकिन ये रिपोर्ट इस बात का सबूत है कि सुख-सुविधा के सभी तंत्र इंसान के खुश रहने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।

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वहीं फिनलैंड की एक प्रसिद्ध पत्रकार अनु पार्तानेन ने बताया कि, ‘फिनलैंड एक बार फिर दुनिया का सबसे खुशहाल देश बना है। यहां के लोग बेहद भाग्यशाली हैं, क्योंकि यहां के समाज ने कोरोना जैसे झटकों में भी सपोर्ट सिस्मट को बनाये रखा।’ इस मामले में एशियाई देशों का हाल पहले से ज्यादा बेहतर देखा गया है। भारत, पाकिस्तान और चीन समेत तमाम देशों ने हैप्पीनेस चार्ट में छलांग लगाई है।

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