न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। भारत समेत दुनिया के अधिकांश देशो में कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ रहा है। सभी शैक्षिक, आर्थिक, धार्मिक और व्यावसायिक संस्थान बंद हैं। भारत पूरी तरह से 21 दिनों के लिए लॉकडाउन कर दिया गया है।
ऐसे में सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थानों में कार्यरत लोगों को घर पर ही रहने, बाहरी लोगों से दूरी बनाए रखने और ‘वर्क फ्रॉम होम’ यानी घर से काम करने के लिए कहा गया है।
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केंद्र एवं प्रदेश की सरकारों ने स्वास्थ्य, सुरक्षा और रोजमर्रा की चीजों से जुड़े लोगों को अपनी लगातार सेवा देने तथा स्वयं को सुरक्षित रखने के दिशा- निर्देश भी जारी कर दिए हैं।
इससे यह तथ्य भी उभरकर सामने आया है कि इस लॉकडाउन और शारीरिक दूरी से परिवार की थमी हुई जिंदगी को दोबारा शुरू करने का मौका मिला है। लॉकडाउन के अन्य कई सकारात्मक असर भी हमारे सामने दिखाई दे रहे हैं।
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इससे लोगों को अपने- अपने घरों में ही रहने के कारण सड़कों पर यातायात का कम होना, वाहनों का न्यूनतम प्रयोग तथा सड़क जाम से निजात इत्यादि के साथ में अनेक प्रकार के प्रदूषणों से मुक्ति भी इसके सकारात्मक परिणाम कहे जा सकते हैं।
बच्चों की पढ़ाई- लिखाई के साथ में परिवार का वात्सल्य, समय पर भोजन एवं सामाजिक सीख के प्रबंध भी इससे उपलब्ध हो रहे हैं। कोरोना संक्रमण के इस भयावह दौर में एक अच्छी बात यह है कि देश के नागरिकों ने एकजुटता का परिचय दिया है।
साथ ही कार्यालयों की कार्य संस्कृति में ‘वर्क फ्रॉम होम’ यानी घर से काम करने के रूप में एक नए आयाम का विस्तार हुआ है। सरकारों के लिए भी नया रास्ता निकला है जिससे काम होने के साथ साथ संसाधनों के बेफिज़ूल खर्च पर भी लगाम लगा है।
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